वेलेनटाईन-डे और करफ़्यू

वेलेनटाईन-डे और करफ़्यू आज वेलेनटाईन-डे के अवसर पर भावनाओं में महकती है भीनी भीनी ख़ुशबू जिस्म-व-जान में दोड़ती है एक मदहोश लहर आत्मा के झरोखों से आने लगती है स्वर्ग की सुगन्धित पवन इस दिन की प्रतीक्षा थी पूरे वर्ष कि मिलन का अवसर मिल जाए किसी रेस्टुरां के काफ़ी टेबल पर खोल देते हम…

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आतंक

आतंक घर के कोने में पड़ा मकड़े का जाला,देता है गवाही, कि वर्षों से यह मकान खाली पड़ा है, आस पास के दीवारों पर पड़े खुन के छींटे, धूल की मोटी परतों के बावजूद, उसे साफ़ – साफ़ दिख पा रहे हैं। नन्हीं गुड़िया सी वह, चैन की नींद सो रही थी, अपने नर्म गर्म…

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जय जवान

जय जवान वतन के लिए ऐसा प्यार देखिए हमारे जवानों का अरमान देखिए सीमा पर सालों से हैं अड़े हुए है अपने कर्म पर विश्वास देखिए अनोखे जोश से हैं फड़कती बाहें हैं अलबेले उनकी पहचान देखिए भीड़ जाते हैं वो दुश्मन से बेखौफ शेर हमारे देशके वीरजवान देखिए कुर्बानी के हैं बनाते वो इतिहास…

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शहीदों के नाम

शहीदों के नाम आज मौन हैं मेरे शब्द नहीं लिखनी मुझे कोई कविता क्या सचमुच इतने समर्थ हैं मेरे शब्द ? इतनी सार्थक है मेरी अभिव्यक्ति / कि रच दूँ आपके बलिदानों को सिर्फ एक कविता में…… हाँ, नहीं लिखना मुझे अपने जज्वात अपने अंदर उपजे असीम वेदना की लहर…. कैसे व्यक्त कर दूँ कुछ…

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शहादत

शहादत क्या कहें कैसे कहें ,कहने को कुछ रहा नहीं । माँ की लंबी तपस्या , बक्से में बंद रहा नहीं । बक्से में तन टुकड़ों में , आत्मा ब्रह्म लीन है । साधना सिद्धि तपस्या , देश धरोहर रहा नहीं । बस तिरंगा देखतीं हूं , लाल मेरा दहाड़ा नहीं । आस थी विश्वास…

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नर का पौरुष

नर का पौरुष जब-जब संकट ने जाल बुना नर ने पौरुष का वार चुना यूँ शैय्या पर जीकर क्या हो उसने मृत्यु अधिकार चुना विद्युत सम तलवार लिये तड़ितों को अपने तुनीर धरे लगा गाँठ जनेऊ में भरकर भीषण हुंकार चला कितने रत्नाकर लाँघ दिए अगणित सेतु भी बाँध दिए माँ के वचनों की रक्षा…

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बसंत

बसंत आया बसंत हर्षित हुए अनंग धरती का मगर देख हाल सिकुड़ा किंचित मस्तक भाल दिल्ली में जब देखा तनाव बदले अपने मन के भाव किया उन्होंने एक एलान लड़ूंगा अबकी मैं भी चुनाव दिखाऊंगा अपना प्रभाव रति लाना मेरा धनुष बाण सुनो सब मेरा संकल्प पत्र मैं ही हूं बस तुम्हारा विकल्प तुम भी…

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उस अमवा की छांव में

अमवा की छांव में चल साथी चउसलकर बैठेंगे उस अमवा की छांव में,.. चल थोड़ा जीकर आते हैं हम यादों के गांव में,.. कैसे तुम मिलने आए थे शादी का करके इरादा,.. वो पल जब करके गए थे तुम जल्दी आने का वादा,.. वो मस्तियां वो शोर शराबा हमारी शादी के चाव में,.. चल थोड़ा…

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जीवन का मंत्र है प्रेम

जीवन का मंत्र है प्रेम प्रेम, प्रतीक है जीवन का मंत्र है आत्मवैभव का। प्रेम का कोई भी संबंध, वासना से नहीं, पृथक है,वासना! प्रेम की शर्तें नहीं उम्र,जाति, मज़हब या ,सामाजिक बंधन भी नहीं! प्रतिदान,प्रेम का सिर्फ प्रेम ही है, वस्तु या…….. दैहिक, सांसारिक ……कुछ भी नहीं! प्रेम देश से,प्रेम मातृभूमि से और माँ…

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अनुभूति

अनुभूति ” माँ कल मेरे स्कूल में लेख प्रतियोगिता है, क्या आप मेरी मदद कर देंगी ” – अंकुर ने स्कूल से आ कर माँ से कहा । ” हाँ क्यों नहीं बेटा किस विषय पर लिखना है ” – माँ ने प्यार से पूछा । ” प्रेम ” पर — कहा अंकुर ने अरे…

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