हामिद के बहाने आज का विद्रूप समाज !

हामिद के बहाने आज का विद्रूप समाज !! जब भी टी वी पर मैं हवेल्स केबल का विज्ञापन देखता हूँ, जिसमे माँ का हाँथ रात का खाना(रोटी) बनाने के क्रम में जलने जैसा होता है, और पास ही खाने के लिए बैठा एक नन्हा सा बालक इसे देखता है….अनुभव करता है और अचानक उठ कर…

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अरे! जरा संभल कर

अरे! जरा संभल कर अँधेरी गलियों के स्याह- घुप्प अंधकार में, आशंकित- भयभीत ह्रदय ढूँढेगा तुम्हारा हाथ, पकड़ जिसे मैं चुभते पत्थरों पर, चलने में लड़खड़ाने पर, गिरफ्त को और महसूस करूँ कसता हुआ, इन शब्दों के साथ,”अरे! जरा संभल कर।” जब कोरों से झाँकते बूँदों को, तुम संभाल लो अपनी हथेलियों में, फिर बना…

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शराबी

शराबी “चलो – चलो, जल्दी -जल्दी लादो… कंबल सब लदा गया न, और खाने का पैकेट….” वार्ड पार्षद के प्रत्याशी गाड़ी में सामान लदवा रहे थे । गाड़ी के ऊपर चिपके हुए पोस्टर, पेंट किये हुए चुनाव चिन्ह और लटकाए हुए बैनर ने गाड़ी के आकार, ढ़ांचे और रंग को उसी तरह से ढ़ंक रखा…

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सीमा भाटिया की कविताएं 

सीमा भाटिया की कविताएं    1.उद्घोष    धूल धूसरित यह धरा बार-बार है पुकार रही युवा शक्ति को फ़िर से नव चेतना हेतु ललकार रही   मस्तक पर तिलक मेरा करो और जोश का वरण करो रिपु को मिटाने के लिए अस्त्र शस्त्र अब धारण करो मातृ भूमि की रक्षा हेतु लश्कर अपने बल संवार…

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छाप ‘मंत्र’ की

छाप ‘मंत्र’ की सर्वाधिक लोकप्रिय साहित्यकार प्रेमचंद की बहुत सी कहानियों ने मुझे पुनः-पुनः पढ़ने के लिए विवश किया| उनकी कहानियों के कथानक और चरित्र हमारे आस-पास की घटनाओं और चरित्रों से इस कदर मिलते-जुलते है कि हमारे भावों और संवेदनाओं को छूते हैं| साथ ही उनका लेखन आज भी प्रासंगिक हैं| प्रेमचंद की कहानियों…

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अपराधी कौन?

अपराधी कौन?   “ले जाओ इसे। तुरंत उठाओ।” डॉ. साहब ने आदेश दिया। सिस्टर ने सहम कर पूछा “रामा को बुला लाऊँ ? बातचीत सुनाई तो दे रही थी पर समझ नही सकी शीला। वह अर्ध बेहोशी में थी।एक गूँज सी आवाज़ ही सुनाई पड़ी। ” हाँ ले तो वहीं जायेगा,पर,अभी नहीं। अभी नर्सरी में…

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लौटा दो बचपन

लौटा दो बचपन डंगा डोली पकड़म पकड़ाई तू भाग कर छिप जा मैं आई। आओ कबड्डी और खो-खो खेलें नदी पहाड़ के भी मजे ले लें। पोसंपा भई पोसंपा डाकिए ने क्या किया। सौ रुपए की घड़ी चुराई अब तो जेल में जाना पड़ेगा। ऐसा कौन सा बच्चा जिसने “विष अमृत” न खेला होगा। लूडो…

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मेडिकल समर्पित रक्त व साहित्य सुधा

“मेडिकल समर्पित रक्त व साहित्य सुधा” जिंदगी का सफर यदि खट्टे मीठे अनुभवों का पिटारा है , तो यादों के पन्ने होते हैं और फिर चलते चलते जीवन के उतार चढ़ाव में विधाता ने कुछ ऐसे मोड़ लिखे होते हैं,जिनके बारे में कल्पना में भी सोचा नही होता है।बचपन की यादें एक सुखद हँसी होंठों…

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“राष्ट्रपिता”

“राष्ट्रपिता” किसने जाना था कि सत्य के प्रतीक बन जाओगे अहिंसा के मसीहा भारत की तकदीर बना जाओगे ! किसने समझा था तुम्हे एक दुबली सी काया देगा भारत को आजादी का स्वरुप ! आज नत हम भारतवासी तुम्हारी अद्भुत सीख को याद करे बापू समय के इस चक्र में संसार को समझना होगा संकल्प…

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