ओठंगनी

ओठंगनी ———— शुद्ध घी से भरी कड़ाही आटे में गुड़ और घी का मोयन निर्जला उपवास रखी अम्मा के हाथों की प्यार भरी थपकियों से बनी रोटी और कड़ाही में डालते ही फैल जाती थी खुशबू ओठंगन की दादी ने बताया था जितने बेटे होते हैं बनते हैं उतने ही ओठंगन चौखट पर खड़ी हम…

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उठो हमारा सलाम ले लो

उठो हमारा सलाम ले लो क्या ख़ूबसूरत इत्तेफ़ाक है कि वैलेंटाइन डे के दिन ही आज हिंदी सिनेमा की वीनस कही जाने वाली मधुबाला जी का भी जन्मदिन है। शोख़, चुलबुली अदाओं के साथ-साथ साथ संजीदा अभिनय में भी माहिर करोड़ों दिलों की धड़कन मधुबाला का दिलीप कुमार साहब के साथ असफल प्रेम और किशोर…

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हमारी त्वचा

हमारी त्वचा स्वस्थ एवं सुंदर त्वचा, निखरा हुआ रंग हरेक की चाहत होती है। आइए पहले जानते हैं कि आखिर यह त्वचा है क्या? त्वचा शरीर का वाह्य आवरण है जिसे एपिडर्मिस भी कहते हैं। यह शरीर प्रणाली का सबसे बड़ा अंग है और उपकला उत्तक की कई परतों द्वारा बनता है ।अंतर्निहित मांसपेशियों, अस्थियों,…

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मेरी प्रिय, प्रथमा

मेरी प्रिय, प्रथमा ” हमारी सभ्यता, साहित्य पर आधारित है और आज हम जो कुछ भी हैं, अपने साहित्य के बदौलत ही हैं।”- यह उद्गार है महान साहित्यकार प्रेमचंद का, जो उनकी रचनात्मक सजगता और संवेदनशील साहित्यिक प्रेम को दर्शाता है। प्रेमचंद हिंदी साहित्य का एक ऐसा नाम है, जिसने हिंदी कथा लेखन के संपूर्ण…

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पलाश

पलाश ’’माँ…….माँ ………. हमारे खेत की मुँडेर पर जो पेड़ लगे हैं उन पर कितने सुन्दर फूल आऐं हैं, देखा तुमने?” “वह तो हर साल आते हैं……. इन्हीं दिनों, होली के समय……… टेसू कहते हैं उसे….” “माँ….उन फूलों का रंग कितना सुन्दर है, गहरा पीला…नारंगी…….. कहीं कहीं काले धब्बे हैं पर माँ ऐसा लग रहा…

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दस्तक

दस्तक सुबह से तीन बार कमर्शियल कॉल को मना कर चुकी हूँ कि उसे पुरानी कार नहीं चाहिए। अपनी अलमारी के सभी शॉल वापस तह कर चुकी हूँ। माया ने घड़ी फिर से देखा। लगा समय आगे हीं नहीं बढ़ रहा है। कोविड के कारण आना-जाना लगभग बंद ही है। दोस्त भी ‘थोड़ा कम हो,…

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भारत के महानायक:गाथावली स्वतंत्रता से समुन्नति की- भीकाजी कामा

मेडम भीकाजी रूस्तम कामा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्रवादी आंदोलन की प्रमुख नेता रहीं। भीकाजी कामा का जन्म 24 सितंबर, 1861 को बंबई (मुंबई) में पारसी समुदाय के एक अमीर एवं मशहूर शख्सियत भीकाई सोराब जी व जीजा बाई पटेल के घर हुआ था। उनका परिवार आधुनिक विचारों वाला था और इसका उन्‍हें काफी लाभ…

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कुछ नया सा

कुछ नया सा अंजलि को जब भी घबराहट महसूस होती है, वह अपने नाखून चबाने लगती है। कितनी बार उसने यह आदत छोड़ने की कोशिश की, लेकिन जाने अनजाने यह हो जाता है। अविनाश ने कितनी बार टोका होगा – लेकिन आदत तो छूटती नहीं। अब यही देखो ना, अविनाश को भूलने की कोशिश भी…

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