प्रेम की पराकाष्ठा

प्रेम की पराकाष्ठा प्रेम सत्य है,सर्वव्यापी है प्रेम की पराकाष्ठा भला कब किसने नापी है!! प्रेम विश्वास है प्रेम आस है, प्रेम प्यास है एहसास है!! प्रेम पूजा है,प्रेम निष्ठा है, प्रेम नाता है ,प्रेम विरह है!! प्रेम को कब किसने बांधा है प्रेम को कब किसने मापा है, प्रेम अनछुआ है अनदेखा है प्रेम…

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प्रेमपत्र सन बहत्तर का

प्रेमपत्र सन बहत्तर का किशन आज बहुत लंबे समय के बाद तुम दिखे।समय को दिनों, महिनों और वर्षों में बाँटने की शक्ति कहाँ थी मुझमें।हर एक पल तो युग की तरह बीता था। कितने युग बीत गए इसका भान ही कहाँ रहा मुझे।मन तो सदा तुम्हें खोजता रहता था। आज तुम पर दृष्टि पड़ी तो…

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हां मैं प्रेम में हूं

हां मैं प्रेम में हूं प्रेम में हूँ..! हां मैं प्रेम में हूं..! स्वयं के..! और लगता मुझे… ये सारा संसार है प्रेममय…! शबनमी रेशमी एक सूत.. एक धागा महीन सा..! जुड़ता जोड़ता… रूहों की खुशबूओं से.. रूहों को… और रूहानियत से.. सराबोर ये ब्रम्हांड…! कल कल करता झरने सा…! अकूत स्तोत्र के खजानों संग……

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रजनीगंधा

रजनीगंधा कल सांझ का दिया जलाने गई थी तुलसी तले घर के आंगन में, तभी मस्त हवा के झोंके ने बिखेर दी रजनीगंधा की सुगंध पूरे आंगन में। वो रजनीगंधा जिसे तुमने बड़े प्यार से लगाया था हमारे आंगन में, और कहा था, “प्रिये गुजारेंगे गर्मियों की रातें इस प्यारे से आंगन में”। पर, तुम्हें…

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हम तुम

हम तुम हम तुम जब मिले थे कितने अंजान एक दूसरे से बिल्कुल दो अजनबी से धीरे धीरे हुई जान पहचान कभी नोंक झोंक कभी तीखी तकरार कभी गुस्सा कभी सुलह यूँ कब फिर बन गए दोस्त और रंग गये एक दूजे के प्यार में खबर भी न हुई यूँ वक्त लेता रहा इम्तिहान कई…

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प्रेम की पूरकता

प्रेम की पूरकता तुम कोई गीत लिखो तुम कोई गीत लिखो, और मै गाऊं, गीत माटी के, गीत फसलों के, गीत सुबह-शाम ,गोधूली-विहान के. तुम कोई सूरज गढ़ों, और मै .. किरणों का परचम सजाऊं, मन की मञ्जूषा में यादों के साये हैं, भूले बिसरे नगमे बादल बन छाये हैं, जीवन के आँगन में तुम,…

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शाश्वत प्रेम

शाश्वत प्रेम मचलती-बलखाती नदियाँ, किनारों से टकराती नदिया, अपनी रवानगी में बहती चली जाती है मौन सागर में समाने को। खुद को खो कर कुछ पाना है, हार में ही जीत है यह कहती जाती है नदियाँ! गुलाब खिला है खुश्बूओं से सुवासित है। पर खो देता है अपनी सुगंध मुरझाने पर। आखिर वो खुश्बू…

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तुम आओगे या मैं जाऊं

तुम आओगे या मैं जाऊं तुम आओगे या मैं आ जाऊं कि, अब तो पतझड़ के बाद की नंगी शाखाओं पर नए पत्ते आ चुके हैं और प्रकृति भी अपने पुराने लिबास उतार कर नए आवरण में इठला रही है दिन लंबे और उदासी भरे हो गए हैं बहुत सारी उदासी इकट्ठी हो गई है…

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एक दूसरे के साथ जीना

एक दूसरे के साथ जीना प्रेम करने से पूर्व मैं तुम्हें जानती नहीं थी , मैं तुम्हें नहीं जान पाई प्रेम करने के बाद भी , पर इस जानने और न जानने के बीच , रास्ते में आई रिश्तों की पगडंडी ने, थक चुके मेरे मन को ये सिखा दिया है कि , प्रेम का…

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पवित्र प्रेम

पवित्र प्रेम प्रेम, इश्क़, मुहब्बत महज़ शब्द नहीं होते इसमें निहित होता है किसी का एहसास कई ‘सुनहरे ख़्वाब’, कुछ खट्ठी मीठी ‘स्मृतियाँ’ प्रेम एक पल में किसी एक व्यक्ति से होने वाली ”क्षणिक अनुभूति” होता है। जहाँ निहित होता है निःस्वार्थ ”समर्पण’ देह से परे दो आत्माओं का ”अर्पण” एक ”विश्वास” समाहित होता है…

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