आजादी
आजादी ———– मुस्कुराती हुई हवाऐं, घाटी कश्मीर से आ रही। मुक्त हुई हूँ ,आज, हो स्वच्छंद बह रही। नयी भोर में उदित, सूर्य ये कह रहा, खुलकर लो प्रकाश, ना कोई रोकने वाला। कई बेड़ियाँ टूट गई, जन्नते कश्मीर की। ना आतंक ना भय होगा। पावन पवित्र जन्नत होगा। शिक्षा,धन,दौलत से, ये शहर पूरित होगा।…