यू आर माय वैलेंटाइन

यू आर माय वैलेंटाइन  मैं और तुम दो अलग अलग चेहरे दिल शरीर जान आत्मा व्यक्तित्व परिवार दोस्त वातावरण फिर भी हम ऐसे एक दूसरे मे यूं समाहित हुए मेरा सब कुछ हुआ तेरा तेरा सब कुछ हुआ मेरा तेरा मान सम्मान स्वभिमान सुख दुःख सफलता धन सम्पत्ति परिवार जिम्मेदारी हुई मेरी और मेरी हुई…

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यू आर माय वैलेंटाइन

यू आर माय वैलेंटाइन   प्यार मोहब्बत आशिकी ये बस अल्फाज थे। मगर… जब तुम मिले तब इन अल्फाजोंं को मायने मिले बदलना आता नहीं हमें मौसम की तरह, हर इक रुत में तेरा इंतज़ार करते हैं, ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक, कसम तुम्हारी तुम्हें इतना प्यार करते हैं।   0

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यू आर माय वैलेंटाइन

यू आर माय वैलेंटाइन मैं और तुम दो अलग अलग चेहरे दिल शरीर जान आत्मा व्यक्तित्व परिवार दोस्त वातावरण फिर भी हम ऐसे एक दूसरे मे यूं समाहित हुए मेरा सब कुछ हुआ तेरा तेरा सब कुछ हुआ मेरा तेरा मान सम्मान स्वभिमान सुख दुःख सफलता धन सम्पत्ति परिवार जिम्मेदारी हुई मेरी और मेरी हुई…

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यू आर माय वैलेंटाइन

    यू आर माय वैलेंटाइन मैं और तुम दो अलग अलग चेहरे दिल शरीर जान आत्मा व्यक्तित्व परिवार दोस्त वातावरण फिर भी हम ऐसे एक दूसरे मे यूं समाहित हुए मेरा सब कुछ हुआ तेरा तेरा सब कुछ हुआ मेरा तेरा मान सम्मान स्वभिमान सुख दुःख सफलता धन सम्पत्ति परिवार जिम्मेदारी हुई मेरी और…

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यू आर माई वेलेंटाइन…..

यू आर माई वेलेंटाइन….. चाय के कप के साथ रखे अखबार पर छपी तारीख और फेसबुक ने याद दिलाया आज का दिन। चाय कड़क और मीठी लगने लगी, एक तमन्ना मन ही मन भाप सी ऊपर उठने लगी। ‘सुनिये जरा…’ पुकारा हमने। ‘क्या है जी… बच्चों को दूध-चाय देना है। नाश्ते की भी तैयारी करना…

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आया मौसम प्रेम का…

आया मौसम प्रेम का… रोज़ डे 1 शीत ऋतु की उजली धूप सा चमके है तेरा रूप….. हर लो मेरा उर-तिमिर प्रिय स्वीकारो यह वृतपुष्प 2 हृदय तल में ले उद्वेग कई सतह पर मैं रहा संभ्रांत जीवन रण के कोलाहल से तन जर्जर मन हुआ क्लान्त बिसरी सुधि की पुस्तिका से झांक उठा तब…

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पहली मुलाकात

पहली मुलाकात आंखों की शोखियां लरजते लब जाने क्या कह रहे थे चुपके से कुछ तो राज था गहरा उस शरारती मुस्कान के पीछे सुरमुई शाम की आगोश में कोई नूर सी जगमगाहट तेरे चेहरे पे पोशीदा सी थी मोगरे की खुशबू से लबरेज रेशमी घटाओं से टपकती शबनम की बूंदे अल्हड़ मस्त मंद मुस्कुराती…

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निर्बाध प्रेम

निर्बाध प्रेम भादों की नदी-सी बहती .. हृदय की प्यास है प्रेम . भावना का उफान मात्र नहीं! अनुभूति की सच्चाई से भरी… पानी में नमक के एकाकार -सा … स्वाति के बूंदों की बेकली से प्रतीक्षा चातक का हठ है प्रेम ! विरह के बिना उपजता नहीं यह सभी विकारों को भस्म कर देने…

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निःस्वार्थ प्रेम की दास्तान है वैलेंटाइन

निःस्वार्थ प्रेम की दास्तान है वैलेंटाइन ये कटु सत्य है कि प्रेम मानवीय वृत्तियों का दिव्यतम रूप है।प्रेम पाषाण ह्रदय को भी पिघलाकर सरस बना देता है उसके अभाव में सब कुछ नीरस लगता है।जिस ह्रदय में प्रेम का संचार हो जाता है उसका मन मयूर की भांति नाचने लगता है।वाक़ई प्रेम एक अछूता एहसास…

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