आजादी के पहले का हिंदुस्तान चाहिए

आजादी के पहले का हिंदुस्तान चाहिए हमें कश्मीर नहीं पूरा पाकिस्तान चाहिए, आजादी से पहले का हिंदुस्तान चाहिए। हम हैं अमन के रखवाले युद्ध छेड़ते नहीं पर हम छेड़ने वालों को कभी छोड़ते नहीं तुमने जो की मक्कारी उसे कैसे सहेंगे पुलवामा का बदला अब हम लेकर रहेंगे हमें अब और नहीं बेटों का बलिदान…

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भारत के महानायक:गाथावली स्वतंत्रता से समुन्नति की- डाॅ बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर

डॉ भीमराव अम्बेडकर के अनुप्रयोग भीमराव रामजी अम्बेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसंबर 1956) एक भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री , समाज सुधारक और राजनीतिक नेता थे, जिन्होंने संविधान सभा की बहसों से भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति का नेतृत्व किया, जिसने पहले कैबिनेट में कानून और न्याय मंत्री के रूप में…

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कोविड का कहर

कोविड का कहर यह जो सुंदर सी प्रकृति हमारे चारों ओर बिखरी हुई है- पृथ्वी, चाँद, सौर मंडल, सितारे जो स्वयं एक सौर मंडल हैं, हमारा मिल्की वे (milky way) जिसमे न जाने कितने सौर मंडल हैं बल्कि पूरा ब्रह्माण्ड जिसमे अनगिनत मिल्की वे हैं- यह सारे के सारे उस निर्विकार, निर्गुण पूर्ण ब्रह्म का…

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प्रवासी महिला साहित्यकार और स्त्री चेतना 

प्रवासी महिला साहित्यकार और स्त्री चेतना  हिन्दी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो मान्यता मिली है उसका एक मूल कारण है प्रवासी भारतीय लेखक, जो एक लम्बे समय से भारत की भाषा, कला और संस्कृति को विदेशों में फैलाने का महत्वपूर्ण प्रयास करते आ रहे हैं। समय तेज़ी से बदल रहा है, ज़ाहिर है कि हमारे…

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गृह ही नहीं समाज की भी सेविका

  नीतू सिंह बनी लांयस क्लब की अध्यक्ष लायंस क्लब ऑफ जमशेदपुर कालीमाटी की पदस्थापना समारोह गोलमुरी क्लब के वीआईपी लाउंज में किया गया। मुख्य अतिथि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन संजीव पोद्दार जी एवं इंस्टॉलिंग अफसर पास्ट डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुदीप्तो मुखर्जी ने अध्यक्ष के रूप में नीतू सिंह, सेक्रेटरी अमृता जी एवं कोषाध्यक्ष के रूप में…

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ओठंगनी

ओठंगनी ———— शुद्ध घी से भरी कड़ाही आटे में गुड़ और घी का मोयन निर्जला उपवास रखी अम्मा के हाथों की प्यार भरी थपकियों से बनी रोटी और कड़ाही में डालते ही फैल जाती थी खुशबू ओठंगन की दादी ने बताया था जितने बेटे होते हैं बनते हैं उतने ही ओठंगन चौखट पर खड़ी हम…

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विद्या भंडारी की कविताएं

विद्या भंडारी की कविताएं 1.अनबोला लड़की जब तब्दील होती है स्त्री में जाने कहाँ खो जाता है समय । निगल लिए जाते हैं जुबान पर आए शब्द । गुम हो जाती हैं परिंदो सी खिलती आवाजें ।। उड़ते पंख बदल जाते है फड़फड़ाते पंखों में । आंखो में अनचाहे ख्वाब लगते है तैरने । ऐसे…

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हिन्दी

हिन्दी    मैं भारत की बेटी, आपकी आपनी हिन्दी हूँ हाँ , हिन्दी हूँ मैं हिन्दी हूँ भारतीय संस्कृति सभ्यता के ललाट पर सजी मैं बिंदी हूँ हर कोई मुझे सजा रहा है मुझे वसन नए पहना रहा है शोभा हूँ मैं इस युग की नहीं काग़ज़ की चिन्दी हूँ हाँ , हिन्दी हूँ मैं…

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