मंजु श्रीवास्तव ‘मन’ की कविताएं
मंजु श्रीवास्तव ‘मन’ की कविताएं १.चाँद चाँद के रूप का क्या कहना है , चाँद आसमां का गहना है , रात निखरती चाँद के संग में, क्योंकि वह उसकी बहना है। चाँद न होता, अमा न होती, बस तारों की सभा ही होती, बुझा बुझा सा गगन सिसकता, कभी रात फिर जवाँ न होती…