नारी अबला नहीं है

नारी अबला नहीं है 1908 ई. में अमेरिका की कामकाजी महिलाएं अपने शोषण के विरुद्ध और अपने अधिकारों की मांग को लेकर सडकों पर उतर आईं। उनका मुख्य मुद्दा महिला और पुरुष के तनख्वाह की समानता का था । 1909 ई. में अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने उनकी मांगों के साथ राष्ट्रीय महिला दिवस की…

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महिला सशक्तिकरण/सक्षमीकरण

महिला सशक्तिकरण/सक्षमीकरण वैसे भी महिला सशक्तिकरण पर लिखना ही अपने आप को “अबला” साबित करना है, हमे अपने आप पर लिखना ही एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है.. क्यों?? लिखने पर पाबन्दी नही है, खुब लिखे पर,खुद के लिए दया, विफल नारी, आश्रित,कहकर मत लिखिए, “नारी”ईश्वर की अनुपम और सर्वश्रेष्ठ कृति,सृजन करने वाली,और जब वह सृजन…

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शादी एक गुनाह

शादी एक गुनाह अभी पूजा करने के लिए आसन बिछा कर शांत चित्त होकर बैठी ही थी कि बाहर दो महिलाओं की तेज़ आवाज़ में बात करने की चिरपरिचित आवाज़ आने लगी। फ़िर भी उधर से अपना मन हटाकर मै पूजा करने लगी थोड़ी देर के बाद उन दोनों में से एक महिला ज़ोर ज़ोर…

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नारी : कल , आज और कल

नारी : कल , आज और कल नारी ….ईश्वर के समान व्यापक और अपने आप में सम्पूर्ण एक ऐसा शब्द है , जिसमें समाहित है जीवन चक्र के गतिशील रहने के समस्त कारण । सम्पूर्ण सृष्टि में जीवन , गति और अस्तित्व इन्हीं दो शब्दों से है । ईश्वर जो हमारे अंदर और बाहर की…

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नारियाँ

नारियाँ नित हौसलों के दीप जलाती हैं नारियाँ हर फर्ज अपना हँसके निभाती हैं नारियाँ मुश्किल में हार मानती नहीं है ये कभी जो ठान लें वो करके दिखाती हैं नारियाँ कमजोर इनको आप समझना न भूलकर काँधे पे घर का बोझ उठाती हैं नारियाँ अब लक्ष्य इनका चार दिवारी नहीं रहा दुनिया मे नाम…

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“नारी तुम”

“नारी तुम” हम नारी हैं, एक शक्ति हैं, इस गौरवशाली देश के, सदियों से देश का गौरव हैं, सदैव सर्वोच्च धरोहर हैं, इस जीवन को व्यर्थ न करो, नारी जीवन को सार्थक करो, हिम्मत को अपना साथी बनाकर, हर मंजिल को फतह करो, उठो लड़ो और आगे बढ़ो, हर संकट का हरण करो, नारी हैं…

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नारी हूँ

नारी हूँ नारी हूँ नारी ही कहलाऊँ न मैं राधा हूँ न मैं मीरा न मैं सीता हूँ न मैं गांधारी न मैं लैला हूँ न मैं सोहनी न मैं देवी हूँ न मैं दासी मैं तो सिर्फ ईश्वर की रचना त्याग, प्रेम ,ममता ,वात्सल्य से परिपूर्ण नारी हूँ ………. जिसे कई नामों से जाना…

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पहले मैं इंसान हूँ

पहले मैं इंसान हूँ पहले मैं इंसान हूँ फिर नारी हूँ बेटी हूँ बहन हूँ पत्नी हूँ माँ हूँ दोस्त हूँ दुश्मन हूँ रिश्वतों का दरीचा हूँ जानती हूँ हज़ारों खामियां हैं मुझमें पर जैसी हूँ अच्छी हूँ आखिर इंसान हूँ देखती हूँ खुद को खुद की निग़ाहों से अपूर्ण हो कर भी खुद में…

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महिला दिवस के बहाने..

महिला दिवस के बहाने.. तू जिन्दगी का कोमल अहसास है, छुएँ तुझे तो सारा आकाश है, लगती किसी कविता सी, मन के बहुत पास कोई ,अधूरी प्यास हो तुम घर, अंगना दौड़ती ममता की छाँव बनी तुम, माँ हो, प्रिया, बहन, पत्नी, बेटी मेरी, जिन्दगी के टूटते संबंधों में , संजीवनी सी रिश्तों की सांस…

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देह से इतर स्त्री ……….!!

देह से इतर स्त्री ……….!! एंगेल्स ने कहा है कि मातृसत्ता से पितृसत्तात्मक समाज का अवतरण वास्तव में स्त्री जाति की सबसे बड़ी हार है। मानविकीविज्ञान शास्त्र (Anthropology) के विचारक ‘लेविस्त्रास’ ने आदिम समाज का अध्ययन करने के बाद कहा-‘सत्ता चाहे सार्वजनिक हो या सामाजिक, वह हमेशा पुरुष के हाथ में रही है। स्त्री हमेशा…

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