रास्ते और भी हैं

रास्ते और भी हैं “बोलो बाँके बिहारी लाल की जय ! बोलो बंसी वाले की जय ! जय जय श्री राधे…..!” और असंख्य स्वर एक साथ दोनों हाथ ऊपर उठाते हुए दंडवत प्रणाम करने लगते हैं। नित्य प्रतिदिन मंगला झांकी का यही दृश्य होता है। आरती आरम्भ हो चुकी है। नेत्र बन्द किए पद्मा ध्यान…

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प्रेमचंद की “सुहाग की साड़ी”

प्रेमचंद की “सुहाग की साड़ी” मानवीय संवेदना के कुशल चितेरे, नव जागरण के प्रणेता, सर्वहारा की प्रखर वाणी और तत्कालीन समय को अपनी लेखनी से जीवंत करने वाले, सकारात्मक ऊर्जा की आभा से नव दीप प्रदीप्त करने वाले सर्वकालिक महान लेखक, चिंतक और कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद किसी परिचय के मोहताज नहीं । मुंशी जी…

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शारदा

शारदा सारे काम निपटा कर मैं चाय का प्याला लेकर बैठी ही थी कि फोन की घंटी बजी।सरिता का फोन था..”सुमि,मैंने शारदा से तेरे घर के काम के लिए बात कर ली है..एक बार आकर मिल सकोगी?आकर एक बार आमने-सामने बात कर लेती तो…” “शारदा”–एक नाम,जो न जाने कौन सा तार छेड़ गया मन का…

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हर उड़ान भरने को तैयार

हर उड़ान भरने को तैयार ” पापा मुझे कम्प्यूटर कोर्स करना है “, ग्रेज्यूएशन का रिजल्ट आते ही मैने पापा से कहा । ” ज़रूर करो “, पापा के इन दो शब्दों ने मेरी उड़ान को मानो पँख लगा दिये । घर में पापा, मम्मी , भैया व छोटी बहन मेरे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण…

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एक शब्द

एक शब्द माँ का प्यारा सा हथियार जब भी करते मस्ती हम माँ कि आवाज़ आती रूको अभी पापा को बुलाती हर समय इस छोटे से शब्द से हम को वो डराती “पापा” छोटा सा दो अक्षर का शब्द पर शक्तिशाली,संयम से भरा हुआ है ये शब्द डराते हैं ,कठोर है पर रक्षा से भरा…

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DEFINITENESS OF PURPOSE

DEFINITENESS OF PURPOSE Floating thoughts in reverberations, are gently flickering on the screen of our visions. I’m just downloading a beam of stars and inhaling diamond stream from my heart. Hey, you little boy, pulsing inside here, are you happy to be seen on your purple screen? Or, at least, you’re breathing a misty awakening…

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मेरे पापा सुपरमैन

मेरे पापा सुपरमैन फादर्स डे पर पापा, चलो मैं एक कविता सुनाती हूं। क्या हो आप हमारे लिए यह दुनिया को बदलाती हूं। हमारे पापा सुपरमैन हर विपदा से लड़ जाते हैं। हो जाए हम वीक तो स्ट्रांग उन्हें हम पाते हैं। घर समाज और रिश्तेदारी बखूबी निभाते हैं। वो हमारे पापा जी, जो माथुर…

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