बेचारी शिक्षा
बेचारी शिक्षा पुस्तकों की गलियों में भटकते – भटकते, मुलाकात हो गई शिक्षा से, मैंने पूछ लिया उससे, यूंही हाल उसका। रूआंसी होकर बोली वह, मत पूछो क्या हाल है मेरा, पहले रहती थी गुरुकुलों में, सादगी और संस्कारों के संग, पर अब हो गईं हूँ बाजारू, कभी पैसों के बल पर बेची और खरीदी…