भारतं त्वम् भारतं
भारतं त्वम् भारतं विश्व का इतिहास देखो खुद को सबके साथ देखो सूर्य की पहली किरण से तुमने जग को रौशनी दी जानता है जग ये सारा मन में मानवता भरा है सभ्यता का सूर्य भारत ज्ञान की नव चेतना है प्रण-प्रतिज्ञा प्रेम-पावन कर लो तुम प्रण-प्राण से कल का भारत आज तुमको फिर…