काश यूँ भी कभी

काश….. यूँ भी कभी सोचती हूँ काश मैं भी सांता बन पाती । हर जीवन में प्रेम अमृत की गंगा मैं बहाती । रोतें बच्चों के आँखों से सारे आसूँ छीन लाती उनके कोमल अधरों पर गीत बन गुनगुनाती।। जीनव धूप में थके किसान पिता की चिंता मैं मिटाती धरती माँ की आँखों से दर्द…

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असमंजस 

    असमंजस    रमा अनमनी सी कोर्ट में बैठी है । सामने बैठे राजन से नज़र मिली तो रोज़ की किचकिच आँखों में तैर गयी। उपेक्षा, ताने और झगड़े भी । उसकी नफासत और ऊँची शिक्षा ही निशाने पर हमेशा रहती। जाने क्यों शादी से पहले की समझ अब टकराव में बदल गई। फिर…

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मज़दूर की बेटी 

मज़दूर की बेटी विनायक अंकल आप मेरे पापा बनोगे? शैली के अप्रत्याशित सवाल से बुरी तरह से हड़बड़ा गए थे विनायक जी अरे बेटा मै तुम्हारे पिता जैसा ही हूँ ख़ुद को संयत करते हुए विनायक जी ने ज़वाब दिया। पिता जैसा होने में और पिता होने में काफ़ी फर्क़ होता है अंकल शैली की…

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हम्पी – जहाँ हर पाषाण कुछ कहता है

हम्पी – जहाँ हर पाषाण कुछ कहता है आप सब ने इस वर्ष के गणतंत्र दिवस पर विभिन्न राज्यों की झाकियां टी वी पर अवश्य ही देखी होंगी | कर्नाटक राज्य की झांकी, विजयनगर – हम्पी पर बड़ी ही सुंदरता से बनाई गयी थी | उसे देख कर मेरे लिए, व्यक्तिगत रूप से, तो जैसे…

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पिता

पिता जो पीता है बच्चों के लिए दुख और तकलीफ़ जो आकंठ डूबा होता है स्नेह से, मगर मौन शांत रहकर सींचता है अपने वृक्ष – बेलों को… पिता जो पी लेता है हर विषम परिस्थितियों के विष को मात्र अपनी संतान को अमृत की जीवनदायिनी घूंट देने के लिए… पिता खुद लड़खड़ाता तो है…

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क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद

क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद मैं गुलामी का कफन, उजला स्वप्न स्वाधीनता का नाम से आजाद, हर संकल्प से फौलाद हूं मैं। – श्रीकृष्ण सरल मात्र 14 वर्ष की आयु में चंद्रशेखर ने कानून भंग आंदोलन में अपना योगदान दिया।1921 में गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े। इस आंदोलन में भाग लेने पर जब अंग्रेजों ने उन्हें…

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ममता कालिया- एक कवयित्री के रूप मे

ममता कालिया- एक कवयित्री के रूप मे ममता कालिया का नाम यूं तो गद्य लेखन में अधिक है परंतु उन्होंने अपनी रचनाएंं कविताओं से ही आरंभ की थीं। ममता कालिया की पद्य रचनाएं भी उनकी गद्य रचना के समान ही विशिष्ट हैं। पेश हैं वाणी प्रकाशन की किताब ‘पचास कविताएं’ में छपीं उनकी कविताओं में…

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GOD IS LOVE

GOD IS LOVE Love is a metaphor of absolute surrender, Unspeakable closeness with every breath together. L, is for the laughter we share everyday, We hold on to each other in every way. 0, is for opulence that we treasure each other, Knowing our wealth will never wither. V, is for the values of our…

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भारतीय गणतंत्र का मूल्यांकन

भारतीय गणतंत्र का मूल्यांकन कोविड-19 से उपजी समस्याओं और दुश्चिंताओं के बीच देश 72वां गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारी में है।धर्मनिरपेक्ष ,समाजवादी और लोकतान्त्रिक गणराज्य भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। इसी उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष राष्ट्रपति द्वारा दिल्ली के राजपथ पर राष्ट्र-ध्वजारोहण किया जाता है।सभी भारतीय नागरिकों द्वारा यह…

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आजादी के पहले का हिंदुस्तान चाहिए

आजादी के पहले का हिंदुस्तान चाहिए हमें कश्मीर नहीं पूरा पाकिस्तान चाहिए, आजादी से पहले का हिंदुस्तान चाहिए। हम हैं अमन के रखवाले युद्ध छेड़ते नहीं पर हम छेड़ने वालों को कभी छोड़ते नहीं तुमने जो की मक्कारी उसे कैसे सहेंगे पुलवामा का बदला अब हम लेकर रहेंगे हमें अब और नहीं बेटों का बलिदान…

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