मिट्टी की मूरतों में देवी की खोज

‘मिट्टी की मूरतों में देवी की खोज’ इंसान की विनम्रता है कि पंचतत्त्वों से निर्मित अपने शरीर को वह मिट्टी मानता है,अपने आराध्यों की कल्पना भी वह मिट्टी से ही साकार करता है,किंतु इन मूर्तियों के लिए मिट्टी एकत्रित करना खासा मुश्किल भरा काम है। नवरात्र में जगतजननी मां दुर्गा की मूर्ति के लिए दस…

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गुजरात की नवरात्रि

गुजरात की नवरात्रि गुजरात की नवरात्रि का सबसे प्रमुख आकर्षण होता है गरबा नृत्य या डाँडिया नृत्य। भारत के अधिकतर राज्यों में मूर्ति पूजा का चलन है लेकिन गुजरात में मूर्ति पूजा की जगह खुले आसमान के नीचे माँ की तस्वीर लगा कर उसकी चारों तरफ झूम कर गरबा नृत्य करके नवरात्रि मनाने की परंपरा…

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दुविधा’

‘दुविधा’ आज है नारी दिवस सुबह से ही लगा है तांता बधाई संदेशों का पर मैं हो रही हूँ दो चार दुविधा से मौका खुशी का है या फिर गम का नही कर पा रही तय मैं जब झांकती हूँ भूतकाल में देखती हूँ तृप्ता , मरियम, यशोदा, जीजा बाई होती हूॅ गर्वित कि मैं…

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हिंदी का आधुनिक इतिहास

हिंदी का आधुनिक इतिहास हे मातृरुपेण हिंदी!! हमारी मातृभाषा, हम सब की ज्ञान की दाता हो, जब से हमने होश संभाला, तूने ही ज्ञान के सागर से, संस्कारों का दीप जलाया, भाषा से परिचय कराया, आन ,बान और शान हमारी, देश का अभिमान जगाती, हर गुरुजनों की शान हो तुम, उनकी कर्मभूमि हो तुम, जिसने…

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झूठ झूठ और झूठ-झूठ के माध्यम से सच की तलाश

झूठ झूठ और झूठ-झूठ के माध्यम से सच की तलाश ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि कोई कवि या कवयित्री एक ही विषय को लेकर एक पूरा संग्रह ही रच डाले। दिव्या माथुर इस माने में एक अपवाद मानी जा सकती हैं, जिन्होंने ‘ख़याल तेरा’, ‘रेत का लिखा’, ‘11 सितम्बर – सपनों की…

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यू आर माय वैलेंटाइन

यू आर माय वैलेंटाइन   प्यार मोहब्बत आशिकी ये बस अल्फाज थे। मगर… जब तुम मिले तब इन अल्फाजोंं को मायने मिले बदलना आता नहीं हमें मौसम की तरह, हर इक रुत में तेरा इंतज़ार करते हैं, ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक, कसम तुम्हारी तुम्हें इतना प्यार करते हैं।   0

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अब नहीं, तो कब ?

अब नहीं, तो कब ? बस के बगल वाली सीट बहुत देर से खाली थी। बस खुलने में अभी सात-आठ मिनट और रहे होंगे। खिड़की से बाहर की गहमा गहमी देख रही थी मृदुला। ऐसे हमारे यहाँ जैसा शोर वहाँ नहीं है। हमारे यहां तो चीखते खोमचे वाले, व्यस्त कुली, शोर करते बच्चे, झगड़ते परिवार…

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सिद्धार्थ यशोधरा और बुद्ध

सिद्धार्थ यशोधरा और बुद्ध जाना तय था मेरा … पर जब उसे देखता तो , मन ठहर जाता था।। किस अवलम्बन पर छोड़कर जाता उसे, वो जो मुझ में अपना सारा संसार देखती थी, फिर उसका सहारा आ गया ..उसका ‘पुत्र’ जानता था अब उस में व्यस्त हो जाएगी, जीवित रह पाएगी मेरे बिना भी…

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आउटहाउस

आउटहाउस शिव शंकर जी और मालती जी के बंगले का आउटहाउस कुछ दिनों से खाली पड़ा था। आउटहाउस में रहने की आकांक्षा में कई लोग आए पर सफल ना हो पाए।अंततः एक ऐसा परिवार आया जिस दंपति के चार बच्चे थे।बड़ी दो जुड़वां बेटियां और उसके बाद दो बेटे। सबसे छोटा वाला बेटा मात्र ढाई…

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