प्रेमचंद की युग चेतना

प्रेमचंद की युग चेतना कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद का साहित्य हिंदी साहित्य के इतिहास में टर्निंग प्वाइंट के रूप में माना जाता है ,जहां साहित्य जीवन और समाज के यर्थाथ से जुड़ता है ।प्रेमचंद्र का उद्देश्य जीवन और समाज को समझना था। उनकी पैनी दृष्टि जीवन के अनछुए पहलुओं को हमारे सम्मुख लाती हैं ,जो…

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निर्णय

निर्णय एक तो खुद अपने परिवार की इतनी बड़ी जिम्मेदारी और ऊपर से मौसमी के घर की पहरेदारी। और भी तो कितने पड़ोसी हैं ,सबके साथ मौसमी की अच्छी पटती भी है।कई बार सोची कि मौसमी से कह दूं कि तुम अब चाबी किसी और के घर में रखा करो। पर पता नहीं क्यों मैं…

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ये पात्र हर तीसरे घर में हैं ….

ये पात्र हर तीसरे घर में हैं …. प्रेमचन्द को याद करते ही ढेर सारे पात्र साथ साथ चले आते हैं, दिमाग में मन्डराने लगते हैं फ़िर चाहे वह धुनिया,झुनिया, गोबर, होरी, निर्मला, तोताराम हों या कहानियों में से झांकते हलकू, अलगू जुम्मन ,खाला, बड़े घर की बेटी, बुधिया, हामिद, दादी, हीरा मोती की जोडी…

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सौत

सौत प्रेमचंद जी ने अपने लेखन में शायद ही किसी मानवीय सम्बन्धों के आयाम पर अपनी कलम चलाने से खुद को अलग रखा हो |किसी भी रिश्ते की गहराई तक पहुँच जाना उनके लेखन को ऊंचाइयों तक ले जाता है |भारतीय समाज का ढांचा आपसी संवेदना के कारण टिका रहता है जो भारतीय समाज का…

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हरफनमौला बंशी

हरफनमौला बंशी बंशी उठ जा! देख सभी उठ गए |सूरज पंक्षी पेड़ पौधे| देख गाय भी रंभा रही | उठ जा तू भी |बंशी को अम्मा परेशान सी झकझोर रही थी| वो चादर को सिर तक ओढ़ कर कमरे की कोने वाली चौकी पर अड़ा सा पड़ा हुआ था | उठ जा रे लड़के…. उठ…

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मेरे नाना-प्रेमचंद जी

मेरे नाना-प्रेमचंद जी हरे रंग की बड़ी सी जनता बस दरवाजे के सामने आकर रुक गई।सफेद खादी का कुर्ता पायजामा पहने मंद मुस्कान के साथ एक सज्जन उतरे। हमारे पिताजी और मामा जी ने आगे बढ़कर उनका स्वागत किया।वे पिताजी से गले मिले और मामा को अपने गले लगाया। बहुत आदर व प्रेम के साथ…

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एक सशक्त कथा ‘पंच परमेश्वर ‘ : आज भी सामयिक

एक सशक्त कथा ‘पंच परमेश्वर ‘ : आज भी सामयिक ” हमारी सभ्यता, साहित्य पर आधारित है और आज हम जो कुछ भी हैं, अपने साहित्य के बदौलत ही हैं।”- यह उद्गार है महान साहित्यकार प्रेमचंद का, जो उनकी रचनात्मक सजगता और संवेदनशील साहित्यिक प्रेम को दर्शाता है। प्रेमचंद हिंदी साहित्य का एक ऐसा नाम…

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एक और स्वप्न

एक और स्वप्न बाहर तेज गर्जना के साथ बारिश हो रही थी, रात गहराने लगी थी। मैं भी रसोई और अन्य सारे कार्यों से निपट कर बस बिस्तर पर पड़ ही जाना चाह रही थी कि अचानक फोन की घंटी बज उठी। उधर नयना दीदी थी, भर्राई हुई आवाज में उन्होंने कहा-“प्रोफ़ेसर साहब नहीं रहें।”मैं…

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गुरुपूर्णिमा पर विशेष

गुरुपूर्णिमा पर विशेष अपने राष्ट्र और सामाजिक जीवन में गुरुपूर्णिमा-आषाढ़ पूर्णिमा अत्यंत महत्वपूर्ण उत्सव है। व्यास महर्षि आदिगुरु हैं। उन्होंने मानव जीवन को गुणों पर निर्धारित करते हुए उन महान आदर्शों को व्यवस्थित रूप में समाज के सामने रखा। हनुमान चालीसा हम सब को कंठस्थ है, प्रथम दोहे में ही कहा गया है “श्री गुरुचरण…

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