अब मैं भी माँ जैसी ही माँ बनूँगी
अब मैं भी माँ जैसी ही माँ बनूँगी… ” मैं भी एक माँ हूँ पर टूट जाती हूँ कई बार… फिर माँ आती है … कभी ख़्वाबों में,कभी बातों में और बढ़ाती है अपना हाथ खींच लेती है मेरे सारे दर्द दफन कर लेती है उन्हें भी अपने सीने में किसी को भनक नहीं लगने…
एक मां हूँ मैं
एक मां हूँ मैं एक मां हूँ मैं, अपने बच्चों के लिए, कोमल भावनाएं रखतीं हूँ। दुनिया की सारी खुशियां, निछावर करना चाहती हूँ। चाहतीं हूँ.. मेरे बच्चे… तू जिन राहों से गुजरे, फूल बिछे हों,उन राहों पर। पर मेरे बच्चे… जान ले कई बार, यह जिंदगी फूलों की सेज है, तो कई बार कांटों…
बेटा मजदूरिन का
बेटा मजदूरिन का एक बेटा मजदूरिन का, मुँह ना देखा था पिता का। दहलीज पर झोपड़ी के, था ,तरसता भूख से, तलाशती आँखों से माँ को, हर चेहरे को निहारती। थकी पलकों को सहला जाती, नींद अपने आँचल में। कभी जागता कभी सोता। ना जाने माँ कब आयेगी। सिने से लगायेगी, लाल को एक था…
वे सड़कें बना रहे हैं..
वे सड़कें बना रहे हैं.. गर्म तपती भट्ठियों सी , तप्त सड़कों पर कोलतार की धार गिराते , मजदूरों के झुलस रहे हैं पाँव. पर तपती धरती पर, गिट्टियां बिछाते, मानो स्नेह का लेप लगा रहे हैं, वे सड़कें बना रहे हैं. गर्म जलाते टायरों का , फैलता है धुंआ ,आग उगलता, जला रहा है…
रोटी ,कपड़ा और मकान
रोटी ,कपड़ा और मकान कदम बढ़ चले कदम ना चिलचिलाती धुप ना भींगने का डर. सर्द हवाएं भी नही हिलाती दम नही चुभती मिलता जो भी हो दर्द लिंग से परे पत्थर तोड़े या चढ़ जाएँ ऊँची इमारते ना अँधेरे का भय बहुत कुछ को नकारते हमसब हैं निकलते हंसते खिलखिलाते अपने खोली से अपनी…