जीवन और संघर्ष

जीवन और संघर्ष विश्वव्यापी कोरोना महामारी ने यह तो समझा ही दिया है कि स्वास्थ्य ही धन है।स्वास्थ्य के अभाव में सभी सुख सु्विधाएँ व्यर्थ हैं।स्वस्थ व्यक्ति ही जीवन का उपभोग कर सकता हैव इच्छित लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।अक्सर यह देखा जाता है कि कुछ लोग मौसम,खानपान व स्थान परिवर्तन से बहुत जल्दी प्रभावित…

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बढ़ती जनसंख्या परेशानी का सबब

बढ़ती जनसंख्या परेशानी का सबब ग्यारह जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है।इसको मनाने का उद्देश्य बढ़ती जनसंख्या के प्रति ध्यान खींचना है और लोगों को जागरूक बनाना है।आज पूरे विश्व में हर सेकेण्ड में चार बच्चों का जन्म होता है जबकि मृत्यु दर इसकी आधी है।अगर जनसंख्या इसी दर से…

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पर्यावरण और त्योहार

“पर्यावरण और त्योहार “ डरे सहमे से पेड़-पौधे जा पहुंचे मानव के पास दीपावली करीब आ गई तो उनकी थीं शिकायतें खास.. पत्ते, शाखाएं, फूल और कलियाँ सबके सब कुछ घबराए थे नन्ही घास,बेलें, लताएँ, फल मुँह बनाए और गुस्साए थे-.. “हर तरफ दीवाली की खुशियाँ हैं पर हम सब सहमे से खड़े हैं अजीब…

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एक वट वृक्ष : साहित्यकार शार्लेट ब्रोंटे

एक वट वृक्ष : साहित्यकार शार्लेट ब्रोंटे शार्लेट ब्रोंटे के जीवन संघर्ष को पढ़ते हुए अभिनेत्री मीना कुमारी की पंक्तियां स्मरण हो आईं … “टुकड़े-टुकड़े दिन बीता, धज्जी-धज्जी रात मिली। जिसका जितना आंचल था उतनी ही सौगात मिली।।” अंग्रेजी क्लासिक साहित्य में शार्लेट ब्रोंटे का नाम उल्लेखनीय है। शार्लेट ब्रोंटे एक उपन्यासकर, कवयित्री और सामाजिक…

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मास्टर साहब कहिन

मास्टर साहब कहिन किस्सा एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय के मास्टर साहब की है।आज मास्टर साहब के घर पर अफरा-तफ़री का माहौल है।श्रीमती जी कपड़े प्रेस कर रही, सुपुत्र जूता पॉलिश कर रहा , स्वयं मास्टर साहब दाढ़ी बनाने में व्यस्त।कुल मिलाकर घर का माहौल बड़ा गर्म था।कोई और दिन होता तो बिना प्रेस कपड़ा, बिना…

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पुनरावृति

पुनरावृति। चारों ओर लुढ़कते पासे हैं, दाँव पर लगी द्रोपदियाँ हैं, लहराते खुले केश हैं, दर्प भरा अट्टहास है, विवशता भरा आर्तनाद है, हरे कृष्ण की पुकार है… चारों ओर पत्थर की शिलाएँ हैं, मायावी छल है, लंपटता है, ना जाने कितनी ही अहिल्याओं की पाषाण देह है, नैनों में आत्म ग्लानि का नीर भरे,…

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मधुमास

मधुमास मधुर मधुर मधुमास खिला मन पुलकित उल्लास मिला। भासमान है सूर्य बिम्ब चल रहा साथ निज प्रतिबिम्ब। प्रकृति ओढ़ी है नव दुकूल मन में उठते हैं भाव फूल। कोकिला करे कुहू पुकार गायें भी भरती हुंकार। मन वासंती जागे उमंग बह रही ख़ुशी की नव तरंग। दे रही थाप गोरी पी के संग चढ़…

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हिंदी का परचम

हिंदी का परचम वैज्ञानिक आधार परखती निज बल सब सत्कार कमाया जोड़ चली सीमाएँ कुनबा हिंदी ने परचम फहराया सहज सरल उत्तम उच्चारण स्वर व्यंजन रस युक्त मनोहर अर्पित उन्नत पद सम्मानित छवि साहित्यिक मुक्त धरोहर शब्द मधुर संयोजित मुक्ता मायावी हिंदी की काया जोड़ चली ….. कोस कोस पर पानी बदले दशम कोस पर…

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मन मंदिर में बस गए राम

मन मंदिर में बस गए राम अयोध्या में आयी पुण्य बेला, साकार हुई जो बसी छवि। दिशाएं सुरभित, देव मगन, विस्मित, हर्षित है आज रवि। भक्तों के सपने आकार ले रहे, पीयूषवन्त छवि नयनाभिराम। मन मंदिर में बस गए राम। लंबे संघर्ष का विकट काल, भूला नहीं रक्तिम इतिहास। प्राणों की आहुतियाँ पड़ी यहाँ, तब…

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बापू की ओर

  बापू की ओर मिथ्या से सत्य की ओर घृणा से प्रेम और करुणा की ओर सांप्रदायिकता से भाईचारे की ओर हिंसा की बर्बरता से अहिंसा की संवेदना की ओर बर्बर भीडतंत्र से सत्याग्रह की ओर विलासिता से सच्चरित्रता की ओर उपभोक्तावाद से सादगी की ओर अंध औद्योगीकरण से कुटीर उद्योग की ओर पूंजी के…

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