तलाश एक पहचान की
तलाश एक पहचान की चौदह अक्टूबर उन्नीस सौ इकहत्तर (14 – 10-71)को छतीसगढ़ के रायपुर जिला के एक छोटे से गांव में स्वर्गीय श्री दिलीप सिंह जी के द्वितीय पुत्र श्री खोमलाल जी वर्मा (स्व.) सम्पन्न कृषक के प्रथम संतान के रूप में मेरा जन्म हुआ। दुर्भाग्य से उन दिनों ल़डकियों को जन्म देना…
करोगे याद तो हर बात याद आएगी
करोगे याद तो हर बात याद आएगी मैं, ऋचा वर्मा, माता स्वर्गीय प्रमिला वर्मा, पिता श्री सुरेन्द्र वर्मा की सबसे बड़ी संतान, एक लंबे, लगभग 10 वर्षों की प्रतीक्षा और बहुत मन्नतों के प्रतिफल के रूप में उनकी जिंदगी में आयी। संस्कृत भाषा में एम. ए. पास माता जिन्हें मैं मम्मी कहती ने मेरा नाम…
हार कभी न मानी
हार कभी न मानी राह कठिन है जीवन की पर हार नहीं मानी है. पर्वत-सी ऊँची मंज़िल पर चढ़ने की ठानी है. जीवन के पाँच दशक पार हो जाने के बाद जब अपने जीवन को एक द्रष्टा के तौर पर देखती और विश्लेषण करती हूँ तो लगता है एक व्यक्तित्व वस्तुतः अपने माता-पिता…
बुझा नहीं हूँ!
बुझा नहीं हूँ! जीवन के इस मुकाम पर जब नौकरी-पेशा की उम्र का ३९ वर्षों का अनुभव और बच्चे-परिवार के प्रति कर्तव्य का इतिश्री हो चुका है,बयान करना कठिन है। फिर भी,दृष्टि बीते दिनों पर जाती है,तो कई घटनाएं और व्यक्तियों का चेहरा प्रत्यक्ष होता है मानस पटल पर।१९७० में बिहार बोर्ड की अंतिम परीक्षा…
मानवता की ओर
मानवता की ओर जमशेदपुर की सबसे चर्चित चेहरों में से एक हैं बेहद ही खूबसूरत,हंसमुख मिलनसार,कर्मठ,संवेदनशील एवं दयालु इतनी की दिन रात समाज के उत्थान एवं कल्याण के लिए के पूर्ण रूप से समर्पित रहतीं हैं। आज हम मानवता की ओर में जानीमानी समाजसेविका, सांस्कृतिक कार्यकर्ता एवं साहित्यकार पूरबी घोष से बातचीत करेंगे जिससे हम…
शिक्षा बनाम साक्षरता
शिक्षा बनाम साक्षरता ‘शिक्षा ‘का संबंध ज्ञान से है और इसका क्षेत्र व्यापक है ।शिक्षा से तात्पर्य जीवन के लिए ज़रूरी सभी प्रकार के ज्ञान- अक्षर ज्ञान, व्यवहारिक, सामाजिक, नैतिक ,सांस्कारिक,चारित्रिक ज्ञान आदि से है। परंतु वर्तमान में शिक्षा केवल अक्षर ज्ञान तक सीमित हो गया है ।शिक्षा का अर्थ साक्षरता समझा जाने लगा है…
जब टूट गया था बांध
जब टूट गया था बांध कहीं दूर आंखों की पुतलियों के क्षितिज के पार जब टूट गया था बांध उस रोज…. नमक… समुद्र हो गया था.. मन डूबा था अथाह जलराशि की सीमाहीन धैर्य तोड़ती सीमाएं एक सीप के एहसासों के कवच में जा समायी थी और जन्म हो गया था एक स्वेत बिंदु मोती…
रावण नश्वर नहीं रहा
रावण नश्वर नहीं रहा हाँ,नहीं है नश्वर रावण नहीं वह,मात्र प्रतीक है पुतलों में जिन्हें हम जलाते हैं। रावण! यत्र-तत्र-सर्वत्र है हममें और तुममें भी सब में मौजूद है पूरे ठाठ से ठहाके लगाते हुए अठ्ठास करते हुए हैरान मत होना सिर्फ मनुष्यों में है। हाँ ,रावण मनुष्यों में ही है चुकी, पशु तो पाश्विकता…