इन्तजार

इन्तजार गत चार सालों से उर्मि रांची के मानसिक चिकित्सालय में जिन्दगी के मनहूस दिन काट रही है । हर शाम उसे किसी न किसी का इन्तजार रहता है । आँखें दरवाजे पर लगी रहती हैं शायद कोई आ जाय । किसी मरीज के घरवाले आते हैं किसी के रिश्तेदार मिलकर जाते हैं , पर…

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गाड़ी के दो पहिए

गाड़ी के दो पहिए शोभा रसोई में से आवाज़ दे कर पीयू को बुला रही थी कि “बेटा, रसोई में आकर थोड़ी मेरी काम में मदद कर दे। थोड़ी सी बदाम काट कर दे दे।” पीयू रसोई में अपनी मस्ती में उछलते हुए पहुंची और बोली “क्या मां, आप क्या कर रही हो?” शोभा ने…

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निर्मला

निर्मला आदरणीय प्रेमचंद जी एक महान साहित्यकार थे। उनकी सभी रचनाएं बहुत अच्छी हैं परंतु उन सब में मुझे उनका ‘निर्मला’ उपन्यास सबसे अधिक पसंद है। ‘निर्मला’ बेमेल विवाह और दहेज प्रथा की दुखान्त कहानी है। उपन्यास का लक्ष्य अनमेल-विवाह तथा दहेज़ प्रथा के बुरे प्रभाव को अंकित करता है। निर्मला का विवाह एक अधेड़…

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कफन

कफन उपन्यास सम्राट प्रेमचंद जी के, सभी उपन्यास,कहानियाँ वक्त की नब्ज को पकड़ कर लिखी गईं है।समाज का दर्पण हैं।यूँ तो मुंशी जी की सभी रचनायें अप्रतिम हैं,लेकिन जब किसी एक की पसंद का बात हो तो यकायक बिजली सी कौंध जाती है,स्मृति पटल पर वह रचना,जो किसानों के शोषण,साहूकार,जमींदारों के प्रभुत्व को दर्शाने के…

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यत्र नार्यस्तु पूज्यंते

यत्र नार्यस्तु पूज्यंते पंडित त्रिलोकी प्रसाद मिसिर,स्त्री जाति का बहुत सम्मान करते। कभी भी अपशब्द का प्रयोग नहीं करते उनके लिये ।स्त्री जाति को वे देवी का रूप मानते।उनका विश्वास था जिस घर मे नारी की पूजा होती है,वहाँ देवता निवास करतें हैं। वे अक्सर बनवारी माली,रघु खटीक,ठाकुर हरिसिंग को समझाते,बात बेबात औरतों पर हाथ…

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वजूद

वजूद सच में! आज का दिन ही खूबसूरत था, चमचमाता सूरज, ताज़ी हवा, चहकते पंछी, सुबह सुबह चाय पीकर, जल्दी से नहाने चल दी ‘किरण’। आज कुछ जल्दी भी उठ गई वह या यूं कहो की रात बस करवट बदल बदल कर काटी। आज उसके काम का पहला दिन था कितना कुछ चल रहा था…

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बड़े भाईसाहब

बड़े भाईसाहब प्रेमचंद जी की लिखी हुई यूं तो बहुत सी कहानियाँ हैं जो मुझे पसंद हैं जैसे ईदगाह, बड़े घर की बेटी, दो बैल, हार की जीत, बड़े भाईसाहब, पूस की रात, गरीब की हाय आदि। पर आज मैं “बड़े भाईसाहब” के बारे में यहाँ बताना चाहूंगी। “बड़े भाईसाहब”, कहानी दो भाइयों के बीच…

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हृदय परिवर्तन

हृदय परिवर्तन श्याम दिल्ली की एक गारमेंट्स फैक्ट्री में काम करता था। वह सात साल पहले अपनी बीवी लक्ष्मी, बेटी संगीता और गोदी में खेलते बेटे संजय के साथ यहाँ रायबरेली के एक गाँव से आया था। वह रात-दिन एक करके मेहनत करता था और मन में बच्चों के उज्जवल भविष्य के सपने रखता था।…

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हमारी गुल्लकें

हमारी गुल्लकें ज़िन्दगी क्या है, चंद गुल्लकें जिन्हें हम लमहों, मुलाक़ातों, यादों और अहसासों के सिक्कों से भरते रहते हैं। ये भरती जाती हैं बचपन से लेकर हमारे आखिरी दिनों तक। इन गुल्लकों के कुछ सिक्के तो इतने भारी और असह्य होते हैं कि उनसे छुटकारा पाने को मन करता है और कुछ ऐसे होते…

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सन्नी का कोरोना

सन्नी का कोरोना सन्नी कोने में और दुबककर, खिसककर बैठ गया था। चारों तरफ बीमार लोगों की चीख-पुकार और अस्पताल की गाड़ियां और भाग -दौड़ दिख रही थी। ये माहौल उसे और सहमा रहा था। सिर्फ दस साल का है वो। तीनों भाई-बहनों में सबसे छोटा। बड़ी बहन रोशनी की शादी पिछले साल ही हुयी…

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