वर दे, वीणा वादिनी वर दे !
वर दे, वीणा वादिनी वर दे ! अहं रुद्रेभिर्वसुभिश्चराम्यहमादित्यैरुत विश्वदेवैः। अहं मित्रावरुणोभा बिभर्म्यहमिन्द्राग्नी अहमश्विनोभा॥ (ऋग्वेद 10/ 125) मैं (वाग्देवी) रुद्रों (प्राणतत्त्व, एकादश रुद्र), वसुओं (पृथ्वी आदि आठ वसुओं), आदित्यों (बारह आदित्य सूर्य) तथा विश्वेदेवों (सभी देवों, सभी दिव्य विभूतियों) के रूपों में विचरण करती हूँ। मैं मित्र और वरुण (सौरतत्त्व और जलीय तत्त्व) तथा इन्द्र…