कैसे दिन फिरते जाते हैं

कैसे दिन फिरते जाते हैं कैसे दिन फिरते जाते हैं मास दिवस लगते पर्वत से, उलझन नित बनते जाते हैं कैसे दिन फिरते जाते हैं। बाग बगीचे घूमने के दिन छोटी अमिया लाने के दिन कूक पपीहा बौराते हैं कैसे दिन फिरते जाते हैं। चैता फागुन खा गया कहर यह फैल गया है शहर-शहर सपने…

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कोरोना वायरस और हृदय रोगी

कोरोना वायरस और हृदय रोगी कोरोना वायरस की शुरुआत 2019 के आखिर में ,चीन के वुहान प्रांत के सीफूड और पॉल्ट्री बाजार में हुई और देखते ही देखते आज यह पूरी दुनिया में फैल गई।अब यह एक गंभीर समस्या बन गई है। भारत इससे अछूता नहीं है और मरीजों की तादाद तेजी से बढ़ती जा…

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याज्ञवल्क्यस्मृति

याज्ञवल्क्यस्मृति आपने मनु स्मृति का नाम खूब सुना होगा। मगर बहुत कम लोगों ने याज्ञवल्क्य स्मृति का नाम सुना होगा। वैसे तो हिन्दू धर्म में न्याय और सामाजिक व्यवहार पर केंद्र 18 से अधिक स्मृतियां रची गयी हैं। मगर आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारत का संविधान बनने से पहले तक हिंदुओं के लिये…

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जीतेंगे हम शान से

जीतेंगे हम शान से सप्तबधी अवधान से देह के व्यवधान से कोरोना के जंग में जीतेंगे हम शान से।। वीथियों में जो मिले खोल चेहरा जो चले कहें घरों में अब रहें नसीहतों की आन से।। देखने में व्यस्त हों वो ना भूख त्रस्त हो परिवेश भी सतर्क हो प्रतिवेशियों के ध्यान से।। अधीरता को…

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ईश्वर की चेतावनी

ईश्वर की चेतावनी ये कोरोना एक रोग नहीं जो विषाणु से फैला है, ये कुदरत का कहर है जो जानलेवा और विषैला है!! ये हम सबका फैलाया जहर है जो एक दिन का प्रतिफल नहीं सदियों का नतीजा है विष जो हमारे दिल में था जो आज जाकर निकला है!! कांप गए हम बस इतने…

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इसके बाद

इसके बाद महामारी बची आँखों को दे जायेगी भविष्य में देखने वाली तीसरी आँख कटेंगी हाथ की हथेली में समान्तर चलने वाली दो जीवन रेखाएँ अनिवार्य होगा भूख के अर्थशास्त्र में श्वाँसो का निवेश नये इतिहास में सर्वाधिक गतिशील होंगी वर्तमान के कारावास में बंदी तारीखें काट कपट के बीज से उगे उन्मादी विषैले फल…

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जी ले कुछ पल अपने लिए

जी ले कुछ पल अपने लिए थम चुका वक़्त की बर्फीली हवाओं का दौर पिघल चुकी संघर्षों की बदली भागमभाग की चट्टानें शोर था विकट, घनघोर निकट, एक सूक्ष्मतम तंतु ने भेद डाले, असमंजसों के जाल अर्श से पाताल? मनुष्य! कुछ थमो तुम, करो आत्ममंथन मथा ज्यूं समुद्र को, पाया अमृत समुद्रमंथन असुर है! यह…

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दोगले इंसान

दोगले इंसान सहमी खड़ी है इंसानियत कौन मसीहा कौन हैवान ! सोच-समझ चली चालों को फिर दे देते हादसों का नाम ! पूज कर कन्या रस्म निभाते नज़रों में छुपा रखते शैतान ! ओढ़ मुखौटा धर्म-कर्म-कांड पूजते अल्लाह औ भगवान ! पत्थरों में दिखता जिनको ईश् जीवों की पीड़ा से वो अनजान ! पढ़ न…

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