मंजु श्रीवास्तव ‘मन’ की कविताएं

मंजु श्रीवास्तव ‘मन’ की कविताएं १.चाँद  चाँद के रूप का क्या कहना है , चाँद आसमां का गहना है , रात निखरती चाँद के संग में, क्योंकि वह उसकी बहना है।   चाँद न होता, अमा न होती, बस तारों की सभा ही होती, बुझा बुझा सा गगन सिसकता, कभी रात फिर जवाँ न होती…

Read More

औरत ,औरत की दुश्मन

प्रायः यह जुमला सुनने को मिल ही जाता है जब कभी किसी औरत को दूसरी औरत द्वारा प्रताड़ित या परेशान किया जाता है। काफ़ी लोगों का यह मानना है कि अधिकतर औरत ही औरत की परेशानी का कारण होती है। यदि हम आस – पास नज़र डालें और औरतों के प्रति हो रहे अपराधों के…

Read More

दीप जलायें

दीप जलायें कोई न होअन्धविश्वासी ऐसे मानव को सजग बनायें, आओ नव सृजन कर एक युग बनायें, कोई भूखा न सोये ऐसा कुछ कर जायें आओ मिल दीनमुक्त बान्धव बनायें, कोई गरीबी में न जीये, ऐसा निर्धन मुक्त देश बनायें, आओ मिलकर समृद्ध समाज बनायें, कोई न रहे अनपढ़ ऐसा ज्ञान -अलख जगायें, आओ मिल…

Read More

डायबिटीज 

डायबिटीज    डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमे रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है। ब्लड में बहुत अधिक ग्लूकोज होने से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं और यदि ब्लड ग्लूकोज, जिसे ब्लड शुगर के रूप में भी जाना जाता है, किसी भी व्यक्ति में बहुत अधिक हो सकता है, इसे…

Read More

सम्मान

सम्मान कुली ने मनोरमा से रुपये लिए और अपनी पहली बोहनी को मस्तक पर लगाकर ट्रेन से नीचे उतर गया | खुशी के कमल मन में सजाए मनोरमा पहली बार छब्बीस जनवरी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए इलाहाबाद से दिल्ली जा रही थी | पास वाली सीट पर बैठा युवक मोबाइल में न…

Read More

My Dad

My Dad Dear Dad, I thank you! To me it was told, of times before I could remember, How on Sundays Dad used to feed me. Once I blew a mouthful of spinach on him And his white, starched ironed Sunday cotton shirt, Turned out looking spotted, with dark green spots. Spinach I didn’t like,…

Read More

पर्यावरण में फिर से हरा रंग भरें

पर्यावरण में फिर से हरा रंग भरें आओ मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था को हम हरित करें, इस बेरंग होते पर्यावरण में फिर से हरा रंग भरें। ग्लोबल वार्मिंग जो हो रहा भूमंडल नाशक है, पेड़ों के काटने से जो बनी स्तिथी नाजुक है. आओ मिलकर कोई उपाए हम त्वरित करें, इस बेरंग होते पर्यावरण में फिर…

Read More

पर्यावरण दिवस

पर्यावरण दिवस सूखी नदियाँ,सूखी धरती सिसक उठी करती चित्कार, मैली कितनी अब होऊँगी अब सब मिलो, करो विचार। बहा दिया तुम नाली कीचड़ नदी पवित्र इस गंगा में अपने जन से रक्तपात कर रक्त बहाया दंगा में। जंगल काटे,काटे पौधे काट दिए तुम पर्वत को, अपने सुख में मानव तूँ ने बढ़ा दिया है नफरत…

Read More

यू आर माय वैलेंटाइन

यू आर माय वैलेंटाइन मैं और तुम दो अलग अलग चेहरे दिल शरीर जान आत्मा व्यक्तित्व परिवार दोस्त वातावरण फिर भी हम ऐसे एक दूसरे मे यूं समाहित हुए मेरा सब कुछ हुआ तेरा तेरा सब कुछ हुआ मेरा तेरा मान सम्मान स्वभिमान सुख दुःख सफलता धन सम्पत्ति परिवार जिम्मेदारी हुई मेरी और मेरी हुई…

Read More

Glory Of India

Glory Of India May old glory of India always wave, Above tumult in three colours fray, Honour great heroes who are brave, Standing by the ethical justice stay. Rich traditions and heritage true, Robust hearts everywhere rule, Symbol of prayers bear their fruits, Battles are won based on the truth. May haters of our land…

Read More