बिना धड़ की भूतनी
बिना धड़ की भूतनी पिछले दस साल से मेरा एक ही मकसद था, आते जाते लोगों को तंग करना। रात को और गर्मियों की दोपहर में जब सड़कें सुनसान हो जातीं थीं तो मैं इसी तलाश में रहती थी कि कोई मेरे पास से गुज़रे और मैं उसे परेशान करूँ। जब लोग हैरान होते थे,…