देह से इतर स्त्री ……….!!

देह से इतर स्त्री ……….!! एंगेल्स ने कहा है कि मातृसत्ता से पितृसत्तात्मक समाज का अवतरण वास्तव में स्त्री जाति की सबसे बड़ी हार है। मानविकीविज्ञान शास्त्र (Anthropology) के विचारक ‘लेविस्त्रास’ ने आदिम समाज का अध्ययन करने के बाद कहा-‘सत्ता चाहे सार्वजनिक हो या सामाजिक, वह हमेशा पुरुष के हाथ में रही है। स्त्री हमेशा…

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सुभागी

सुभागी महान कथा सम्राट, क़लम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी “सुभागी” पर समीक्षात्मक आलेख। कहा जाता है। जितना कहा जाना था। जितना लिखा जाना था, वो सब कहा और लिखा जा चुका है। प्रकृति प्रदत्त पंच तत्वों के नैसर्गिक एवम भौतिक प्रतिमान शाश्वत हैं। जिनकी विद्यमानता अनादिकाल से अनवरत स्थापित है। समय काल…

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Awakening

Awakening conscience which flows through the veins doesn’t allow forgetting about oneself despite this you sleep with the hard sleep of Jonas you don’t dump the world on the other side of your eyelids you remain motionless dying while alive Izabela Zubko Poetess, journalist and translator Warsaw, Poland translate by: Anna Meysztowicz 0

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विस्थापित

विस्थापित इंसानों के भीतर एक अग्नि, जठराग्नि… बहुत तेज ताप वाली अग्नि का, धीमे – धीमे जलना, इसी जठराग्नि के वशीभूत हो, उसका चलायमान हो जाना, एक चकाचौंध भरी जादू नगरी की ओर, पर उसकी आत्मा तो वहीं रह जाती है, खेत के किसी कोने में, या गली के नुक्कड़ पर। आत्मा बहुत कम जगह…

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करोगे याद तो हर बात याद आएगी

करोगे याद तो हर बात याद आएगी मैं, ऋचा वर्मा, माता स्वर्गीय प्रमिला वर्मा, पिता श्री सुरेन्द्र वर्मा की सबसे बड़ी संतान, एक लंबे, लगभग 10 वर्षों की प्रतीक्षा और बहुत मन्नतों के प्रतिफल के रूप में उनकी जिंदगी में आयी। संस्कृत भाषा में एम. ए. पास माता जिन्हें मैं मम्मी कहती ने मेरा नाम…

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जुझारू नेत्री-रोज़ा लुईज़ मक्कॉली पार्क्स

जुझारू नेत्री-रोज़ा लुईज़ मक्कॉली पार्क्स रोज़ा लुईज़ मक्कॉली पार्क्स (4 फ़रवरी 1913 – 24 अक्टूबर 2005) अफ़्रीकी-अमेरिकी नागरिक अधिकार कार्यकर्त्ता थीं जिन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस ने “द फ़र्स्ट लेडी ऑफ़ सिविल राइट्स” (नागरिक अधिकारों की पहली औरत) और “द मदर ऑफ़ द फ्रीडम मूवमेंट” (आज़ादी लहर की माँ) नामों से पुकारा। रोजा पार्क्स…

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सुबह, दोपहर और शाम

सुबह, दोपहर और शाम दिसम्बर का अंतिम सप्ताह भारत के उत्तरी भाग में सिहरन, ठिठुरन, धूप की गर्मी, कम्बल और रजाई के मखमली अहसास और आग की तपन का होता है। और इसी महीने में आता है क्रिसमस का रंगीन त्यौहार। बाकी भारतीय पर्वों की तरह इसके दिन और महीने नहीं बदलते – यह हमेशा…

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रीता रानी की कविताएं

रीता रानी की कविताएं 1.अनुपात – समानुपात किसी भी शोक को सभी ने अपने-अपने पाव में नापा , प्रविष्ट हुए सब अपनी- अपनी खोह में , दुख की कालिमा को देखने के लिए । थोड़ी देर के लिए शोक समानुपातिक हो गया , इस तरह व्यक्तिगत होकर भी वह सार्वजनीन हो गया ।   समाज…

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भाई दूज

भाई दूज पुराने हो गए शब्दों को पुराने हो गए दिन अब न जाने कब लौटेंगे बचपन के वे भाई दूज के दिन पाँच दिन की वह सुनमा गेहमी नन्हे कदमों की वह चहलकदमी पांच दिन के पांच गंध घर के हर कोने में मिठाई की खुशबू भैया राजा बनके राजा ख़ूब जमाये रौब अक्षत…

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