पूर्व-पक्ष

पूर्व-पक्ष दिव्या माथुर से मेरा परिचय लगभग ढाई दशक पूर्व हुआ और इसका श्रेय डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी को है जो उस समय ब्रिटेन के भारतीय उच्चायुक्त थे और हिंदी के प्रचार-प्रसार में सक्रिय थे। दिव्या के दूसरे काव्य संकलन ‘ख़याल तेरा’ का आमुख उन्होंने ही लिखा था इसलिए वह उनकी काव्य प्रतिभा से परिचित थे।…

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वह ध्रुव है!

वह ध्रुव है! क्षितिज के छोर से एक तारा सरक कर आ छिपा धरती के आँचल में उसे ललचाया था शायद धरती की सोंधी सुगंध ने उसे उकसाया था कि वह अपनी नन्ही रौशनी से लोगों को दिशाभ्रम होने से बचाए वह रौशनी उसके साथ चलती रहे, चलती रहे बढ़ने की उमंग के साथ प्रेरणा…

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कर्मयोगिनी दिव्या माथुर

कर्मयोगिनी दिव्या माथुर कार्यक्रम का आयोजन हो या हिन्दी का प्रचार-प्रसार अथवा लेखन, दिव्या माथुर की सजग आँखों और कर्तव्यपरायण मन से कुछ नहीं छूटता। कई बार तो मुझे लगता है कि दिव्या जी के एक दिन में कई-कई दिन समाए रहते हैं अन्यथा कैसे वे नेहरू सेंटर के प्रति माह के दस-बारह कार्यक्रमों के…

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प्रवासी महिला साहित्यकार और स्त्री चेतना 

प्रवासी महिला साहित्यकार और स्त्री चेतना  हिन्दी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो मान्यता मिली है उसका एक मूल कारण है प्रवासी भारतीय लेखक, जो एक लम्बे समय से भारत की भाषा, कला और संस्कृति को विदेशों में फैलाने का महत्वपूर्ण प्रयास करते आ रहे हैं। समय तेज़ी से बदल रहा है, ज़ाहिर है कि हमारे…

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देसी गर्ल्स

देसी गर्ल्स महिलाओं के लिए खुद को खुलकर व्यक्त करना कभी आसान नहीं रहा, लेकिन लेखन एक ऐसा तरीका है जिसके द्वारा वे यह कर सकती हैं। जेन ऑस्टेन के बहुचर्चित उपन्यासों के माध्यम से हम उनके जीवन और समाज को देख सकते हैं। फिर भी, जेन ऑस्टिन के लिए एक पुरुष की दुनिया में…

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दिव्या माथुर की कहानियों में संवेदना और शिल्प

दिव्या माथुर की कहानियों में संवेदना और शिल्प दिव्या माथुर वर्षों से साहित्यिक रचना में संलग्न हैं। उनकी रचनात्मक प्रतिभा के विविध आयाम कविता, कहानी और उपन्यास की विधाओं में प्रतिफलित हुए हैं। द क्राफ्ट ऑफ फिक्शन में पर्सी लबक ने ‘कथ्य का अधिकतम प्रयोग’ द्वारा संवेदना और शिल्प के संबन्ध का स्पष्टीकरण किया है।…

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संपादकीय-दिव्या माथुर

संपादकीय  “दिव्या” जिजीविषा – यदि इस शब्द की व्याख्या करने के लिए मुझसे कहा जाए तो मैं एक शब्द में कर सकती हूँ “दिव्या”। मैं जब पहली बार उनसे मिली थी, एक दुबली-पतली नाज़ुक सी दिखने वाली काया पर जो चेहरा था उस पर साफ़ साफ़ शब्दों में यही लिखा हुआ था ‘जिजीविषा’ और आज…

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घर में भेड़िये

घर में भेड़िये   रात भर इमली दर्द से कराहती रही,पोर पोर फोड़े की तरह पिरा रहा था।उसे जानवरों की तरह पीटा गया।कसूर—नारी निकेतन की संचालिका के पति को उसने चाँटा मारा। उसकी हवस की टपकती लार के विरोध में —- “माई,हमको ये बापू बहुत मारता है,चिमटी काटता है,उसकी बात न माने तो हाथ मरोड़ता…

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