कुछ ऐसा लिखूँ

कुछ ऐसा लिखूँ मेरा नाम डॉ.सरला सिंह है । मेरा जन्म पूर्वी उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में कादीपुर तहसील के बलुआ नामक गाँव में क्षत्रिय कुल में हुआ । प्रारम्भिक शिक्षा कानपुर तथा गाँव दोनों जगह हुई । पिताजी व बाबा जी दोनों ही कानपुर में सी.ओ.डी. में नौकरी करते थे । वहीं बाबूपुरवा…

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जीवन का सफरनामा

जीवन का सफरनामा मेरे साहित्यिक क्षेत्र में ही नहीं अपितु जीवन में भी जो प्रेरणापुंज हैं उनके लिए आज शब्दों के जरिये मन के हर कोने को खंगालकर जो भाव निकले उन्हें व्यक्त करने की कोशिश कर रही हूँ। मेरा जन्म दुर्ग(छग) में हुआ लेकिन मेरे मां पापा गाँव में रहते थे, तब वहां अच्छे…

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समर्पित जीवन

समर्पित जीवन जब से होश संभाला स्वयं को शिक्षकों के बीच पाया | हिंदी के प्रखण्ड विद्वान्-दादा डॉ. मुरलीधर श्रीवास्तव राजेन्द्र कॉलेज छपरा के प्राचार्या थे जिन्होंने अपने ज्येष्ठ पुत्र शैलेन्द्र की शादी हिन्दी स्नातकोत्तर की गोल्ड मेडलिस्ट वीणा से बिना कुण्डली देखे बिना उपजाति पूछे ,सिर्फ अंक पत्र देखकर की थी | शैलेन्द्र और…

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मंजिल मिलेगी, चुनैतियों के पार

मंजिल मिलेगी, चुनैतियों के पार बात पुरानी है, यही कोई साठ साल पहले की… मैं अपने घर की चुलबुली, सुन्दर, हँसने-हंसाने वाली सबकी लाड़ली गुडिया थी …मेरी बड़ी बहन मुझसे ठीक विपरीत, गंभीर, शान्त, पढ़ाकू …. एक दिन मेरे ताऊ जी ने मेरी बहन का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से मुझसे कहा, “ज़रा अपना हाथ…

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स्मृति के पल

स्मृति के पल जब भी मैं अपने बचपन को याद करती हूँ तो अपने आपको एक ऐसे संसार से घिरा पाती हूँ जहाँ चारों और पत्र पत्रिकाओं, समाचार पत्रों की सुगंध बिखरी हुई रहती थी।बालभारती, पराग, चंपक,चंदामामा,नन्दन की लुभावनी दुनिया थी मेरे चारों ओर। समाचार पत्रों के बालजगत, पहेलियाँ मन को भरमा के रखती थीं।…

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सुना तो सिर्फ दिल का

  सुना तो सिर्फ दिल का   मेरा जन्म 22 फरवरी को हुआ । मैं दूसरे नम्बर पर थी। बहन के एक साल बाद ही मेरे आगमन से कोई ज्यादा खुशी नहीं हुई थी मेरे परिवार को।और फिर मेरे बाद दो और बहनें , तब एक भाई। मम्मी भी नौकरी में थे और दादी का…

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सांझ जिंदगी की

सांझ जिंदगी की जिंदगी सतत परिवर्तनशील है। जन्म लेने से अंत तक, न जाने कितने अंजान रास्तों से चलते, फिसलते, ठोकरें खाते, संभलते हम निरंतर उस राह पर चलते रहते हैं, जिसकी मंजिल का हमें भी पता नहीं होता। जीवन की सांझ ढलने से पहले सोचा न था कि कभी ऐसा मोड़ आएगा, जो मुझे…

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जाना है बहुत दूर

जाना है बहुत दूर आज उम्र के इस पड़ाव पर आकर अपने बारे में कुछ सोचने की कोशिश करती हो तो मेरा बचपन सबसे पहले मुझे याद आता है । मेरा जन्म कलकत्ता में हुआ था। मेरे माता पिता शिक्षित और बहुत संस्कारवान थे । परिवार में कोई चीज की कमी नहीं थी और हमें…

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