हम सब एक चमन के फूल

हम सब एक चमन के फूल साक्षी है इतिहास हमारा गए नहीं हम भूल, हम सब एक चमन के फूल हम सब एक चमन के फूल। हम हैं हिंदू,हम हैं मुस्लिम,हम हैं सिख ईसाई, जाति धर्म के झूठे झगड़ों में हम पढ़े ना भाई, गीता,ग्रंथ,कुरान,बाइबिल सबका एक ही मूल, हम सब एक चमन के फूल…

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स्वागत गणतंत्र

स्वागत गणतंत्र स्वागतम सुमधुर नवल प्रभात, स्वागतम नव गणतंत्र की भोर, स्वागतम प्रथम भास्कर रश्मि, स्वागतम पुन:, स्वागतम और। जगा है अब मन में विश्वास, कि सपने पूरे होंगे सकल, कुहुक कुहकेगी कोयल कूक, खिलेगा उपवन का हर पोर। युवा होती जायेगी विजय, सुगढ़ होता जायेगा तंत्र, फैलती जायेगी मुस्कान, विहंसता जायेगा जनतंत्र। कल्पनाएं सब…

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वतन से दूर

वतन से दूर वतन से दूर हूँ लेकिन अभी धड़कन वहीं बसती… वो जो तस्वीर है मन में निगाहों से नहीं हटती… बसी है अब भी साँसों में वो सौंधी गंध धरती की मैं जन्मूँ सिर्फ भारत में दुआ रब से यही करती… बड़े ही वीर थे वो जन जिन्होंने झूल फाँसी पर दिला दी…

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मां शारदे

मां शारदे जय मां शारदे,हे मां शारदे, हम सबको शुभ वर दे, विद्या का असीम भंडार भर दे, गागर में सागर भर दे, तू तो ज्ञान का रुप है, अज्ञानता का अंधकार मिटा दे, जीवन को सार्थक कर दे, हम सब सुंदर सृजन करें, संस्कारों से शोभित कर दे, विद्या का वरदान दे, तूने ही…

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मातु विनत वंदना हमारी

मातु विनत वंदना हमारी तुम्हे समर्पित ह्रुदयांतर से ,मातु विनत वंदना हमारी, अक्षर अक्षर बांध लिया है ,भाव- सुमन मुक्ताहारों से, स्वर वैभव के गीत रचाकर ,सरगम के स्नेहिल तारों से विश्वासों का दीप जलाये ,मातु सहज प्रार्थना हमारी . मातु विनत वंदना हमारी पाँव भटकतेजग-अरण्य में,मन बोझिल और पथ दुर्गम है, लक्ष्य शिखर को…

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मधुमास

मधुमास मधुर मधुर मधुमास खिला मन पुलकित उल्लास मिला। भासमान है सूर्य बिम्ब चल रहा साथ निज प्रतिबिम्ब। प्रकृति ओढ़ी है नव दुकूल मन में उठते हैं भाव फूल। कोकिला करे कुहू पुकार गायें भी भरती हुंकार। मन वासंती जागे उमंग बह रही ख़ुशी की नव तरंग। दे रही थाप गोरी पी के संग चढ़…

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बसंती बंसरी

बसंती बंसरी सुनो-सुनो बंसरी का शोर नाच उठा वन मोर …. सुरों की पिचकारी छुटी भींगा तनमन भींगा जनजन … पीला संयम मन झझ्कोरे सुधि पीये बंजारा .. सुनो सुनो बंसरी का शोर…… नाच उठा मन मोर…. दौड़ चली पीड़ा कल की फिजाओं की तनहाई गीतों के तालों में डोले मन मौसम की शहनाई.. सुनो-सुनो…

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पधारो हे अतिथि

पधारो हे अतिथि नववर्ष कुसुम हुआ है आज पुष्पित पल्लवित, देखो मोरे घर आंगन द्वारे उजास प्रकाश का स्त्रोत सांझ सकारे पधारो हे अतिथि अभिनंदन तुम्हारा इनकी सुगंध और निराली अदाएं बरसातीं हैं लिए, मेह नेह, इनकी हवाएँ दवाओं से बढकर करतीं असर इनकी अप्रतिम अदाएं अलौकिक दुआएं, ये चांद रातों में, अमृत बरसाएं, झूमें…

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फागुन आया

फागुन आया मह-मह मंजर महुआ ले फागुन आया सखि, फिर बागों में वसंत हुलसाया! धानी चादर ओढ़ कहीं मटर सेम गदराया सखि,फिर बागों में वसंत हरषाया!! पीक कूक डाली-डाली बेदर्द दर्द सुलगाया हे सखि, फिर से वसंत भरमाया!! पीली सरसों,मदभरे नयन करता नर्तन संग पवन मन मदन राग यह गाया सखि,फिर हिय मध्य वसंत कुछ…

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