वो प्यारी पाती

वो प्यारी पाती वो कलम का उठाना उसके नीचे एक कॉपी का रखना आधा खत लिखकर सिरहाने धर लेना, फिर कुछ और मन की बातें लिखना, लिफाफे पर पता लिखकर वो गोंद पर ओंठ को घुमाना या फिर गीली उंगली से चिपका देना। वो प्यारा सा लाल डिब्बा जो बाहे पसारे इंतज़ार करता था। जिसका…

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वह अजीब स्त्री

  वह अजीब स्त्री लोग बताते हैं कि जवानी में वह बहुत सुन्दर स्त्री थी। हर कोई पा लेने की जिद के साथ उसके पीछे लगा था। लेकिन शादी उसने एक बहुत साधारण इंसान से की जिसका ना धर्म मेल खाता था, ना कल्चर। वह सुन्दर भी खास नहीं था और कमाता भी खास नहीं…

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बिना पते की चिठ्ठी

बिना पते की चिठ्ठी मेरे घर के आगे एक छोटा बगीचा है जिसमें मैंने नारियल, नींबू, अमरूद, चम्‍पा, रातरानी, आम के पेड़ लगा रखे हैं। छोटी क्‍यारियों में गेंदा, चमेली, उड़हुल के फूल हैं। उड़हुल के भी कितने रंग है ना। जब छोटी थी तब केवल लाल या गुलाबी रंग के उड़हुल के फूल हुआ…

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क्यूँ बीत गया वो पल ……

क्यूँ बीत गया वो पल …… जिसके साथ जीने की लग गई थी लत, प्यारा ऐसे जैसे हो पिया का ख़त. जिसके लिए मोड़ दी हर सोच, लगा दी जान चाहे लगे लाख खरोंच . दे कर होठों को हँसी, बीत गया वो पल …… चाय के ख़ाली कप सी रह गई ज़िंदगी, समय इतना…

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कैसे कहूं चहूं दिशा में गुणगान करु

कैसे कहूं चहूं दिशा में गुणगान करु ममता तेरी भावों में मैं बांध नहीं पाती मां तुम मेरे लिए क्या हो कैसे बतलाऊ चाहकर भी मै शब्दों में ढाल नहीं पाती समय चक्र पर बैठे देखा है हरदम तुमको सबकी खुशियों को गढकर प्रेम ही भरते देखा खुद को मिटाकर हमे कामयाब बनाने जुनून तेरी…

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हम तैयार हैं

हम तैयार हैँ सब ठीक ही चल रहा था बस छोटे मोटे उतार – चढ़ाव थे ज़िंदगी गुज़र रही थी कुछ लंबे , कुछ निकट पड़ाव थे कि अचानक सब जम सा गया जीवन का रेला कुछ थम सा गया सब ठिठक गये कुछ सिहर भी गये ये आखिर क्या हो रहा है पृथ्वी खुलकर…

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लॉकडाउन

लॉकडाउन ‘कैद में है बुलबुल सय्याद मुस्कुराय’ कोरोना जनित लॉकडाउन में कुछ ऐसा ही महसूस हो रहा है।आज आवश्यक है कि कोरोना जनित लॉकडाउन पर विचार हो ।यह सामयिक है और हम उसमें से होकर गुजर भी रहे हैं।कोरोना के आतंक से भयभीत तो हैं ही बचाव के लिए कमर भी कसे हुए हैं। लॉकडाउन…

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आखिर माँ है क्या ?

आखिर माँ है क्या ? भगवान!!! तुमने क्या खूब कमाल दिखया खुद सब जगह नहीं हो सकते इसलिये “”माँ ” बनाया। आखिर माँ है क्या??? क्या वो? जिसने जीव का दुनिया से परिचय कराया, इक मांस के लोथड़े को “जिंदगी” का जामा पहनाया या फिर वो जिसने हर कदम पर अपनी औलाद का हौसला बढाया,…

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वह “गुलाब” तुम ही हो

वह “गुलाब” तुम ही हो मेरे मन को जो भाता है दुख में भी जो हंसाता है वह “गुलाब” तुम ही हो । दर्शन जिसके जब भी पाऊँ असीम सुखों में खो जाऊँ वह “गुलाब” तुम ही हो । होठों पे रहती मृदु हास स्पर्श में कोमलता का अहसास वह “गुलाब” तुम ही हो ।…

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