बसंत पंचमी की अनमोल याद

                                            बसंत पंचमी की अनमोल याद यूं तो बसंत पंचमी पर्व प्रति वर्ष एक नई ऊर्जा, उत्साह और उमंग लेकर आता है और एक नई स्वर्णिम स्मृति की छाप हृदय पर छोड़ जाता है,…

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होली

होली आया होली का त्योहर घुम रही मस्तों की टोली करे खूब धमाल हमजोली रंगों की पिचकारी छूटी भूल कर सारे मलाल संग मिल हैं नाचे गाये बजा ढोल मृदंग मन तरंग गीत फागुनी मिल गायें उडा़ये गुलाल लिए उमंग पिचकारी की धार चले सखियों हँसती हैं संग मालपुवे की है खुशबू गुझिये संग हैं…

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जब आप जंग पे निकली थीं, अस्पताल को

    जब आप जंग पे निकली थीं, अस्पताल को मेरे बाग़ में फलों से भरा एक दिव्य वृक्ष है, वृक्ष यह वृक्ष मेरे बाग़ की मुस्कुराहट है; मुस्कुराहट यह मुस्कुराहट जा रही है कल अवकाश पर! अवकाश उस अवकाश पर जहाँ सँवारा जाएगा मेरे पसंद की मुस्कुराहट की शाख़ को, शाख़ उस शाख़ को…

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मन के मोड़

मन के मोड़ कहते हैं राह तो सीधी होती है, मोड़ तो सारे मन के हैं। पहाड़ों के मोड़ों पर लिखा होता है कि मोड़ तीखे हैं, हार्न बजाएँ। जिंदगी में शायद कोई नहीं बताता कि आगे मोड़ है, यहाँ से निकलना मुश्किल होगा और आगे ना बढ़ें। मालती खिड़की से बाहर देखती हुई सोच…

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भागलपुर मेरी यादों में

भागलपुर मेरी यादों में गंगा किनारे बसा भागलपुर बिहार का एक साधारण सा शहर पर मेरे लिए बेहद महत्व पूर्ण …..मेरे पापा माँ की शादी भागलपुर में १९५९ जून में हुई थी जब नाना वहाँ मजिस्ट्रेट थे .पापा की पहली नौकरी टी एन बी कोलेज भागलपुर में ही हुई और उनकी पहली संतान यानि मेरा…

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इश्क रूमानियत से रूहानियत तक

  मेरा मेहबूब नज़ाकत वो कहाँ मिलती किसी को अब दोबारा जिनपर हम मर मिटे हैं उनपर हमारा दिल है हारा हर मंज़र में वो दिखते है उनसे ही सब नज़ारा उन बिन सांस भी आए ना हमें है यह गवारा नज़ाकत कहाँ मिलती किसी को अब दोबारा जिनकी हसरतों के बूते ख्वाब रातों में…

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छठ महापर्व: बिहार में क्यों?

छठ महापर्व: बिहार में क्यों? वैदिककालीन मध्य भारतवर्ष के कीकट प्रदेश में गयासुर नामक एक दानव रहता था| वह भगवान विष्णु का उपासक था| गयासुर की काया भीमकाय थी| कहते हैं कि, जब गयासुर पृथ्वी पर लेटता था, उसका सर उत्तरी भारत में होता तथा उसके पैर आंध्र क्षेत्र में होते थे| सबसे महत्वपूर्ण यह…

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मां शारदे

मां शारदे जय मां शारदे,हे मां शारदे, हम सबको शुभ वर दे, विद्या का असीम भंडार भर दे, गागर में सागर भर दे, तू तो ज्ञान का रुप है, अज्ञानता का अंधकार मिटा दे, जीवन को सार्थक कर दे, हम सब सुंदर सृजन करें, संस्कारों से शोभित कर दे, विद्या का वरदान दे, तूने ही…

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मेरी मां

मेरी मां मेरी मां । तुमसा कोई नहीं इस जग में , सब से अच्छी हो तुम मां ! ! बचपन में जब चल नहीं पाता, गोदी में लेकर घुमाती थी तुम मां !! बचपन में जब पांव डगमगाते थे , मेरी बाहों को थाम- मेरा सहारा बन जाती थी तुम मां !! पढ़ते पढ़ते…

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मजदूर का बेटा

मजदूर का बेटा हम साथ साथ पढ़ते तब , 8 वीं की बात रही होगी, मेरी टक्कर हमेशा से ही उससे हो जाती थी, और मैं हमेशा उससे हार जाता था। खेल में, कक्षा के रिजल्ट के स्थान में, हमेशा वो मुझसे बाजी मार लेता था। मुझे इस बात से उससे चिढ़ हो गई थी,…

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