…..जीवन दंश का क्या ?

…..जीवन दंश का क्या ? पढ़ती हूं ,सुनती हूं, फिर से नव पुष्प खिलेंगे, नव पल्लव फिर सज जाएंगे, पर जो टहनी सूख गई, असामयिक दावानल से, उन दरख़्तों का क्या? झुलसी वल्लरियों का क्या? जीवन की आस झलकाते परंतु अब, ठूंठ बन चुके स्याहवर्णी नवपादपों का क्या? कुछ घरों में चिरनिंद्रित मायें, रोटी जलती…

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Ashes

Ashes My soul, do not be in pain smile heroically Where you are Wherever you go Fight your way to the front Do not be afraid Life belongs to the brave To the audacious courageous Not to the common and humble mortals And if you are in pain, do not show it, do not cry…

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मन के हारे हार है,मन के जीते जीत

मन के हारे हार है,मन के जीते जीत आज सुबह से नेहा कुछ ज्यादा ही परेशान थी,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपने को संभाले,चारों तरफ कोरोना महामारी और उसके अफवाहों से वह बहुत परेशान और हताश हो गई थी। वह इसी उधेड़बुन में थी तभी उसकी बड़ी बहन का फोन…

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समा जाये तेरे हर गुण मुझ में

समा जाये तेरे हर गुण मुझ में माँ जीवन का सार हो तुम मेरी ताल लय मीठी धुन हो मेरी तेरे जैसे बनना है, सदा रहूँ कदमों में तेरी। सदा नयन में बसती हो मेरी हृदय में विराजती मेरी जीवन से और कोई चाहत नहीं परछाई बनना है तेरी। हो धरा सी क्षमाशीला जानकी सदृश…

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माता तुम अनुपम प्यार

माता तुम अनुपम प्यार प्रकृति का अनुपम उपहार मातृत्व से भरी कोमल नार जननी ममतायी अमृत रसी कोमलांगी माता शक्ति सार नित्य कष्ट सह जाती है माते संतान की पीड़ा हरती हजार ममता रोम रोम में बसता क्या व्याख्या कैसे हो उद्गार समर्पण माँ का अद्भुत भाव जिसको ना हो माप व् भार माँ तो…

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माँ का मातृत्व

माँ का मातृत्व नौ महीने गर्भ से हो जाता सफर शुरू माँ का फिर जन्म देते ही उसकी सारी दुनिया घूमती सिर्फ अपने बच्चे के ही इर्द गिर्द हर आँसू, हर दर्द, हर दुःख हर तकलीफ बन जाती उसकी छोटी अपने बच्चे की मुस्कान के आगे माँ का मातृत्व ही कुछ ऐसा है जिसका न…

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कोरोना के दौर में माँ!

कोरोना के दौर में माँ! आज व्यथित है माँ बदल सी गयी है माँ! दिन भर कुछ कहने सुनने वाली, हर बात पर कोई पुरानी कहानी बताने वाली, झूठमूठ ग़ुस्सा दिखाने वाली, ज़बरदस्ती लौकी परवल खिलाने वाली! भूल जाती है अब बातों- बातों पर टोकना भूल जाती है चलते फिरते कुछ काम बताते रहना। “गमलों…

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