नयी दिशा

नयी दिशा धूप-गुगुल के सुगंध से सुवासित और स्त्रियों के शुभ मंगल गान से गुंजायमान था हरिपुर गांव का वातावरण। लाल-पीली साड़ियों में स्त्रियाँ, धोती-कुर्ते में पुरुष और रंग-बिरंगे परिधानों में सजे बच्चे-बच्चियाँ उत्सव सा माहौल बना रहे थे,उनके परिधान सुख-समृद्धि की गवाही दे रहे थे।सब के चेहरे से संतुष्टि और खुशी झलक रही थी।अवसर…

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कलम के सिपाही

कलम के सिपाही सादर नमन महान उपन्यासकार, कथाकार धनपत राय को। कालजयी कथाकार मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं का संसार इतना बृहत् है कि उस में डुबकी लगाकर उनकी किसी रचना विशेष को चुनना अनंत गहरे सागर में मोती चुनने के समान है। ‘कलम के जादूगर’की जादूगरी में से यदि किसी एक कृति को चुनने को…

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संस्कार

संस्कार वैष्णव जन तो तेने कहिये जे, पीर पराई जाने रे.. नरसी मेहता का भजन नेपथ्य में कहीं चल रहा था । ” पर दु:खे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे..” सरला बेन भी साथ में गुनगुनाने लगीं । मिहिका सामने बैठी अपनी वृद्धा विधवा माँ के चेहरे की रुहानियत और मासूमियत को…

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सूरदास

सूरदास हिंदी – उर्दू साहित्य के विराट नभ पर दिवाकर सा दैदीप्यमान एक नाम – मुंशी प्रेमचंद । प्रेमचंद एक ऐसे कथाकार थे जिन्होंने साहित्य को सामाजिक परिवर्तन का सशक्त माध्यम बनाते हुए , अपनी कहानियों और उपन्यासों में किसानों, दलितों, श्रमिकों की दयनीय स्थिति का और स्त्री शोषण का मार्मिक चित्रण किया । उनकी…

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बूढ़ी काकी

बूढ़ी काकी हिंदी कहानी विधा में मुंशी प्रेमचंद का नाम सर्वोपरि है | मानव समाज की अनुभूतियों संवेदनाओं, एवं व्यवहार का यथार्थ चित्रण करती हुई प्रेमचंद जी की रचनाएं पाठक के हृदय को सीधे स्पर्श करती हैं | पाठक स्वयं को कहानी का एक पात्र समझकर उन कहानियों में खो सा जाता है | आगे…

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सम्मान

सम्मान कुली ने मनोरमा से रुपये लिए और अपनी पहली बोहनी को मस्तक पर लगाकर ट्रेन से नीचे उतर गया | खुशी के कमल मन में सजाए मनोरमा पहली बार छब्बीस जनवरी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इलाहाबाद से दिल्ली जा रही थी | पास वाली सीट पर बैठा युवक मोबाइल में न…

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नमक का दरोगा

नमक का दारोगा हिंदी साहित्य के इतिहास में उपन्यास और कहानियों की बात हो और मुंशी प्रेमचंद का नाम न हो ऐसा हो ही नहीं सकता है। प्रेमचंद युगांतकारी कथाकार हैं ।इनकी कहानियों में किसानों की दयनीय दशा सामाजिक बंधनों में तड़पती नारियों की वेदना वर्ण व्यवस्था का खोखलापन हरिजनों की पीड़ा आदि का बड़ा…

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करिआ फुआ

करिआ फुआ माँ, आज करिया फुआ नहीं आई ? मैं शहर से उनके लिए उनके मनपसंद रंग की साड़ी लाया हूँ । सुमित मैं तुम्हें बताना भूल गई थी वह पिछले दो हफ्ते से घर पर नहीं आ रही है बहुत बीमार है। ठीक है, मैं उनके घर जाकर ही उनसे मिल कर आता हूँ।…

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बूढ़ी काकी

बूढ़ी काकी हिंदी कहानीकारों में मुंशी प्रेमचंद जी का प्रमुख स्थान है। उनकी कहानियां निम्न वर्ग को दर्शाती है। मानव समाज और जीवन के यथार्थ को दिखाना है उनकी कहानियों को विशेष बना देता है ।उनकी सभी कहानियां मर्मस्पर्शी है पर मुझे उनकी कहानी “बूढ़ी काकी” बहुत पसंद है। यह सामाजिक समस्या पर केंद्रित उत्सुकता…

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