मुस्लिम आक्रांताओं का आक्रमण और बाबरी मस्जिद का निर्माण

मुस्लिम आक्रांताओं का आक्रमण और बाबरी मस्जिद का निर्माण समूचे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जिसकी सभ्यता और संस्कृति हजारों साल से विरासत के रूप में विद्यमान रही है। प्राकृतिक संसाधनों और धन धान्य से संपन्न ये देश अनेकों रियासतों में विभक्त होने के बावजूद विश्व मे प्रमुख स्थान के रूप में…

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अखण्ड भारत का सरदार

अखण्ड भारत का सरदार वल्लभ भाई पटेल जी का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, राजनीतिज्ञों में प्रमुख है। भारत की धरती पर उनका नाम ,एक सुलझे हुए सेनानी और राजनेता के रुप में सदा अमर रहेगा ।वल्लभ भाई झावेरभाई पटेल (३१ अक्टूबर १८७५-१५ दिसंबर१९५०) जी सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय थे,वे भारतीय राजनीतिज्ञ थे।उन्होने…

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प्रथम गुरु – मां

गुरु पूर्णिमा विशेष प्रथम गुरु – मां मां तुम मेरी प्रथम गुरु हो तुमने ही मुझे पढ़ाया है तुमने ही सुख दुख में मुझको जीवन का सार बताया है, करूं वर्णन कैसे तेरी महिमा का मेरी नींव है तुम पर टिकी हुई जीवन में हर एक रिश्ते की पहचान तुम्हीं से मिली हुई तुमने ही…

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कड़ियाँ

कड़ियाँ सात वर्षों के बाद इस जगह से मेरी विदाई हो रही थी। हिन्‍दी टीचर के रूप में यह मेरी पहली पोस्टिंग थी। जिन बच्‍चों को मैंने नौ-दस साल में देखा था, अब वो बड़ी हो गई थीं। आभा और करूणा ने विदाई पर कुछ कहा नहीं, एक लिफाफा पकड़ा दिया, पहले की यादें ताजा…

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हमारी हिन्दी

हमारी हिन्दी हिंदी हमारी भाषा हैं। हिंद की परिभाषा हैं। हिन्दी हमारी संस्कृति हैं। संस्कार का सुविचार हैं पहले तो थी दबी-दबी सी। अब सिर ताने खड़ी हैं। सहमी सी हिंदी मेरी। आज सरपट दौड़ रही हैं। राह अपनी खुद बनाती, समृद्ध हो रही भाषा हैं। जुड़ रही है हिन्दी हमारी नई टेक्नोलॉजी से। क्षेत्रों…

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सुंदर हाथ

सुंदर हाथ “मांँ दे ना अपनी हंसुली, उसे तोड़ कर तुम्हारी बहू के हाथ की चुड़ियां बनवा दूंगा…” सुनील ने गुटखा थूकते हुए कहा। “ऐसा कैसे चलेगा, कब तक तू मुझसे पैसे मांग – मांग कर अपने शौक पूरे करता रहेगा..” मालती देवी ने खीझते हुए कहा। “क्या करूं मांँ, नौकरी तो मिलने से रही,…

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भारत के महानायक:गाथावली स्वतंत्रता से समुन्नति की- राम प्रसाद बिस्मिल

राम प्रसाद बिस्मिल सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है जोर कितना बाजूए-कातिल में है इन पंक्तियों को आत्मा में उतार कर कोई जिया हो तो वे हैं राम प्रसाद बिस्मिल। भले ऐसा समझा जाता है इनके रचयिता वास्तव में बिस्मिल अजिमाबादी थे। ११जून १८९७ को शाहजहाँपुर गाँव में पंडित मुरलीधर और…

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रोटी ,कपड़ा और मकान

रोटी ,कपड़ा और मकान कदम बढ़ चले कदम ना चिलचिलाती धुप ना भींगने का डर. सर्द हवाएं भी नही हिलाती दम नही चुभती मिलता जो भी हो दर्द लिंग से परे पत्थर तोड़े या चढ़ जाएँ ऊँची इमारते ना अँधेरे का भय बहुत कुछ को नकारते हमसब हैं निकलते हंसते खिलखिलाते अपने खोली से अपनी…

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