छोटा कद, ऊँचा व्यक्तित्व

छोटा कद, ऊँचा व्यक्तित्व देश को आजादी मिले बीसेक बरस हुए होंगे, जब हमने एक छोटे शहर के एक छोटे स्कूल में पढ़ाई शुरु की थी। तब देश कितनी समस्याओं से जुझारू होकर लड़ रहा है, नहीं पता था। लेकिन देश के दूसरे प्रधानमंत्री की मौत पर स्कूल के प्रांगण में एक छोटी सभा हुई…

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फागुन आया

फागुन आया मह-मह मंजर महुआ ले फागुन आया सखि, फिर बागों में वसंत हुलसाया! धानी चादर ओढ़ कहीं मटर सेम गदराया सखि,फिर बागों में वसंत हरषाया!! पीक कूक डाली-डाली बेदर्द दर्द सुलगाया हे सखि, फिर से वसंत भरमाया!! पीली सरसों,मदभरे नयन करता नर्तन संग पवन मन मदन राग यह गाया सखि,फिर हिय मध्य वसंत कुछ…

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बेचारी शिक्षा

बेचारी शिक्षा पुस्तकों की गलियों में भटकते – भटकते, मुलाकात हो गई शिक्षा से, मैंने पूछ लिया उससे, यूंही हाल उसका। रूआंसी होकर बोली वह, मत पूछो क्या हाल है मेरा, पहले रहती थी गुरुकुलों में, सादगी और संस्कारों के संग, पर अब हो गईं हूँ बाजारू, कभी पैसों के बल पर बेची और खरीदी…

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पेच्ची

पेच्ची कितना मुश्किल है जीवन का यथार्थ ये तो सभी जानते हैं। इतना कि दुःख ही सत्य लगता है सुख नहीं! हाट की चहल-पहल व धूल के बीच पेच्ची उदास बैठी है।साथ में लचकी खड़ी है।उसकी बड़ी-बड़ी आँखें ख़ुशी व्यक्त कर रहीं हैं या उदासी कहना कठिन है। सत्य यही है कि दोनों की आँखों…

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हिन्दी पर अन्य भाषा का प्रभाव

हिन्दी पर अन्य भाषा का प्रभाव अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की संख्या बढ़ती जा रही है, जहां दिन भर में सिर्फ एक हिंदी की कक्षा होती है स्वाभाविक है कि बच्चे अंग्रेजी ही ज्यादा सुनते हैं और बोलते हैं . . इन बच्चों की जुबान पर हिगलिंश हावी हो गई है। एक भी वाक्य बिल्ला…

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हरफनमौला बंशी

हरफनमौला बंशी बंशी उठ जा! देख सभी उठ गए |सूरज पंक्षी पेड़ पौधे| देख गाय भी रंभा रही | उठ जा तू भी |बंशी को अम्मा परेशान सी झकझोर रही थी| वो चादर को सिर तक ओढ़ कर कमरे की कोने वाली चौकी पर अड़ा सा पड़ा हुआ था | उठ जा रे लड़के…. उठ…

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तिरंगा

  तिरंगा पले जब खौफ़ दिल में तो ,मिटेगी खाक़ फिरअपनी। निभाओ रस्म माटी की , बचाओ साख फिर अपनी। कभी सरहद बुलाये तो , तिरंगा बांध तुम लेना– जमी के आखरी तल पर , बहाओ राख़ फिर अपनी।। तभी लेंगें वतन वाले , तुम्हारा नाम दुनिया में। निभाना फ़र्ज अपना तुम, दिखेगा काम दुनिया…

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कैक्टस

कैक्टस दस दिन के दुधमुँहे मुन्ना को गोदी में लिए, देहरी पर खड़ी संचिता, कुछ अधिक खीझ और कम भय के साथ सामने बैठक में दीवान पर लेटे सचिन को देख रही थी। उसकी सास मनियादेवी अभी-अभी पैर पटकती इसी देहरी से बाहर निकली हैं। उनके स्वर का ताप संचिता के समूचे तन से लिपटा…

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होली में

होली में जाहिर हम जज़्बात करेंगे होली में तुमसे खुल कर बात करेंगे होली में ।। तुम उसको आंखों आंखों में पढ लेना हम जो इजहारात करेंगे होली में ।। खोल के दिल के दरवाजों को तुम रखना पेश तुम्हे सौगात करेंगे होली में ।। खुशबू से भर देंगे तेरे दामन को फूलों की बरसात…

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