पर्यावरणविद

पर्यावरणविद राखी का त्यौहार आने में भले ही 2 महीने पड़े हों लेकिन भाई-बहनों ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। खासकर जो बहनें अपने भाईयों से मिलो दूर बैठी हैं वो राखी से एक महीने पहले ही उन्हें राखी भेज देंगी। बात अगर राखी ट्रैंड की करें तो आजकल हर कोई इको-फ्रैंडली राखी में…

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मुक्ति

मुक्ति नन्हीं के गांव में एक घर के आगे बड़ा-सा खलिहान था । शाम के समय उसके सारे संगी-साथी वहां जमा होकर खेलते थे। खलिहान वाले घर की लड़की भी उन बच्चों में शामिल थी। नाम था गंगा। गंगा उम्र में सब बच्चों से बड़ी थी। रिश्ते में वह किसी की बुआ लगती थी तो…

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अनाथ लड़की

अनाथ लड़की यह तो निर्विवाद सत्य है कि साहित्य समाज का आईना है, और सच्चा साहित्यकार वहीं है, जो तत्कालीन परिस्थितियों के परिवेश में समाज में व्याप्त आचरण, सभ्यता और कुरीतियों से आपको परिचित कराता है। पर यही वह साहित्यकार है, जो आपको समाज के कटु यथार्थ के साथ साथ उसके लिए खूबसूरत आदर्शों की…

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रूहानियत

रूहानियत ‘एक कहानी लिखनी है मुझे, सच्ची कहानी.. मेरे और आपके प्यार की।’ ‘क्या दुनिया हज़म कर पाएगी इसे? और फिर लिखोगी क्या इसमें?’ ‘सिर्फ दर्द, मेरा और आपका..’ ‘फिर तो भूल ही जाओ.. कोई नहीं पढ़ेगा इसे।’ और यही चुनौती तो वह शुरुआत थी मेरी और अरुण जी की कहानी की, जिसे मैं न…

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प्रेमचंद की कहानी”बड़े भाईसाहब”- एक विश्लेषण

प्रेमचंद की कहानी”बड़े भाईसाहब”- एक विश्लेषण कहानी का सार… प्रेमचंद जी की सभी सशक्त और जीवंत रचनाओं में मुझे “बड़े भाई साहब” नामक कहानी अत्यंत ही आकर्षित करती है। इस कहानी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह पाठकों का मनोरंजन करती हुई आज भी उतनी ही प्रासंगिक है और शिक्षा प्रणाली पर चोट…

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रास्ते और भी हैं

रास्ते और भी हैं “बोलो बाँके बिहारी लाल की जय ! बोलो बंसी वाले की जय ! जय जय श्री राधे…..!” और असंख्य स्वर एक साथ दोनों हाथ ऊपर उठाते हुए दंडवत प्रणाम करने लगते हैं। नित्य प्रतिदिन मंगला झांकी का यही दृश्य होता है। आरती आरम्भ हो चुकी है। नेत्र बन्द किए पद्मा ध्यान…

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प्रेमचंद की “सुहाग की साड़ी”

प्रेमचंद की “सुहाग की साड़ी” मानवीय संवेदना के कुशल चितेरे, नव जागरण के प्रणेता, सर्वहारा की प्रखर वाणी और तत्कालीन समय को अपनी लेखनी से जीवंत करने वाले, सकारात्मक ऊर्जा की आभा से नव दीप प्रदीप्त करने वाले सर्वकालिक महान लेखक, चिंतक और कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद किसी परिचय के मोहताज नहीं । मुंशी जी…

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शारदा

शारदा सारे काम निपटा कर मैं चाय का प्याला लेकर बैठी ही थी कि फोन की घंटी बजी।सरिता का फोन था..”सुमि,मैंने शारदा से तेरे घर के काम के लिए बात कर ली है..एक बार आकर मिल सकोगी?आकर एक बार आमने-सामने बात कर लेती तो…” “शारदा”–एक नाम,जो न जाने कौन सा तार छेड़ गया मन का…

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हर उड़ान भरने को तैयार

हर उड़ान भरने को तैयार ” पापा मुझे कम्प्यूटर कोर्स करना है “, ग्रेज्यूएशन का रिजल्ट आते ही मैने पापा से कहा । ” ज़रूर करो “, पापा के इन दो शब्दों ने मेरी उड़ान को मानो पँख लगा दिये । घर में पापा, मम्मी , भैया व छोटी बहन मेरे प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण…

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एक शब्द

एक शब्द माँ का प्यारा सा हथियार जब भी करते मस्ती हम माँ कि आवाज़ आती रूको अभी पापा को बुलाती हर समय इस छोटे से शब्द से हम को वो डराती “पापा” छोटा सा दो अक्षर का शब्द पर शक्तिशाली,संयम से भरा हुआ है ये शब्द डराते हैं ,कठोर है पर रक्षा से भरा…

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