सुना तो सिर्फ दिल का

  सुना तो सिर्फ दिल का   मेरा जन्म 22 फरवरी को हुआ । मैं दूसरे नम्बर पर थी। बहन के एक साल बाद ही मेरे आगमन से कोई ज्यादा खुशी नहीं हुई थी मेरे परिवार को।और फिर मेरे बाद दो और बहनें , तब एक भाई। मम्मी भी नौकरी में थे और दादी का…

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सांझ जिंदगी की

सांझ जिंदगी की जिंदगी सतत परिवर्तनशील है। जन्म लेने से अंत तक, न जाने कितने अंजान रास्तों से चलते, फिसलते, ठोकरें खाते, संभलते हम निरंतर उस राह पर चलते रहते हैं, जिसकी मंजिल का हमें भी पता नहीं होता। जीवन की सांझ ढलने से पहले सोचा न था कि कभी ऐसा मोड़ आएगा, जो मुझे…

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जाना है बहुत दूर

जाना है बहुत दूर आज उम्र के इस पड़ाव पर आकर अपने बारे में कुछ सोचने की कोशिश करती हो तो मेरा बचपन सबसे पहले मुझे याद आता है । मेरा जन्म कलकत्ता में हुआ था। मेरे माता पिता शिक्षित और बहुत संस्कारवान थे । परिवार में कोई चीज की कमी नहीं थी और हमें…

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कब हारा चुनौतियों से

  कब हारा चुनौतियों से ‘डॉ विकास सिंह का नाम हृदय चिकित्सा के क्षेत्र में बिहार के चर्चित और विश्वसनीय चिकित्सकों में आता है।’- अक्सर लोगों से यह सुनने को मिलता है- सुनकर अच्छा भी लगता है और साथ ही साथ अपनी जिम्मेदारी आप पर भरोसा करने वालों की वजह से कितना बढ़ जाता है…

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उम्मीद की ज्योति

  उम्मीद की ज्योति जीवन परिचय की बात हो तो शायद ही पूरी हो पाए जीवन से मुक्कमल या भली भांति परिचित होना , मगर चुकी यह औपचारिकता है अपना परिचय देना तो यही कहूंगी कि मेरा जन्म गया जिला के गांव पूरा में दिनांक बीस नवंबर को हुआ, सौभाग्यशाली हूँ कि मैं उस घर…

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लिखती तो तू है ज़िन्दगी

  लिखती तो तू है ज़िन्दगी मैंने तो सिर्फ पकड़ रखा है हाथ में कलम , लिखती तो तू है ज़िंदगी ! देखा जाए तो लिखने वाले हर विधा पर कलम चला ही लेते हैं, पर जब बात खुद पर लिखने की हो तो यह बात रोचक भी हो जाती है और तनिक जोखिमपूर्ण भी…

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बस यूँ ही चलते जाना है

  बस यूँ ही चलते जाना है कौन कहता है आसमां में सुराग नही हो सकता एक पत्थर तो तबीयत से उछालो  यारों। मेरा जन्म महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में 29 सितंबर 1968 को हुआ,विविध पारिवारिक कारणों से या यूं कहें कि मां के देहावसान के कारण 1978 में जमशेदपुर आना हुआ। फिर स्कूली शिक्षा…

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शून्य से समग्र की ओर

” शून्य से समग्र की ओर “…. इस विराट ब्रह्मांड में हमारे होने का सत्य ही यह जीवन है ।धरती पर बसे हर जीव की अपनी एक कहानी है। संवेदनाओं की अनुभूति गहरे चिंतन के बाद अभिव्यक्ति का वह भास्वर बनती है जहां पारस्परिक एकात्मकता जीवन को मजबूती प्रदान करती है। कहते जिसका जितना समर्पण…

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