बड़े भाईसाहब
बड़े भाईसाहब प्रेमचंद जी की लिखी हुई यूं तो बहुत सी कहानियाँ हैं जो मुझे पसंद हैं जैसे ईदगाह, बड़े घर की बेटी, दो बैल, हार की जीत, बड़े भाईसाहब, पूस की रात, गरीब की हाय आदि। पर आज मैं “बड़े भाईसाहब” के बारे में यहाँ बताना चाहूंगी। “बड़े भाईसाहब”, कहानी दो भाइयों के बीच…
हृदय परिवर्तन
हृदय परिवर्तन श्याम दिल्ली की एक गारमेंट्स फैक्ट्री में काम करता था। वह सात साल पहले अपनी बीवी लक्ष्मी, बेटी संगीता और गोदी में खेलते बेटे संजय के साथ यहाँ रायबरेली के एक गाँव से आया था। वह रात-दिन एक करके मेहनत करता था और मन में बच्चों के उज्जवल भविष्य के सपने रखता था।…
हमारी गुल्लकें
हमारी गुल्लकें ज़िन्दगी क्या है, चंद गुल्लकें जिन्हें हम लमहों, मुलाक़ातों, यादों और अहसासों के सिक्कों से भरते रहते हैं। ये भरती जाती हैं बचपन से लेकर हमारे आखिरी दिनों तक। इन गुल्लकों के कुछ सिक्के तो इतने भारी और असह्य होते हैं कि उनसे छुटकारा पाने को मन करता है और कुछ ऐसे होते…
सन्नी का कोरोना
सन्नी का कोरोना सन्नी कोने में और दुबककर, खिसककर बैठ गया था। चारों तरफ बीमार लोगों की चीख-पुकार और अस्पताल की गाड़ियां और भाग -दौड़ दिख रही थी। ये माहौल उसे और सहमा रहा था। सिर्फ दस साल का है वो। तीनों भाई-बहनों में सबसे छोटा। बड़ी बहन रोशनी की शादी पिछले साल ही हुयी…
सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच “अरे !यह तो रजत है।”आश्चर्य से मीनू मैडम बोली।लाइब्रेरी में अखबार पढ़ते हुए उनकी नजर अखबार के प्रथम पृष्ठ पर बड़े अक्षरों में यूपीएससी का रिजल्ट और साथ में हाई रैंक कैंडिडेट का नाम फोटो के साथ छपी थी, वहां टिक गई। “यह देखो अपना रजत उसकी फोटो छपी है। इसी विद्यालय से…
रंगभूमि
रंगभूमि प्रेमचंद ने अपने लेखन की शुरुआत आदर्शात्मक रुझान से की थी। प्रेमचंद अपने संक्षिप्त रचना काल में कई मार्गों पर चले और कुछ दूर चलकर अगर उन्हें खटका होता था तो राह बदल लेते थे। सुधार वाद ,आदर्शवाद ,गांधीवाद और साम्यवाद यह सभी उनके मार्ग रहे। हिंदी कथा साहित्य को जीवन की यथार्थता और…
मोटेराम जी शास्त्री
मोटेराम जी शास्त्री कौआ चला हँस की चाल, अपनी भी भूल गया, प्रस्तुत पंक्ति ही जैसे आधार है मुंशी प्रेमचंद जी की हास्य कथा पंड़ित मोटेराम जी शास्त्री का। बड़े ही सरल एवं सहज भाव से इस पूरी कहानी को आकार दिया है मुंशी जी ने। बहुत ही कम पात्रों के साथ इस कहानी का…