माता तुम अनुपम प्यार

माता तुम अनुपम प्यार प्रकृति का अनुपम उपहार मातृत्व से भरी कोमल नार जननी ममतायी अमृत रसी कोमलांगी माता शक्ति सार नित्य कष्ट सह जाती है माते संतान की पीड़ा हरती हजार ममता रोम रोम में बसता क्या व्याख्या कैसे हो उद्गार समर्पण माँ का अद्भुत भाव जिसको ना हो माप व् भार माँ तो…

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माँ का मातृत्व

माँ का मातृत्व नौ महीने गर्भ से हो जाता सफर शुरू माँ का फिर जन्म देते ही उसकी सारी दुनिया घूमती सिर्फ अपने बच्चे के ही इर्द गिर्द हर आँसू, हर दर्द, हर दुःख हर तकलीफ बन जाती उसकी छोटी अपने बच्चे की मुस्कान के आगे माँ का मातृत्व ही कुछ ऐसा है जिसका न…

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कोरोना के दौर में माँ!

कोरोना के दौर में माँ! आज व्यथित है माँ बदल सी गयी है माँ! दिन भर कुछ कहने सुनने वाली, हर बात पर कोई पुरानी कहानी बताने वाली, झूठमूठ ग़ुस्सा दिखाने वाली, ज़बरदस्ती लौकी परवल खिलाने वाली! भूल जाती है अब बातों- बातों पर टोकना भूल जाती है चलते फिरते कुछ काम बताते रहना। “गमलों…

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Moments Of Love

Moments of Love As I hold my newborn to my breast… my heart is overflowing with Joy! As the baby suckles and nurses… my heart is filled… with so much love and tenderness! An awesome sense of responsibility floods over me… as I look upon the face of a helpless and innocent infant… that is…

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माँ! तेरी दुआ चाहिए

माँ! तेरी दुआ चाहिए ज़िन्दगी है क्या ….. ? गर पता चाहिए। बस दुआओं का इक सिलसिला चाहिए।। ज़िन्दगी के मसाइल से लड़ता रहूँ। ये ख़ुदा! मुझ को वो हौसला चाहिए।। ज़िन्दगी मौत से छीन लाऊँगा मैं। उमर भर माँ, तेरा आसरा चाहिए।। आ कभी मिल मिरे माँ से, फिर बता। मुझ को क्यों, ज़न्नत…

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मां कभी अबला नही होती

मां कभी अबला नही होती स्त्रियों को देवी कह कर पूजने वाले भारत में महिलाओं का जीवन अत्यंत ही संघर्षपूर्ण रहा है।हमारे जिस समाज में महिलाओं को हमेशा एक अबला नारी के रूप में देखा जाता है।आज मैं उसी समाज की एक ऐसी महिला की बात करूंगी, जिसको मैंने अपने बचपन से लेकर आज तक…

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मातृत्व की कुर्सी

मातृत्व की कुर्सी शरीर पर निशान हैं कुछ जो सर्जरी के है मातृत्व के जो स्थाई है रहेंगे ताउम्र..अच्छे लगते हैं शायद मेरी संपूर्णता को इंगित करते.. !! हर स्त्री के जो माँ है…!! स्त्री के ममत्व को परिभाषित करते, स्त्री पुरूष के भेदभाव से कोसो दूर..वे निशान जो नही जानते पुरूष औऱ स्त्री में…

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माँ एक किरदार अनेक

माँ एक किरदार अनेक मित्र, संबन्धी विपदा में हमारे साथ होते हैं….. लेकिन माँ विपदा में साथ नहीं सामने होती है, संकट मोचन सी होती है “माँ”… बच्चों के अनकहे दर्द को सुन लेती है…. माँ के स्पर्श मात्र से दूर होने लगती है, शरीर के सारे रोग,दोष अपने बच्चों के लिए, सबसे बड़ी वैद्य…

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