मन और गुलाब
मन और गुलाब मन गुलाब सा कोमल सुरभित, आज कर रहा स्नेह निवेदित संग साथ का सुख चाहें हम मेरी कविता तुम्हें समर्पित मन वाणी और भाव हृदय के आज सभी तुमको को है अर्पित यह गुलाब सी रंजित कविता बने दोस्ती की मिसाल जब हम तुम बंधे एक बंधन में गुथे हुए फूलों से…