आया मौसम प्रेम का…

आया मौसम प्रेम का… रोज़ डे 1 शीत ऋतु की उजली धूप सा चमके है तेरा रूप….. हर लो मेरा उर-तिमिर प्रिय स्वीकारो यह वृतपुष्प 2 हृदय तल में ले उद्वेग कई सतह पर मैं रहा संभ्रांत जीवन रण के कोलाहल से तन जर्जर मन हुआ क्लान्त बिसरी सुधि की पुस्तिका से झांक उठा तब…

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पहली मुलाकात

पहली मुलाकात आंखों की शोखियां लरजते लब जाने क्या कह रहे थे चुपके से कुछ तो राज था गहरा उस शरारती मुस्कान के पीछे सुरमुई शाम की आगोश में कोई नूर सी जगमगाहट तेरे चेहरे पे पोशीदा सी थी मोगरे की खुशबू से लबरेज रेशमी घटाओं से टपकती शबनम की बूंदे अल्हड़ मस्त मंद मुस्कुराती…

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निर्बाध प्रेम

निर्बाध प्रेम भादों की नदी-सी बहती .. हृदय की प्यास है प्रेम . भावना का उफान मात्र नहीं! अनुभूति की सच्चाई से भरी… पानी में नमक के एकाकार -सा … स्वाति के बूंदों की बेकली से प्रतीक्षा चातक का हठ है प्रेम ! विरह के बिना उपजता नहीं यह सभी विकारों को भस्म कर देने…

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निःस्वार्थ प्रेम की दास्तान है वैलेंटाइन

निःस्वार्थ प्रेम की दास्तान है वैलेंटाइन ये कटु सत्य है कि प्रेम मानवीय वृत्तियों का दिव्यतम रूप है।प्रेम पाषाण ह्रदय को भी पिघलाकर सरस बना देता है उसके अभाव में सब कुछ नीरस लगता है।जिस ह्रदय में प्रेम का संचार हो जाता है उसका मन मयूर की भांति नाचने लगता है।वाक़ई प्रेम एक अछूता एहसास…

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वेलेनटाईन-डे और करफ़्यू

वेलेनटाईन-डे और करफ़्यू आज वेलेनटाईन-डे के अवसर पर भावनाओं में महकती है भीनी भीनी ख़ुशबू जिस्म-व-जान में दोड़ती है एक मदहोश लहर आत्मा के झरोखों से आने लगती है स्वर्ग की सुगन्धित पवन इस दिन की प्रतीक्षा थी पूरे वर्ष कि मिलन का अवसर मिल जाए किसी रेस्टुरां के काफ़ी टेबल पर खोल देते हम…

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आतंक

आतंक घर के कोने में पड़ा मकड़े का जाला,देता है गवाही, कि वर्षों से यह मकान खाली पड़ा है, आस पास के दीवारों पर पड़े खुन के छींटे, धूल की मोटी परतों के बावजूद, उसे साफ़ – साफ़ दिख पा रहे हैं। नन्हीं गुड़िया सी वह, चैन की नींद सो रही थी, अपने नर्म गर्म…

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जय जवान

जय जवान वतन के लिए ऐसा प्यार देखिए हमारे जवानों का अरमान देखिए सीमा पर सालों से हैं अड़े हुए है अपने कर्म पर विश्वास देखिए अनोखे जोश से हैं फड़कती बाहें हैं अलबेले उनकी पहचान देखिए भीड़ जाते हैं वो दुश्मन से बेखौफ शेर हमारे देशके वीरजवान देखिए कुर्बानी के हैं बनाते वो इतिहास…

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शहीदों के नाम

शहीदों के नाम आज मौन हैं मेरे शब्द नहीं लिखनी मुझे कोई कविता क्या सचमुच इतने समर्थ हैं मेरे शब्द ? इतनी सार्थक है मेरी अभिव्यक्ति / कि रच दूँ आपके बलिदानों को सिर्फ एक कविता में…… हाँ, नहीं लिखना मुझे अपने जज्वात अपने अंदर उपजे असीम वेदना की लहर…. कैसे व्यक्त कर दूँ कुछ…

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शहादत

शहादत क्या कहें कैसे कहें ,कहने को कुछ रहा नहीं । माँ की लंबी तपस्या , बक्से में बंद रहा नहीं । बक्से में तन टुकड़ों में , आत्मा ब्रह्म लीन है । साधना सिद्धि तपस्या , देश धरोहर रहा नहीं । बस तिरंगा देखतीं हूं , लाल मेरा दहाड़ा नहीं । आस थी विश्वास…

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