गैंग्रीन

गैंग्रीन सौम्या और केशवी – कॉलेज की दो घनिष्ट सहेलियां विवाह के करीब बीस वर्षों पश्चात एक दूसरे से टकरायीं । गले मिलीं, बड़ी खुश हुईं , अलग अलग शहरों में रहने की वजह से इतने वर्षों में मिलना ही नहीं हुआ । आज इतने वर्षों बाद अचानक मॉल में टकरा गयीं..दोनों ही चालीस पार…

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ममता जी को नमन 

  ममता जी को नमन  ममता कालिया जी की कहानियाँ पढ़कर हम सब आप बड़े हुए।ममता जी ने साहित्य की समझ विरासत में पाई। अपने अतंस की तिजोरी से बड़ी ही सजगता व सरलता से जीवन की रफ्तार से कुछ मखमली, और हकीकत से जुड़े लम्हें एक कहानी के कथानक में गढ़कर पेश करती है।कई…

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उम्मीद की टिमटिमाती लौ

उम्मीद की टिमटिमाती लौ हुक्का चिलम बनवा लो , गले का हार बनवा लो , हाथ की घडी़ बनवा लो…… चिल्लाते हुए दढ़ियल बाबा हर उस जगह ज़रा दर और ठहर जातें , जहाँ बच्चे खड़े होते थें । ” घर के बड़े चिढ़ कर कहतें … … ये लो जी , आज फिर आ…

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याज्ञवल्क्यस्मृति

याज्ञवल्क्यस्मृति आपने मनु स्मृति का नाम खूब सुना होगा। मगर बहुत कम लोगों ने याज्ञवल्क्य स्मृति का नाम सुना होगा। वैसे तो हिन्दू धर्म में न्याय और सामाजिक व्यवहार पर केंद्र 18 से अधिक स्मृतियां रची गयी हैं। मगर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत का संविधान बनने से पहले तक हिंदुओं के लिये…

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दूध के दाम

दूध के दाम प्रेमचंद साहित्य की समीक्षा करना थोड़ी जुर्रत की बात है! कहानी विधा के दूसरे उन्मेष काल के चमकते सितारे प्रेमचंद थे।कोई सोच भी नहीं सकता था कि किसी की लेखनी से कहानियों की ऐसी गंगा प्रवाहित होगी जिसमें भारतीय ग्रामीण समाज केंद्र में होगा और बरसों ये कहानियाँ समय की धारा में…

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कोरोना और पर्यावरण

कोरोना और पर्यावरण : एक अवसर या सौगात इस कोरोना काल में भविष्‍यत: महात्मा गाँधी की कही दो बातें बहुत ही स्मरणीय हैं। एक यह, कि जो बदलाव तुम दूसरों में देखना चाहते हो वह पहले खुद में लाओ। दूसरा कथन तो शायद पहले से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है – वह यह कि संसार में…

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रोटी ,कपड़ा और मकान

रोटी ,कपड़ा और मकान कदम बढ़ चले कदम ना चिलचिलाती धुप ना भींगने का डर. सर्द हवाएं भी नही हिलाती दम नही चुभती मिलता जो भी हो दर्द लिंग से परे पत्थर तोड़े या चढ़ जाएँ ऊँची इमारते ना अँधेरे का भय बहुत कुछ को नकारते हमसब हैं निकलते हंसते खिलखिलाते अपने खोली से अपनी…

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तू सबला है

तू सबला है तेरे आँचल से अमृत पी संसार पनपता खिलता है प्रेम, त्याग उपनाम हैं तेरे गंगा सी सरल सहजता है कर कोटि नमन माँ पन्ना को अपनी शक्ति पहचान ले तू सबला है मान ले ।। लक्ष्मी तू, अन्नपूर्णा तू घर तुझसे ही तो सजता है चट्टानों सी दृढ़ता तुझमें धरती सा धीरज…

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यू आर माय वैलेंटाइन

यू आर माय वैलेंटाइन मैं और तुम दो अलग अलग चेहरे दिल शरीर जान आत्मा व्यक्तित्व परिवार दोस्त वातावरण फिर भी हम ऐसे एक दूसरे मे यूं समाहित हुए मेरा सब कुछ हुआ तेरा तेरा सब कुछ हुआ मेरा तेरा मान सम्मान स्वभिमान सुख दुःख सफलता धन सम्पत्ति परिवार जिम्मेदारी हुई मेरी और मेरी हुई…

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संपादकीय-दिव्या माथुर

संपादकीय  “दिव्या” जिजीविषा – यदि इस शब्द की व्याख्या करने के लिए मुझसे कहा जाए तो मैं एक शब्द में कर सकती हूँ “दिव्या”। मैं जब पहली बार उनसे मिली थी, एक दुबली-पतली नाज़ुक सी दिखने वाली काया पर जो चेहरा था उस पर साफ़ साफ़ शब्दों में यही लिखा हुआ था ‘जिजीविषा’ और आज…

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