विवेकानंद एक विचारक 

विवेकानंद एक विचारक  धर्म की गहराई को जानने के बाद उन्होंने विश्व में अध्यात्मिक क्रांति छेड़ दी। पश्चात जगत में सनातन धर्म वेदों तथा ज्ञान शास्त्र से विश्व को परिचित कराया। वर्षो से सनातन हिन्दू धर्म पर अनेकानेक आघात किये गए पर उसे समाप्त नहीं किया जा सका।क्योकि सनातन धर्म जीवन है । उन्होंने बताया…

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पहचानने स्वयं को

पहचानने स्वयं को अधिकतर लोगों को कहते सुना है कि मेरी इससे जान -पहचान है ,मेरी उससे जान -पहचान है ।मेरी ऊँचे स्तर तक जान -पहचान है ।कई लोगों से मेरे संबंध हैं तो यह बहुत अच्छी बात है ।आपका यह गुण है कि आप बहुत लोगों को जानते हैं ,आपकी पहचान का दायरा बहुत…

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ममता कालिया से सन्दीप तोमर की साहित्यिक चर्चा

ममता कालिया से सन्दीप तोमर की साहित्यिक चर्चा ममता कालिया हिंदी साहित्य की प्रमुख भारतीय लेखिका हैं। वे कहानी, नाटक, उपन्यास, निबंध, कविता जैसी अनेक साहित्यिक विधाओं में बराबर दखल रखती हैं। हिन्दी कहानी के परिदृश्य पर उनकी उपस्थिति सातवें दशक से निरन्तर बनी हुई है। लगभग आधी सदी के काल खण्ड में उन्होंने 200…

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शिव प्रेम स्वरूप

शिव प्रेम स्वरूप   प्रेम की बात हो और मोहन का नाम ना आए ऐसा विरले ही होता है। ज्यादातर लोग कान्हा को ही प्रेम का पर्याय मानते हैं। पर मैं, मुझे सदैव से ही ‘शिव’ प्रेम की पराकाष्ठा के स्वरूप लगे हैं। सभी कुछ देखा, सहा, जिया है शिव ने। इस संसार में प्रेम…

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पर्यावरण और त्योहार

“पर्यावरण और त्योहार “ डरे सहमे से पेड़-पौधे जा पहुंचे मानव के पास दीपावली करीब आ गई तो उनकी थीं शिकायतें खास.. पत्ते, शाखाएं, फूल और कलियाँ सबके सब कुछ घबराए थे नन्ही घास,बेलें, लताएँ, फल मुँह बनाए और गुस्साए थे-.. “हर तरफ दीवाली की खुशियाँ हैं पर हम सब सहमे से खड़े हैं अजीब…

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हिन्दी

हिन्दी    मैं भारत की बेटी, आपकी आपनी हिन्दी हूँ हाँ , हिन्दी हूँ मैं हिन्दी हूँ भारतीय संस्कृति सभ्यता के ललाट पर सजी मैं बिंदी हूँ हर कोई मुझे सजा रहा है मुझे वसन नए पहना रहा है शोभा हूँ मैं इस युग की नहीं काग़ज़ की चिन्दी हूँ हाँ , हिन्दी हूँ मैं…

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बड़े लोकेर बेटी लोग

बड़े लोकेर बेटी लोग यह बहुत पुरानी बात नहीं है। एक शहर में एक व्यापारी परिवार था। धन दौलत, ऐशो–आराम की कोई कमी नहीं थी। दूसरे विश्व युद्ध के समय कपड़ों के व्यापार में अच्छी आमदनी हुई। पूरे शहर में एक ही कोठी थी-पीली कोठी। घर के सामने बगीचा, शेरों वाली मूर्ति और संगमरमर का…

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काहे बिहाए बिदेश

काहे बिहाए बिदेश गाँव का चबूतरा जो हमेशा गुलजार रहता था, आज सुनसान है। वहाँ हमेशा एक भीड़ हुआ करती थी, खोमचे वाले, बस पकड़ने वाले, फेरी वाले। सुस्ताने की एक वही जगह थी। पीपल का बड़ा पेड़ और चारों तरफ बड़ा चबूतरा। एक हैंड पम्प भी लगा हुआ है। दरअसल कल ही सरकारी दफ्तर…

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खिडक़ी से धूप

खिडक़ी से धूप जीवन हार्टबीट की तरह है, जब तक उतार चढ़ाव न हो सार्थकता नही रहती। भावनाओं को आकार देना स्कूली जीवन से ही हो गया था। लिखने से ज्यादा पढ़ने के शौक ने जुगसलाई सेवा सदन पुस्तकालय से बाधें रखा । मेरी कविता यूं ही गुमनामी के अंधेरों मे गुम हो गई होती…

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हमारी लड़ाई

हमारी लड़ाई नर्स आकर जब कुलवंती के कान में यह कहने लगी तो कुलवंती को मूर्छा आ गई| उसका पूरा शरीर कांपने लगा| … “यह क्या हुआ” कहते हुए वह थहरा कर बैठ गई | कुलवंती को दांत लग गया| नर्स अपना पूरा जोर लगा कर कुलवंती को पकड़ कर सामने पड़े ओसारे के पर…

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