आवाज

आवाज राधिका ने एक बार फिर घड़ी देखी। बार-बार घड़ी देखने से समय नहीं बदल जाता। इस फैक्टरी में काम करते हुए चार साल हो गए हैं उसे। यहाँ शर्ट बनते हैं और उसका काम है कॉलर लगाना। जब शुरू में आई थी तब केवल कपड़ों के ढेर को ठीक करती थी। फिर धीरे-धीरे काम…

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गणिका

गणिका ‘चरित्रहीन हो, बेगैरत हो, हो निर्लज्ज और कुल्टा’ ऐसे कितने तीर चला कर कहते हो मुझको गणिका ! शफ्फाक वस्त्र में सजे हुये, पर अंदर से उतने मटमैले, रुतबे वाले ,रँगे सियार, इस समाज में हैं फैले ! भूल के अपनी मर्यादा औ’ भूल के पत्नी का वह प्यार , काम पिपासा के कामातुर,…

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मैं भूत बनकर आऊँगी

मैं भूत बनकर आऊँगी मैं भूत बनकर आऊँगी सुनो, मैं भूत बनकर आऊँगी ये जो मैं रोज़ तिल-तिल कर मरती हूँ ना उससे मैं थोड़ा-थोड़ा भूत बनती हूँ मुझे यक़ीन है, मैं जल्द ही पूरा मर जाऊँगी मैं जल्द ही पूरा बन जाऊँगी सुनो, मैं भूत बन कर आऊँगी और तुम्हारी गंदी नज़रों की रेखाओं…

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ढूँड़ो अगर मिलता भी है

ढूँड़ो अगर मिलता भी है तूफ़ाँ भी है ठहरा हुआ, दर पे दिया रक्खा भी है रास्ता भी है, मौक़ा भी है, देखें कोई आता भी है क्या क्या सितम,क्या क्या ग़ज़ब, क्या क्या ख़लिश, क्या क्या तलब अब तो हम ज़िन्दा भी हैं अब तक तो दिल प्यासा भी है हर इक क़दम भटके…

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तू सबला है

तू सबला है तेरे आँचल से अमृत पी संसार पनपता खिलता है प्रेम, त्याग उपनाम हैं तेरे गंगा सी सरल सहजता है कर कोटि नमन माँ पन्ना को अपनी शक्ति पहचान ले तू सबला है मान ले ।। लक्ष्मी तू, अन्नपूर्णा तू घर तुझसे ही तो सजता है चट्टानों सी दृढ़ता तुझमें धरती सा धीरज…

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पीली कोठी

पीली कोठी आज सुबह से पीली कोठी के पिछले भाग में खूब सारी हलचल मची थी। पीली कोठी का पिछला हिस्सा अब पीला भी कहाँ रहा। हल्के गुलाबी और हरे रंगों में सराबोर वह अब इस पीली कोठी का हिस्सा ही नहीं लगता। शायद कोई ब्याह शादी होगी। प्रतिभा का मन हुआ कि उधर जाए…

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सच्चे प्यार की परिभाषा

सच्चे प्यार की परिभाषा एम्बुलेंस १०० की स्पीड में सड़क पर दौड़ रही थी। अंदर नर्स कोयल को संभालने का भरसक प्रत्यन कर रही थी। मुँह पर लगे ऑक्सीज़न मास्क के बाबजूद कोयल की उखड़ी साँसे सामान्य नहीं हो पा रही थी। कोयल राज का हाथ पकड़े तड़प रही थी। उसकी बड़ी बड़ी आँखे बहुत…

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शार्दुला की कलम से

सच कहूँ तेरे बिना! सच कहूँ तेरे बिना ठंडे तवे सी ज़िंदगानी और मन भूखा सा बच्चा एक रोटी ढूँढता है चाँद आधा, आधे नंबर पा के रोती एक बच्ची और सूरज अनमने टीचर सा खुल के ऊंघता है ! आस जैसे सीढ़ियों पे बैठ जाए थक पुजारिन और मंदिर में रहे ज्यों देव का…

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