…..जीवन दंश का क्या ?
…..जीवन दंश का क्या ? पढ़ती हूं ,सुनती हूं, फिर से नव पुष्प खिलेंगे, नव पल्लव फिर सज जाएंगे, पर जो टहनी सूख गई, असामयिक दावानल से, उन दरख़्तों का क्या? झुलसी वल्लरियों का क्या? जीवन की आस झलकाते परंतु अब, ठूंठ बन चुके स्याहवर्णी नवपादपों का क्या? कुछ घरों में चिरनिंद्रित मायें, रोटी जलती…