संप्रभु भारत में गणतंत्र दिवस

संप्रभु भारत में गणतंत्र दिवस प्रत्येक भारतीय के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण दिन हैं: १५ अगस्त को मनाए जाने वाला स्वतंत्रता दिवस और २६ जनवरी को मनाए जाना वाला गणतंत्र दिवस। दोनों के बीच बुनियादी अंतर यह है कि १५ अगस्त १९४७ को भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की, लेकिन १९५० में देश के संविधान को…

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मैं बुद्ध नहीं होना चाहती

मैं बुद्ध नहीं होना चाहती बुद्ध हो सकती थी मैं—- पर मैंने पति को भगवान मान लिया उसकी चाह, उसकी ख़ुशी को अपना सम्मान मान लिया छोड़ दूँ नवजात को ,रात सुनसान , है अंधेरा तू माँ कहलाने लायक़ नहीं , हृदय पाषाण है तेरा बूढ़े सास ससुर , जिनकी सेवा का मिला था उपदेश…

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बचपन के चंद लम्हे

बचपन के चंद लम्हे पचास वर्ष से अधिक की जिंदगी को मात्र एक पन्ने में पिरोना नामुमकिन सा लग रहा है, क्या लिखे क्या छोड़े। बहुत सुखद यादों में से २ बाते मां को समर्पित है। जिनको कभी व्यक्त नहीं कर पाई। मेरा जीवन उनके योगदान से पूर्ण है ____ भरा पूरा आंगन ,दादी-बाबा ,चाचा-बुआ…

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वृंदावन की होली

वृंदावन की होली आज जो चली वृंदावन की टोली गीतों की मीठी सुरम्य बोली लगी थाप ढोल पर धमक-धम थिरक-थिरक रंगों की झोली हंसते-हंसते नज़रें झुकीं भोली। गगनांगन में मची धूम वृंदावन की मिट्टी राग रंगी लाल, पीली, नीली, काली धरा भूरी, यमुना काली गोवर्धन की काया हरी-भरी कदम्ब पेड़ हुआ भर-भर पीला उबटन और…

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आवाज

आवाज राधिका ने एक बार फिर घड़ी देखी। बार-बार घड़ी देखने से समय नहीं बदल जाता। इस फैक्टरी में काम करते हुए चार साल हो गए हैं उसे। यहाँ शर्ट बनते हैं और उसका काम है कॉलर लगाना। जब शुरू में आई थी तब केवल कपड़ों के ढेर को ठीक करती थी। फिर धीरे-धीरे काम…

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वास्तविक आजादी से दूर

  वास्तविक आजादी से दूर हम भारतवासी पिछले 70 वर्षों से आज़ादी की खुशफ़हमी में जरूर जी रहे हैं, परन्तु क्या वास्तव में हम स्वछन्द, स्वतन्त्र और निर्भीक जीवन बिता पा रहे हैं। आज भी देश का एक बड़ा वर्ग जीवन के मूलभूत आवश्यकताओं, जैसे, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्याप्त सन्तुलित आहार इत्यादि से भी वंचित है।…

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सौभाग्यवती रहूँ सदा

सौभाग्यवती रहूं सद तेरे प्रेम के सिंदूर से मेरा जीवन हो सप्तरंग तेरे स्नेह की बिंदिया से फिले रहे मेरा मुख तेरे विश्वास की चुडिय़ां से खनकती रहे मन तेरा मंगल होना ही मेरा मंगलसूत्र रहे तेरी खुशियों ही मेरे पायल की छुनछुन रहे तेरी सफलता की खुशी से ओठ सुर्ख लाल रहे तुझे न…

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मन मंदिर में बस गए राम

मन मंदिर में बस गए राम अयोध्या में आयी पुण्य बेला, साकार हुई जो बसी छवि। दिशाएं सुरभित, देव मगन, विस्मित, हर्षित है आज रवि। भक्तों के सपने आकार ले रहे, पीयूषवन्त छवि नयनाभिराम। मन मंदिर में बस गए राम। लंबे संघर्ष का विकट काल, भूला नहीं रक्तिम इतिहास। प्राणों की आहुतियाँ पड़ी यहाँ, तब…

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तलाश एक पहचान की

  तलाश एक पहचान की चौदह अक्टूबर उन्नीस सौ इकहत्तर (14 – 10-71)को छतीसगढ़ के रायपुर जिला के एक छोटे से गांव में स्वर्गीय श्री दिलीप सिंह जी के द्वितीय पुत्र श्री खोमलाल जी वर्मा (स्व.) सम्पन्न कृषक के प्रथम संतान के रूप में मेरा जन्म हुआ। दुर्भाग्य से उन दिनों ल़डकियों को जन्म देना…

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