बेटियाँं
बेटियाँं बेटियाँ—उफ़!ये बेटियाँ क्यों इतनी प्यारी होती हैं बेटियां? पिता की लाडली मां की आंखों की नूर होती है बेटियां क्यों इतनी प्यारी होती हैं बेटियां? कभी पकड़कर आँचल माँ का चलती थी लड़खड़ाते कदमों से हो जाती हैं सयानी क्यों इतनी जल्दी ये बेटियाँ? सखियों सी माँ के साथ खिलखिलाती हैं बेटियाँ पिता की…