रजनीगंधा

रजनीगंधा कल सांझ का दिया जलाने गई थी तुलसी तले घर के आंगन में, तभी मस्त हवा के झोंके ने बिखेर दी रजनीगंधा की सुगंध पूरे आंगन में। वो रजनीगंधा जिसे तुमने बड़े प्यार से लगाया था हमारे आंगन में, और कहा था, “प्रिये गुजारेंगे गर्मियों की रातें इस प्यारे से आंगन में”। पर, तुम्हें…

Read More

निर्मला

निर्मला मुंशी प्रेमचंद की रचनाएं आम जनता से जुड़ी हुई है।आम आदमी क्या सोचता है,वह कैसे अपने जीवन को संभालते हुये एक एक कदम वह अपनी मंजिल की ओर बढ़ता है,इसका सुंदर चित्रण प्रेमचंद ने अपने सभी कथाओ में किया है। मैं प्रेम चंद की सारी पुस्तके पढ़ी हूँ, आज से करीब 35 साल पहले…

Read More

एक शब्द

एक शब्द माँ का प्यारा सा हथियार जब भी करते मस्ती हम माँ कि आवाज़ आती रूको अभी पापा को बुलाती हर समय इस छोटे से शब्द से हम को वो डराती “पापा” छोटा सा दो अक्षर का शब्द पर शक्तिशाली,संयम से भरा हुआ है ये शब्द डराते हैं ,कठोर है पर रक्षा से भरा…

Read More

फागुन में

फागुन में रंग उड़ने लगे हैं लाल पीले सखी री फागुन में गीत कोयल भी गाये सुरीले सखी री फागुन में मौसम लेता है अँगड़ाई पेड़ों पर नव कोंपल आई कलियाँ अपने घूँघट खोले गुन गुन करते भँवरे डोले रंग फूलों के हुए चटकीले सखी री फागुन में रंग उड़ने लगे हैं लाल पीले सखी…

Read More

सवाल आप के और समाधान हमारा

सवाल आप के और समाधान हमारा आज हमारी पहली सवाल आप के और समाधान हमारा सत्र में कोरोना से संबंधित कुछ प्रश्नों का उत्तर या समाधान हल करने की कोशिश करेंगे डॉ राणा संजय प्रताप सिंह जी के साथ जोकि एक वरिष्ठ फिजीशियन, समाजसेवक और राजनीतिज्ञ भी हैं। भाजपा के वरिष्ठ सदस्य हैं तथा लॉयंस…

Read More

बहुमुखी प्रतिभा के धनी मुंशी प्रेमचंद

बहुमुखी प्रतिभा के धनी मुंशी प्रेमचंद सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, साहित्यकार, नाटककार और विचारक के रूप में सर्वाधिक जाना पहचाना नाम प्रेमचंद जी का है।इन्हें हिंदी और उर्दू के लोकप्रिय साहित्यकारों में जाना जाता है। आपका जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गांव में हुआ था।आपका बचपन बहुत ही आर्थिक…

Read More

संस्कार

संस्कार वैष्णव जन तो तेने कहिये जे, पीर पराई जाने रे.. नरसी मेहता का भजन नेपथ्य में कहीं चल रहा था । ” पर दु:खे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे..” सरला बेन भी साथ में गुनगुनाने लगीं । मिहिका सामने बैठी अपनी वृद्धा विधवा माँ के चेहरे की रुहानियत और मासूमियत को…

Read More

शिक्षक दिवस

शिक्षक दिवस एक सतत प्रक्रिया है विद्यार्थी और शिक्षक होना। एक श्रेष्ठ शिक्षक कल एक जिज्ञासु विद्यार्थी था।जिज्ञासा सीखने की अदम्य इच्छा है और जन्म से ही इस प्रवृत्ति के साथ हम धरती पर आते हैं। शिशु के सीखने की सतत क्रिया उसकी जिज्ञासा का ही प्रतिफल है।इसमें दो मत नहीं कि परिवार ही होता…

Read More

बसंत

बसंत आया बसंत हर्षित हुए अनंग धरती का मगर देख हाल सिकुड़ा किंचित मस्तक भाल दिल्ली में जब देखा तनाव बदले अपने मन के भाव किया उन्होंने एक एलान लड़ूंगा अबकी मैं भी चुनाव दिखाऊंगा अपना प्रभाव रति लाना मेरा धनुष बाण सुनो सब मेरा संकल्प पत्र मैं ही हूं बस तुम्हारा विकल्प तुम भी…

Read More

सिंदूर की रेखा

सिंदूर की रेखा   आज चंद्रमुखी 65 वर्षीय महिला, अपने किरायेदार विक्की बाबू के साथ बैंक जा रही थी, वर्ष में एक बार लाइफ सर्टिफिकेट के लिए जरूरी होता है जाना।तिमंजले घर मे चार किरायेदारों के परिवार के साथ अकेली ही जीवन बीता रही हैं।   सुबह 11 बजे बैंक पहुँच गयी। पूछताछ करने के…

Read More