दिव्या माथुर की कविताओं में मानवीय चेतना के संघर्षों की आँच

दिव्या माथुर की कविताओं में मानवीय चेतना के संघर्षों की आँच कहानी और उपन्यास के क्षेत्र में एक स्थापित हस्ताक्षर दिव्या माथुर समकाल की चर्चित कवयित्री भी हैं। नई कविता की टकराहटें हों या छंदबद्ध गीतों की मधुर तानाकशी, छोटी बड़ी बहर की ग़ज़लें या नज़्में, उनके अपने मौलिक व भावनात्मक बिम्ब-प्रतीक पाठक-मन को सहजता…

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स्वास्थ्य ही धन है

स्वास्थ्य ही धन है हे मानव! जो करते हो अपने जीवन से प्यार, तो सदा ही बनाना अनुशासित आधार। सुबह सवेरे उठकर करना थोड़ा सैर, देर तक सोने से रखना सदा बैर। नित्यकर्म से होकर निवृत्त तुम, थोड़ा करना कसरत योगासन भी तुम। तन को भोजन सदा सरल देना, पानी जूस पदार्थ तरल पीना। खान-पान…

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रूहानियत

रूहानियत ‘एक कहानी लिखनी है मुझे, सच्ची कहानी.. मेरे और आपके प्यार की।’ ‘क्या दुनिया हज़म कर पाएगी इसे? और फिर लिखोगी क्या इसमें?’ ‘सिर्फ दर्द, मेरा और आपका..’ ‘फिर तो भूल ही जाओ.. कोई नहीं पढ़ेगा इसे।’ और यही चुनौती तो वह शुरुआत थी मेरी और अरुण जी की कहानी की, जिसे मैं न…

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शून्य से समग्र की ओर

” शून्य से समग्र की ओर “…. इस विराट ब्रह्मांड में हमारे होने का सत्य ही यह जीवन है ।धरती पर बसे हर जीव की अपनी एक कहानी है। संवेदनाओं की अनुभूति गहरे चिंतन के बाद अभिव्यक्ति का वह भास्वर बनती है जहां पारस्परिक एकात्मकता जीवन को मजबूती प्रदान करती है। कहते जिसका जितना समर्पण…

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गणतंत्र का सबसे मजबूत अस्त्र शिक्षा

गणतंत्र का सबसे मजबूत अस्त्र शिक्षा 72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर विशेष शुभकामनाएं। 21वीं सदी का पहला गणतंत्र, युवा भारत के सपनों का गणतंत्र, अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बनाता, राज करता भारतीय गणतंत्र, जन गण मन तक राष्ट्रीयता के संदेश पहुंचाता गणतंत्र । हमारी शैक्षणिक विरासत पर हमें गर्व है…. नालंदा तक्षशिला…

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