ओठंगनी

ओठंगनी ———— शुद्ध घी से भरी कड़ाही आटे में गुड़ और घी का मोयन निर्जला उपवास रखी अम्मा के हाथों की प्यार भरी थपकियों से बनी रोटी और कड़ाही में डालते ही फैल जाती थी खुशबू ओठंगन की दादी ने बताया था जितने बेटे होते हैं बनते हैं उतने ही ओठंगन चौखट पर खड़ी हम…

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तुम में ही खुद की तलाश है

तुम में ही खुद की तलाश है लोग कहते है तू मेरी परछाई है मैं कहती हूँ तू मुझमे है मैं तुझमे हूँ ये क्या एहसास है कि तुम में ही खुद की तलाश है ज़ब भी देखूँ तुम्हे मेरा अक्स नज़र आये आइना है मेरा तू ,तुझे देख ही श्रृंगार हो जाये ये क्या…

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तुम में ही खुद की तलाश है

तुम में ही खुद की तलाश है लोग कहते है तू मेरी परछाई है मैं कहती हूँ तू मुझमे है मैं तुझमे हूँ ये क्या एहसास है कि तुम में ही खुद की तलाश है ज़ब भी देखूँ तुम्हे मेरा अक्स नज़र आये आइना है मेरा तू ,तुझे देख ही श्रृंगार हो जाये ये क्या…

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तुम में ही खुद की तलाश है

तुम में ही खुद की तलाश है लोग कहते है तू मेरी परछाई है मैं कहती हूँ तू मुझमे है मैं तुझमे हूँ ये क्या एहसास है कि तुम में ही खुद की तलाश है ज़ब भी देखूँ तुम्हे मेरा अक्स नज़र आये आइना है मेरा तू ,तुझे देख ही श्रृंगार हो जाये ये क्या…

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बेटियाँं

बेटियाँं बेटियाँ—उफ़!ये बेटियाँ क्यों इतनी प्यारी होती हैं बेटियां? पिता की लाडली मां की आंखों की नूर होती है बेटियां क्यों इतनी प्यारी होती हैं बेटियां? कभी पकड़कर आँचल माँ का चलती थी लड़खड़ाते कदमों से हो जाती हैं सयानी क्यों इतनी जल्दी ये बेटियाँ? सखियों सी माँ के साथ खिलखिलाती हैं बेटियाँ पिता की…

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कन्या

कन्या वृष्टि प्रथम बूँद सा निर्मल मीन समान सुनयन सजल! सृष्टि सृजित सुमन सुकर नव कुसुमित रक्तिम अधर! इह लौकिक पारलौकिक सुख नृत्य नित्य करती सहज सगर ! कोर अवतरित यदा सुकन्या हुई जननी संग कुटुम्ब धन्या! नृत्यति सुरभित सकला मही प्रभु तव नत शीश पितामही ! डॉ भारती झा 0

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बेटी

बेटी बेटे बेटी के मसलों ‌को,कब तक उलझाओगे प्यारे रिश्तों को कब तक भरमाओगे। अनमोल हैं माता पिता ‌के दोनों समाज,कब तक भ्रम फैलाओगे। श्री रूप धर आई बेटियाँ सरस्वती बन पधारी बेटियाँ अपनी उपस्थिति से घर को महकाती हैं जानकी की अवतार हैं बेटियाँ। संस्कृतियों का संगम हैं ये संस्कारों की धरोहर हैं ये…

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मेरी बेटियाँ:मेरी शान

मेरी बेटियाँ:मेरी शान लोग गलत थे जो कहते थे अक्सर, बेटों से चलता परिवार है, जो कहते थे मेरा बेटा मेरे घर की शान है, आज उनका घर खाली पड़ा श्मशान है, बेटियों से ही बढ़ती हर घर की शान है, बेटियाँ ही माता पिता का अभिमान हैं। खुद रहते हैं वो अब वृद्धाश्रम में…

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प्रतिबंध

प्रतिबंध बेटियां खिलखिलाती रहनी चाहिए बेटियों के खिलखिलाने से बसते हैं घर बेटियां मुस्कुराती रहनी चाहिए बेटियों के मुस्कुराने से बसते हैं घर.. पर बेटियों को खुलकर मुस्कुराने या फिर खिलखिलाने की इजाज़त ही कब थी? लड़कियां यू़ँ बिना बात के खीं खीं करती अच्छी नहीं लगती यहीं तो कहते रहे मां बापू चुनिया और…

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