एक लौ उम्मीदों की
एक लौ उम्मीदों की धरती से लेकर आसमां तक उदासियों का मंजर फैला है हर तरफ़ हैं खबरें मौत की हर तरफ़ आंसुओं का रेला है सोचा था संभल जाएंगे हम धीरे-धीरे ज़िन्दगी की उधड़ी तुरपाईयों को जतन से सी लेंगे हम धीरे-धीरे पर इम्तहान की हद अभी बाकी है कुछ कर्ज़ की किश्त अभी…