शीतला अष्टमी
शीतला अष्टमी शीतला अष्टमी का उल्लेख स्कंदपुराण में मिलता है. शीतला माता की उपासना का मुख्य पर्व शीतला अष्टमी है. शीतला अष्टमी का पर्व चैत्र मास की कृष्णपक्ष की अष्ठमी को यह त्योहार मनाया जाता है. इस बार शीतला अष्टमी 4 अप्रैल को है. होली के बाद इसे मनाया जाता है. इस दिन शीतला माता…
औरत ,औरत की दुश्मन
प्रायः यह जुमला सुनने को मिल ही जाता है जब कभी किसी औरत को दूसरी औरत द्वारा प्रताड़ित या परेशान किया जाता है। काफ़ी लोगों का यह मानना है कि अधिकतर औरत ही औरत की परेशानी का कारण होती है। यदि हम आस – पास नज़र डालें और औरतों के प्रति हो रहे अपराधों के…
I Love You
I Love You I love you, Daddy, because the roses of your fate’s meadow are prickling my feet. My lines are red rivers down the thorns flooding the roots of my love… Eduard Harents Yerevan, Armenia (Translated from Armenian by Harout Vartanian) 0
मेरा परिचय
मेरा परिचय मेरा नाम आशा मुखारया है।मैंने राजनीति शास्त्र से एम. ए. किया है।मेरे पति डा. पी. एस. मुखारया है।वो हिस्ट्री के प्रोफ़ेसर थे।मेरा बेटा विवेक कम्प्यूटर इंजीनियर है,यहाँ अमेरिका में सिटी बैंक में काम करता है और मेरी बहू निधि भी कम्प्यूटर इंजीनियर है।वो भी जॉब करती है।दो पोते हैं,बड़ा पोता इंजीनियर होकर अटलांटा…
महारानी विक्टोरिया
महारानी विक्टोरिया यूँ तो माँ भारती की वीरभूमि में कई महानायिकाओं ने जन्म लिया है। किन्तु विश्वमंच भी ऐसी कई महान विभूतियों से भरा पड़ा है। झोपड़ी से लेकर महलों तक में इन वीरांगनाओं की प्रखर ओजस्वी गाथाएँ आज भी गाई जाती हैं। इनकी विशेषताओं और जज़्बे ने इतिहास रच डाला है। भारत की रानी…
ममता जी को नमन
ममता जी को नमन ममता कालिया जी की कहानियाँ पढ़कर हम सब आप बड़े हुए।ममता जी ने साहित्य की समझ विरासत में पाई। अपने अतंस की तिजोरी से बड़ी ही सजगता व सरलता से जीवन की रफ्तार से कुछ मखमली, और हकीकत से जुड़े लम्हें एक कहानी के कथानक में गढ़कर पेश करती है।कई…
माँ शारदे वर दे
माँ शारदे वर दे तिल तिल तमस सम, तड़पते मनुज को, हिम कण सम शीतल, ज्ञान तुषार की रौ दे, माँ शारदे वर दे।। अशांत अधीर, अवसादित जड़ को , सागर के लहरों सी, उल्लासित चेतन कर दे, माँ शारदे वर दे ।। क्या ये गलत है ? क्या ये सही है? इसी दोराहे पर…
हार कभी न मानी
हार कभी न मानी राह कठिन है जीवन की पर हार नहीं मानी है. पर्वत-सी ऊँची मंज़िल पर चढ़ने की ठानी है. जीवन के पाँच दशक पार हो जाने के बाद जब अपने जीवन को एक द्रष्टा के तौर पर देखती और विश्लेषण करती हूँ तो लगता है एक व्यक्तित्व वस्तुतः अपने माता-पिता…