एक लौ उम्मीदों की

एक लौ उम्मीदों की धरती से लेकर आसमां तक उदासियों का मंजर फैला है हर तरफ़ हैं खबरें मौत की हर तरफ़ आंसुओं का रेला है सोचा था संभल जाएंगे हम धीरे-धीरे ज़िन्दगी की उधड़ी तुरपाईयों को जतन से सी लेंगे हम धीरे-धीरे पर इम्तहान की हद अभी बाकी है कुछ कर्ज़ की किश्त अभी…

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वर दे, वीणा वादिनी वर दे !

वर दे, वीणा वादिनी वर दे ! अहं रुद्रेभिर्वसुभिश्चराम्यहमादित्यैरुत विश्वदेवैः। अहं मित्रावरुणोभा बिभर्म्यहमिन्द्राग्नी अहमश्विनोभा॥ (ऋग्वेद 10/ 125) मैं (वाग्देवी) रुद्रों (प्राणतत्त्व, एकादश रुद्र), वसुओं (पृथ्वी आदि आठ वसुओं), आदित्यों (बारह आदित्य सूर्य) तथा विश्वेदेवों (सभी देवों, सभी दिव्य विभूतियों) के रूपों में विचरण करती हूँ। मैं मित्र और वरुण (सौरतत्त्व और जलीय तत्त्व) तथा इन्द्र…

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A Nondescript Thought

A Nondescript Thought One of the noticeable and remarkable annual events,World Environment Day(WED) is being organised in all the Continents since1972.It is one of the Dream if Not Cream initiatives of the UNO.It aims at creating adequate awareness about importance of nature,the nature which surrounds us,the nature that comprises of Bio-diversity. The components thereof, are:…

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भारत के महानायक:गाथावली स्वतंत्रता से समुन्नति की-वी वी गिरी

भारत रत्न वी.वी. गिरी वी.वी. गिरी का पूरा नाम वराहगिरी वेंकट गिरी था। यह भारत के राजनेता थे और देश के तीसरे उपराष्ट्रपति पद पर तैनात रहे। भारत के चौथे राष्ट्रपति का पदभार भी इन्होंने संभाला था। हम सर्वप्रथम वी.वी. गिरी जी के जन्म और बचपन की बात करते हैं, गिरी जी का जन्म ब्रह्मपुर…

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रावण नश्वर नहीं रहा

रावण नश्वर नहीं रहा हाँ,नहीं है नश्वर रावण नहीं वह,मात्र प्रतीक है पुतलों में जिन्हें हम जलाते हैं। रावण! यत्र-तत्र-सर्वत्र है हममें और तुममें भी सब में मौजूद है पूरे ठाठ से ठहाके लगाते हुए अठ्ठास करते हुए हैरान मत होना सिर्फ मनुष्यों में है। हाँ ,रावण मनुष्यों में ही है चुकी, पशु तो पाश्विकता…

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कथा, कथाकार और पाठक

अंतरराष्ट्रीय कथा महोत्सव  कथा, कथाकार और पाठक 4 जुलाई संध्या 7 बजे (IST), दोपहर 2.30 बजे (GMT) https://youtube.com/@grihaswamini7913 उपन्यास – तिलिस्म  उपन्यासकार – दिव्या माथुर-लंदन,ब्रिटेन समीक्षक शिखा वार्ष्णेय-लंदन, ब्रिटेन डॉ रीता दास राम-मुंबई, भारत अनिल शर्मा जोशी- दिल्ली, भारत अध्यक्ष प्रो जितेन्द्र श्रीवास्तव- दिल्ली, भारत संचालन – पूजा अनिल, स्पेन 1

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तामील

तामील   हुक्मे नज़रबंदी है ये फ़रमाया आला पीर ने तू बहुत नाचीज़ बन्दे तू हुक्म की तामील कर   वक्त की पाबंदगी का है यह फ़रमान प्यारे तू बहुत ख़ुदगर्ज़ बन्दे फरमां यह क़बूल कर   तू रहेगा आज से पिंजरे में ज्यूँ पंछी कोई तू बहुत आज़ाद बन्दे पिंजरे से ना परहेज़ कर…

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दूध के दाम

दूध के दाम प्रेमचंद साहित्य की समीक्षा करना थोड़ी जुर्रत की बात है! कहानी विधा के दूसरे उन्मेष काल के चमकते सितारे प्रेमचंद थे।कोई सोच भी नहीं सकता था कि किसी की लेखनी से कहानियों की ऐसी गंगा प्रवाहित होगी जिसमें भारतीय ग्रामीण समाज केंद्र में होगा और बरसों ये कहानियाँ समय की धारा में…

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