तेरे शरण हम आए प्रभु

तेरे शरण हम आए प्रभु ईश्वर, अल्लाह, ईशा , वाहे गुरु तेरे शरण हम आए प्रभु.. कोरोना से हाहाकार मचा है अब ना कोई देश बचा है.. तेरे शरण हम आए प्रभु.. आप ही अब रखवाला प्रभु.. चेहरे पर सबके मास्क है गंभीर बड़ा ये टास्क है जनजीवन त्राहि त्राहि है चैन कहीं भी नहीं…

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सबसे बड़ी पराजय

सबसे बड़ी पराजय सरिता से हमारा परिचय फेसबुक पर ही हुआ था।वह हमारें उन तमाम मित्रों में से एक थी,जो फेसबुक की सूची में थे और पोस्टों पर लाइक या कॉमेंट कर देते थे।व्यक्तिगत एक दूसरे को नहीं जानते थे।लड़कियों के मामले में मैं अपनी ओर से संकोचशील ही रहता था;यानी येन केन प्रकारेण,जल्दी जल्दी…

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“आज़ाद हूँ……”

“आज़ाद हूँ……” पल दो पल की बातें नहीं, ख़्यालात लिख रहा हूँ उठ रहे मन में अनेकों सैलाब, बहाव लिख रहा हूँ आज़ाद हूँ , आज़ादी की जज़्बात लिख रहा हूँ अबकी आज़ादी, खुद को “आज़ाद” लिख रहा हूँ “आज़ाद हूँ”…, “आज़ाद” लिख रहा हूँ……….!! किसने क्या कहा, किसने क्या किया कल पर छोड़ता हूँ,…

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कहानी ‘मेला’ एक वैचारिक दृष्टिकोण

कहानी ‘मेला’ एक वैचारिक दृष्टिकोण साहित्य संसार की प्रतिष्ठित कथाकर, जो, केवल कहानियों में ही नहीं, नाटक, उपन्यास, कविता, निबंध, पत्रकारिता,लगभग साहित्य की अधिकांश विधाओं में अपना हस्तक्षेप रखतीं हैं और अपने लेखन के लिये अनेक साहित्य सम्मान से नवाज़ी गईं हैं। प्रबुद्ध, सरल -सहज, सौम्य, चेहरे पर,निर्बाध, निश्छल हँसी ऐसे दिखती है,जैसे पूस में…

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गुदड़ी के लाल – शास्त्री जी

गुदड़ी के लाल – शास्त्री जी उस छोटे से शहर में लाल बहादुर की स्कूली शिक्षा कुछ खास नहीं रही। लेकिन गरीबी की मार पड़ने के बावजूद उनका बचपन पर्याप्त रूप से खुशहाल बीता। उन्हें वाराणसी में चाचा के साथ रहने के लिए भेज दिया गया था ताकि वे उच्च विद्यालय की शिक्षा प्राप्त कर…

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कलम के सिपाही

कलम के सिपाही सादर नमन महान उपन्यासकार, कथाकार धनपत राय को। कालजयी कथाकार मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं का संसार इतना बृहत् है कि उस में डुबकी लगाकर उनकी किसी रचना विशेष को चुनना अनंत गहरे सागर में मोती चुनने के समान है। ‘कलम के जादूगर’की जादूगरी में से यदि किसी एक कृति को चुनने को…

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जब टूट गया था बांध 

जब टूट गया था बांध  कहीं दूर आंखों की पुतलियों के क्षितिज के पार जब टूट गया था बांध उस रोज…. नमक… समुद्र हो गया था.. मन डूबा था अथाह जलराशि की सीमाहीन धैर्य तोड़ती सीमाएं एक सीप के एहसासों के कवच में जा समायी थी और जन्म हो गया था एक स्वेत बिंदु मोती…

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मैं कतरा कतरा

मैं कतरा कतरा मैं क़तरा क़तरा अन्तस् का लो तुम्हें समर्पित करती हूँ। बस याद में तेरी दीपक सी प्रिय लौ बनकर मैं जलती हूँ। मेरे जीवन के मरुथल में, तुम ही पानी की धार बने। पतझड़ के मौसम में प्रियतम, तुम साँसों का आधार बने। अब दरस की आस में अँखियों से, मैं स्वयं…

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