धनेसर की व्यथा

धनेसर की व्यथा आज धनेसर बहुत परेशान है। उसने अपनी बेटी की शादी तय कर दी है पर आज बेटी के भावी ससुराल से शादी में 5000/- की मांग का सन्देशा आया है, वरना शादी नही होगी। वह बार-बार अपनी प्यारी बेटी का मुँह देखता और मन ही मन अकुला रहा है। उसके पास इतने…

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पुनरावृति

पुनरावृति। चारों ओर लुढ़कते पासे हैं, दाँव पर लगी द्रोपदियाँ हैं, लहराते खुले केश हैं, दर्प भरा अट्टहास है, विवशता भरा आर्तनाद है, हरे कृष्ण की पुकार है… चारों ओर पत्थर की शिलाएँ हैं, मायावी छल है, लंपटता है, ना जाने कितनी ही अहिल्याओं की पाषाण देह है, नैनों में आत्म ग्लानि का नीर भरे,…

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वही होगा मेरा पति

वही होगा मेरा पति कड़कड़ाती धूप में मेहनत करती यमुना पसीने से तर-बतर हो रही थी। तभी खाना खाने की छुट्टी हुई। इतने शरीर तोड़ परिश्रम के बाद उसे जोरों की भूख लगी थी। आज माँई ने क्या साग भेजा होगा, सोचते हुए उसने अपना खाने का डब्बा खोला। वह देखकर हैरान रह गई कि…

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मां-भारती का युवाओं से “आह्वान”

मां-भारती का युवाओं से “आह्वान” ये अमृत काल है ये अमृत काल है ये अमृत काल है कसम तुझे उन दिवानो की जो फंदा चूमकर झुले थे । कसम तुझे उन वीरों की जो होली ख़ून से खेले थे । कसम तुझे उन शहीदों की जो शहादत के लिये ही जन्मे थे । तू मुझको…

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मैं बोल रही हूँ

मैं बोल रही हूँ शाम के तीन बज चुके थे। सेमिनार खत्‍म होने में एक घंटा और था। स्‍मृति सामने बैठकर सुन रही थी। कमरे में अच्‍छी खासी भीड़ थी। ज्‍यादातर अभी अभी कॉलेज से निकले युवा थे। इस सेमिनार में डॉ.. त्‍यागी, मधुसूदन गुलाटी भाई अग्रवाल और न जाने कितने नामी गिरामी लोग थे।…

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सूर्य और छठी मैय्या

सूर्य और छठी मैय्या छठ मैया कौन-सी देवी हैं? सूर्य के साथ षष्‍ठी देवी की पूजा क्‍यों? सूर्य के साथ षष्‍ठी देवी की पूजा का खास महत्‍व क्‍यों है, विस्‍तार से जानिए। कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि छठ या सूर्यषष्‍ठी व्रत में सूर्य की पूजा की जाती है, तो साथ-साथ…

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कोरोना की मार और 15 अगस्त

कोरोना की मार और 15 अगस्त 15 अगस्त … स्वतंत्रता-दिवस …खुशी और आनंद का दिवस…अंग्रेज़ी हुकूमत से भारत की आज़ादी का, बंधन-मुक्त होने का दिवस…… मुझे याद आते हैं, मेरे बचपन के दिन.. जब मैं स्कूल में थी और 15 अगस्त का दिन आता था… वह साठ का दशक था.. आज़ादी मिले चन्द साल ही…

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अंतर्नाद

अंतर्नाद आप सबों की शुभकामनाओं से आज मुझे आंतरिक हर्षोल्लास है कि मेरा प्रथम काव्यसंग्रह”अंतर्नाद” जो मेरी १५१ कविताओं का संग्रह है,निकट भविष्य में प्रस्तुत होने वाला है। यह काव्य संग्रह मेरे पिता स्वर्गीय ‘श्री हरीश चंद्र सर्राफ’को समर्पित है।भले ही वो भौतिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, पर दिल में आज भी जीवित…

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हमारी मातृ भाषा हिंदी

हमारी मातृ भाषा हिंदी हिन्दी हमारी मातृभाषा सरल ,सुन्दर और प्रभावशाली। समृद्ध भी है, साहित्य अपार है। फिर भी उपेक्षित, निम्न, और कंगाल है।अपने बच्चों द्वारा ही तिरस्कार है। अभिवादन, प्रशंसा, धन्यवाद सभी पर, विदेशी का अधिकार है। धीरे-धीरे घरों मैं बढ़ रहा इसका व्यवहार है। लिखित कथन अंग्रेजी वर्णमाला पर निसार है। यही प्रगति…

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