आजादी के पहले का हिंदुस्तान चाहिए

आजादी के पहले का हिंदुस्तान चाहिए हमें कश्मीर नहीं पूरा पाकिस्तान चाहिए, आजादी से पहले का हिंदुस्तान चाहिए। हम हैं अमन के रखवाले युद्ध छेड़ते नहीं पर हम छेड़ने वालों को कभी छोड़ते नहीं तुमने जो की मक्कारी उसे कैसे सहेंगे पुलवामा का बदला अब हम लेकर रहेंगे हमें अब और नहीं बेटों का बलिदान…

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सुमधुर भारत वर्ष हमारा

सुमधुर भारत वर्ष हमारा जाने कितनी कवियों ने दोहराई होगी बात पुरानी , आज सुनाता हूँ मैं तुमको नव भारत की नई कहानी। नई पुरानी सभ्यताओं का संगम भारत वर्ष कहाता, यहाँ कभी ना टूटा नई पुरानी संस्कृतियों का नाता। यहाँ जुड़ी है कड़ियां कितने रस्मों और रिवाजों से, यहाँ मिली है धड़कन कितनी धर्मों…

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हम स्वतंत्र हैं

हम स्वतंत्र हैं हम स्वतंत्र हैं…. क्योंकि….. प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस…. हर्षोल्लास से मना रहे हैं। सड़कें गड्ढों से पटी पड़ी तो क्या??? रेल-बस ठसाठस भरी हुई तो क्या??? बुलेट ट्रेन तो आ रही है हम स्वतंत्र हैं… गरीबी, अशिक्षा, मंहगाई अब बहुरूपिये हो चले, सरकारी आंकड़ों में… नज़र ना आएंगे… वैसे यत्र-तत्र-सर्वत्र नज़र ही नज़र…

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“कलम आज उनकी जय बोल “

“कलम आज उनकी जय बोल “ प्राण हाथों मे हैं लेकर रहते निडर दुश्मन से भीड़ हैं जाते रक्षा थल वायु जल में करते देश पे जान न्यौछावर जय बोल कलम आज उनकी जय बोल दृढ़ संकल्प वीरता भाषा उनके त्याग तपस्या से वे ना मुख मोड़े निश्छल जीत उनके मन लुभाये माता भारती उनके…

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वन्दें मातरम् 

वन्दें मातरम्  _____________________________________ आओ बच्चों तुम्हें सिखाएं जीवन है श्रमदान की माँ भारती की मिट्टी है मिट्टी है बलिदान की वन्दें मातरम् वन्दें मातरम् पावन पुण्य प्रेम धरा है अन्न धन से पूर्ण भरा है माँ भारती की रक्षा करना रक्षा गृह किसान की वन्दें मातरम् वन्दे मातरम् लहरों पर कश्ती खेना तुफ़ा दीया जला…

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आजादी

आजादी ———– मुस्कुराती हुई हवाऐं, घाटी कश्मीर से आ रही। मुक्त हुई हूँ ,आज, हो स्वच्छंद बह रही। नयी भोर में उदित, सूर्य ये कह रहा, खुलकर लो प्रकाश, ना कोई रोकने वाला। कई बेड़ियाँ टूट गई, जन्नते कश्मीर की। ना आतंक ना भय होगा। पावन पवित्र जन्नत होगा। शिक्षा,धन,दौलत से, ये शहर पूरित होगा।…

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यह कैसी आज़ादी

यह कैसी आज़ादी *********************** देश की आजादी को आज पूरे हुए बहत्तर बरस लेकिन आज भी आधी आबादी आजादी को रही तरस मंदिर हो या रेलवे स्टेशन लगा भिखारियों का तांता मौलिक सुविधाओं से जिनका दूर दूर तक नहीं है नाता दिहाड़ी मजदूरी, आधी तनखाह काम कर रहे मेहनतकश हालात देखकर इनके लगता गुलाम है…

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सुमधुर भारत वर्ष हमारा जाने कितनी कवियों ने दोहराई होगी बात पुरानी , आज सुनाता हूँ मैं तुमको नव भारत की नई कहानी। नई पुरानी सभ्यताओं का संगम भारत वर्ष कहाता, यहाँ कभी ना टूटा नई पुरानी संस्कृतियों का नाता। यहाँ जुड़ी है कड़ियां कितने रस्मों और रिवाजों से, यहाँ मिली है धड़कन कितनी धर्मों…

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चलकर देखें

चलकर देखें   इरादा कर ही लिया जब कि चलते जाना है फिर जरूरी है क्या कि अँधेरे को हम डरकर देखें हौसला लेकर चलें हल की तरह कांधे पर जहाँ पर रौशनी का घर है वहाँ चलकर देखें कसैलेपन के लिए जिंदगी ही काफी है ये जरूरी नहीं कि हर बार हम मरकर देखें…

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तेरे जैसा दोस्त कहाँ ‘

‘ तेरे जैसा दोस्त कहाँ ‘ मित्रता किसी भी इन्सान के जीवन की एक बेशकीमती धरोहर है।ईश्वर ने जिन्हें रक्त सम्बंध से नहीं बाँधा, उसे हमने प्रेम और अपनेपन से सींचा है और उसे ताउम्र विश्वास के धागे में पिरोकर हीरा की भांति सँजो कर रखा है। मित्रता ऊंच-नीच,जात-पांत,धर्म और उम्र के बंधन से परे…

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