प्रेम की पूरकता
प्रेम की पूरकता तुम कोई गीत लिखो तुम कोई गीत लिखो, और मै गाऊं, गीत माटी के, गीत फसलों के, गीत सुबह-शाम ,गोधूली-विहान के. तुम कोई सूरज गढ़ों, और मै .. किरणों का परचम सजाऊं, मन की मञ्जूषा में यादों के साये हैं, भूले बिसरे नगमे बादल बन छाये हैं, जीवन के आँगन में तुम,…