कुछ नया सा

कुछ नया सा अंजलि को जब भी घबराहट महसूस होती है, वह अपने नाखून चबाने लगती है। कितनी बार उसने यह आदत छोड़ने की कोशिश की, लेकिन जाने अनजाने यह हो जाता है। अविनाश ने कितनी बार टोका होगा – लेकिन आदत तो छूटती नहीं। अब यही देखो ना, अविनाश को भूलने की कोशिश भी…

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लता मंगेशकर: मानवता को उपहार

लता मंगेशकर: मानवता को उपहार लता मंगेशकर जैसी विभूतियाँ इस धरा पर कभी-कदा ही अवतरित होती हैं। वे मानवता को मिला दैवी उपहार हैं। स्वर साम्राज्ञी ने आम और खास सबके दिल पर राज किया। उन्हें कई पुरस्कार मिले पर वे किसी पुरस्कार की मोहताज नहीं रहीं। चार पीढ़ियों को अपने सुर से उपकृत करने…

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अंतरराष्ट्रीय वातायन सम्मान-समारोह डॉ. कमल किशोर गोयनका और श्री गीत चतुर्वेदी सम्मानित

  एक शानदार अंतरराष्ट्रीय वातायन सम्मान-समारोह डॉ. कमल किशोर गोयनका और श्री गीत चतुर्वेदी सम्मानित लंदन, 5 फ़रवरी 2022: बसंत महोत्सव पर केंद्रीय हिंदी संस्थान के तत्वावधान में आयोजित वातायन के अंतरराष्ट्रीय वार्षिक सम्मान समारोह में प्रख्यात लेखक डॉ कमल किशोर गोयनका जी को वातायन शिखर सम्मान (लाइफ़-टाइम अचीवमेंट) और लोकप्रिय और प्रसिद्ध लेखक गीत…

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शार्दुला नोगजा की कविताएँ

शार्दुला नोगजा की कविताएँ     सर्वे सन्तु निरामया! दी रचा स्वर्णिम धरा ने अल्पना ओ समय के रथ ज़रा मद्धम चलो! है सकूरा और जूही की गली ओ सुगन्धा चाँदनी में न जलो!   जैसे पूर्वाभास से भयभीत हो जल छिड़क माँ मंत्र बुद-बुद बोलती मानवों के क्षेम को व्याकुल धरा गाँठ अदरक,  हरिद्रा…

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लाकडाउन में आभार

लाकडाउन में आभार “बिट्टू,जल्दी नहा कर आओ। रामायण शुरू होने में 20 मिनट रह गए हैं,” नानी की आवाज़ आई। “क्या मम्मी, टीवी का ही तो शो है। कोई मंदिर थोड़े ही ना जा रहे हैं कि नानी रोज सुबह-सुबह नैहलवा देती हैं,”बिट्टू ठुनक रहा था। “हां बेटा,नानी का मानना है कि भगवान राम के…

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इंग्लिश  समुद्री  डाकू  और  मुग़ल  सल्तनत 

                                                                            इंग्लिश  समुद्री  डाकू  और  मुग़ल  सल्तनत           इंग्लैंड के संसद भवन में प्रमुख द्वार…

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बाजीगर

बाजीगर बैठी हूं आसमान तले सामने लहरों का बाजार है , उन्मादीत लहरों के दिखते अच्छे नहीं आसार हैं । अब उफनाती लहरों से कह दो राह मेरी छोड़ दे, बैठी हूं चट्टान बनकर रुख अपना मोड़ ले । ज्वार भाटा से निकली प्रचंड अग्नि का सैलाब हूं, हैवानियत को जलाकर खाक करने वाली आग…

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ऐसी कोई रात कहाँ

ऐसी कोई रात कहाँ ऐसी कोई रात कहाँ है, जिसकी कोख से सुबह ना निकले ! दुख का सीना चीर के सुख का सूरज तो हर हाल में निकले ! ऐसा कोई दर्द कहाँ है, जिससे कोई गीत ना निकले ! ऐसी कोई बात कहाँ है जिससे कोई बात ना निकले ! कहाँ कभी एक…

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हिन्दी भाषा – आज के परिवेश में

हिन्दी भाषा – आज के परिवेश में अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी दिवस हाल में ही मनाया गया है | बधाइयों का दौर देश विदेश भर में चलें और सोशल मीडिया की भी शान बना | हिन्दी को अक्षुण्ण रखने की कसमें भी खूब खाई गईं | अनेकानेक चिंतायें प्रकट की जा रही थी कि इस दौर मे…

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