मानवता का शव 

मानवता का शव इतिहास के खडंहरों,में क्षतविक्षत पडा है मानवता का शव… सदियों,का सन्नाटा.. और ..दिलों दिमाग पर गूंजतीं …भयानक चीखें… सरसराहट …दरकते रिश्ते क्रदंन कराहती रुहों का.. पुराने दिनो की आखों से बहती धार में… बताऔ..भविष्य की आँख में काजल सजाऊं कैसे??? दूर बहुत दूर ले आती कोकिला की आवाज़ किन्तू पास ..बहुत पास…..

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देश की शान तिरंगा।

देश की शान तिरंगा। लहराये उतुंग शिखर पर देश की शान तिरंगा हमारा।। विश्व पटल पर विजयी है दे शांति का संदेशा प्यारा।। हम स्वतंत्रता के रंग में डूबे कश्मीर से कन्याकुमारी।। धर्म है सबकी मानवता एक राष्ट्र,एक नीति हमारी।। राष्ट्रभाक्ति है सबसे बढ़कर प्रेम से रहते हमसब मिलकर।। बलिदान हुए जो देश के लिए…

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ऐ वतन

ऐ वतन ऐ वतन! मेरे भारत! तेरी माटी से बनी हूँ मैं तेरी आबो हवा में ही मैं जिंदा हूँ मेरी साँसों में बसी है तेरी खुशबू रूह में इश्क हकीकी ख़ुदाया तेरा है नहीं दरकार मुझे मौसमों की तरहा प्यार के इज़हार की मेरा हर दिन मुबारक है तेरी आगोश में हर पल महफूज़…

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वास्तविक आजादी से दूर

  वास्तविक आजादी से दूर हम भारतवासी पिछले 70 वर्षों से आज़ादी की खुशफ़हमी में जरूर जी रहे हैं, परन्तु क्या वास्तव में हम स्वछन्द, स्वतन्त्र और निर्भीक जीवन बिता पा रहे हैं। आज भी देश का एक बड़ा वर्ग जीवन के मूलभूत आवश्यकताओं, जैसे, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्याप्त सन्तुलित आहार इत्यादि से भी वंचित है।…

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तिरंगा हमारा

  तिरंगा हमारा शान से लहराता रहे तिरंगा हमारा मुस्कुराता रहे यह संदा हिंदुस्तान हमारा संत्य चंमत्कार अद्भुत अलंकार,हमारा भारत की गर्भ में पलते वीर सपूत हमारा शान से लहराता रहे तिरंगा हमारा एकता की दीवारों में जगमगाता एक दीप हमारा भारत माता की जय, स्वरों से गूंजती धड़कनों की शाज हमारा आजादी के चौखट…

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आखिर कब होगीं आजाद

आखिर कब होगीं आजाद इस बार का स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बार हमारे देश को एक सूत्र में बांधने के लिए सरकार द्वारा एक विशेष कदम उठाया गया, जिससे आज जाकर हम सब एक हैं । यह कहावत चरितार्थ हुई है। आजाद हुए 70 साल हो गए हैं लेकिन…

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तिरंगा

  तिरंगा पले जब खौफ़ दिल में तो ,मिटेगी खाक़ फिरअपनी। निभाओ रस्म माटी की , बचाओ साख फिर अपनी। कभी सरहद बुलाये तो , तिरंगा बांध तुम लेना– जमी के आखरी तल पर , बहाओ राख़ फिर अपनी।। तभी लेंगें वतन वाले , तुम्हारा नाम दुनिया में। निभाना फ़र्ज अपना तुम, दिखेगा काम दुनिया…

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सपनों का भारत

” सपनो का भारत “ हो न अमन की कमी इस जहां में मिलजुल सब रहें इस जहां में हर विस्थापितों को मिले आशियाना रहे अनाथ ना कोई इस जहां में आतंकी के आतंक का हो खात्मा उन्हें भी प्यार मिले इस जहां में बागों में खिले हर इक कली कहीं कुम्भला न जाए इस…

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बुलंदियों के गगन में लहराएँ तुझे शान बान से

“बुलंदियों के गगन में                लहराएँ तुझे शान बान से” हम कौन थे ,क्या हो गये हैं और क्या होंगे अभी, आओ विचारें आज मिलकर ये समस्यायें सभी । सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत देश अगर गरीबी, अशिक्षा ,बेरोजगारी आदि मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है तो…

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स्वतंत्रता उर्फ़ स्वाधीनता या स्वछंदता,.?

स्वतंत्रता उर्फ़ स्वाधीनता या स्वछंदता,.? स्वतंत्रता क्या है,..? स्वतंत्रता का अर्थ क्या है,..? अपने मन मुताबिक चलने की आज़ादी,..? या मनमानी करने की आज़ादी,..? या अभिव्यक्ति की आज़ादी,..? आखिर क्या है स्वतंत्रता?? एक पतंग जो खुले आकाश में उड़ती है आज़ाद होती है? या एक पंछी जो अपनी काबिलियत और सामर्थ्य के दम पर उड़ता…

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