आया मौसम प्रेम का…
आया मौसम प्रेम का… रोज़ डे 1 शीत ऋतु की उजली धूप सा चमके है तेरा रूप….. हर लो मेरा उर-तिमिर प्रिय स्वीकारो यह वृतपुष्प 2 हृदय तल में ले उद्वेग कई सतह पर मैं रहा संभ्रांत जीवन रण के कोलाहल से तन जर्जर मन हुआ क्लान्त बिसरी सुधि की पुस्तिका से झांक उठा तब…