कोरोना वायरस ऐसे घुसता है शरीर में

कोरोना वायरस ऐसे घुसता है शरीर में कोरोना वायरस कोविड-19 या फिर SARS-CoV-2 इस समय दुनिया के 3.32 लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर चुका है. 14,587 लोगों की जान जा चुकी है. ऐसे 6 कोरोना वायरस दुनिया में मौजूद हैं, जो इंसानी शरीर पर हमला कर चुके हैं. इनमें से चार सामान्य जुकाम…

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विरासत का वर्तमान

  विरासत का वर्तमान आखिर, जिस बिहार का अतीत इतना गौरवशाली रहा है आज वह इतना विकृत कैसे हो गया। बिहार में न तो प्राकृतिक संसाधनों की कमी है और न ही योग्यता की। आखिर वो कौन-से कारण हैं जिनके कारण रोजी-रोटी कमाने बिहारियों को दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है। कुछ तो होगा। ऐसा…

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शतबार नमन! शतबार नमन!!

शतबार नमन! शतबार नमन!! हिमालय की ऊँचाई पा, जिसका जीवन रहा सफल; गतिक जीवन से यकायक, हो गया जो निष्पंद, निश्चल; रहा जीवन-पर्यंत जो- निन्छल, निर्विकार, निर्मल; शैलेन्द्र सा विराट, विमल- शैलेन्द्र-व्यक्तित्त्व था धवल! झंकृत-जीवन से हो मौन, टूट गये वीणा के तार; चलते-चलते ही मानो वे- ओझल हो गये क्षितिज पार; खोजते रहे हम…

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हल्की सी एक रोशनी

हल्की सी एक रोशनी नया एंटी रेप एक्ट पर राष्ट्रपति की मंजूरी की मोहर लगते ही महिलाओं के साथ होने वाले हर तरह के अपराधों के लिए कड़ी सजाएँ तय हो गई हैं। सुधार के बाद इस विधेयक को पारित किया गया है ।एंटी रेप कानून ने आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम 2013 के रूप में…

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तेरे शरण हम आए प्रभु

तेरे शरण हम आए प्रभु ईश्वर, अल्लाह, ईशा , वाहे गुरु तेरे शरण हम आए प्रभु.. कोरोना से हाहाकार मचा है अब ना कोई देश बचा है.. तेरे शरण हम आए प्रभु.. आप ही अब रखवाला प्रभु.. चेहरे पर सबके मास्क है गंभीर बड़ा ये टास्क है जनजीवन त्राहि त्राहि है चैन कहीं भी नहीं…

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कोरोना

कोरोना कोरोना को रोक दो , सुनो सभी तुम आज । इसे महामारी कहें , या करना कुछ काज ।। सभी साफ रहना सदा , भीड़ भाड़ से दूर । साफ सफाई हाथ की , रहे वायरस दूर ।। सादा जीवन हो सदा , रखना उच्च विचार । शाकाहारी हो सुनो , सुंदर हो आचार…

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दुविधा’

‘दुविधा’ आज है नारी दिवस सुबह से ही लगा है तांता बधाई संदेशों का पर मैं हो रही हूँ दो चार दुविधा से मौका खुशी का है या फिर गम का नही कर पा रही तय मैं जब झांकती हूँ भूतकाल में देखती हूँ तृप्ता , मरियम, यशोदा, जीजा बाई होती हूॅ गर्वित कि मैं…

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कैसे ठहरता बसन्त

कैसे ठहरता बसन्त बसन्त यहां भी आया था द्वार पर ही थी अनुरागी किसलय से भरी थी अंजुरी लहकती उमंग-तरंग सोमरस से भरे घट, परिणय पल्लवों को छूती मंज़र उन पर बैठी अभिलाषा पिक अभी कुहुक ही रही थी पूरी तरह पंचम स्वर पकड़ी भी नहीं ऊपर कहीं से अनायास निर्विघ्न चक्रवाती तूफान ने घेर…

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फागुन की बयार

फागुन की बयार छाया है बसंत चहुंओर बही है फागुन की बयार धरती ने ओढ़ी पीली चुनरिया हुलसे है जियरा हमार पूरी धरती है लाल-लाल चारों ओर उड़ा गुलाल नीले,पीले, लाल हो रहे सभी के गाल और द्वार चढा नशा भाँग का कर रहे हम आज हुड़दंग आज तो खूब सखि रे मनवा में छाया…

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