माँ

मां गोद में जिसके जन्नत होती है वो मां होती है लुटाती है जो खज़ाना ममता व प्यार का वो मां होती है बहलाती, फुसलाती, दुलारती है तो, वो डांटती भी है डांटकर खुद आंसू बहाती और फिर रूठे को मनाती भी है बिन कहे बात दिल की हमारी वो जान जाती है समस्या हमारी…

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माँ

माँ मैंने कितना ही उसका दिल तोड़ा फिर भी वह मुझे दिल का टुकड़ा कहती रही मैंने कितना भी उसे बुरा भला कहा फिर भी वह मुझे सूरज चंदा कहती रही मैंने कितना ही उसे सताया फिर भी वह मेरी राहों के कंकड़-कांटे चुनती रही क्योंकि वह मां थी शक्ति भर उसने हर विपदा से…

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माँ तुम बहुत याद आती हो

माँ माँ तुम बहुत याद आती हो जब स्कूल से घर आती हूँ, खाली घर ही पाती हूँ सूनी सी देहरी देखती हूँ, अपनी थाली खुद लगाती हूँ, छोटे को भी कभी ख़िलाती हूँ , हर निवाले के साथ माँ तुम बहुत याद आती हो। आज जब मुझे लगा कि अब मैं भी बड़ी हो…

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माँ

“माँ” अक्षर में सिमट पूरा संसार हर खुशी हर आस हर विश्वास से बुना ये रिश्ता प्यारा।। न कोई छल इस में न कोई मिलावट न कोई बनावट बस निश्छल स्नेह से बुना ये रिश्ता प्यारा।। माँ क्या होती है कितना दर्द वो सहती है कितनी जान वो लगाती है खुद को भूल ही जाती…

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तुम सब कैसे जान जाती हो

जब जब उदास होती हूं पर तुम्हें ना बताती हूं, क्यों दर्द दूं अपने गम को बताकर इसलिए तुमसे छुपाती हूं, पर जादूगरी कैसी तुमको आती है मां !तुम सब कैसे जान जाती हो … जागती हूं में रातों को जब नयनों में समंदर लिए, तुम भी तो फिक्र में मेरी रात आंखों में बिताती…

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लघुकथा- माँ के साथ फोटो

लघुकथा- माँ के साथ फोटो बड़ा ही अजीब आदमी है हमारा बॉस। अभी पिछले साल ही ट्रांसफर होकर आया था। उसका हर काम ही अलग निराला होता है, जाने कहाँ से उसे क्या विचार आ जाते हैं, बड़ी IIM से MBA करके आया हुआ है, उसकी नियुक्ति,ऑफिस में कर्मचारियों में बढ़ते हुए डिप्रेशन को कम…

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माँ ब्रह्मांड है

मां इस शब्द में पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है। मां शब्द अतुलनीय है मां की कोई भी तुलना नहीं हो सकती मां अपने आप में परिपूर्ण है। कोई भी बच्चा अपनी मां के बिना इस धरती पर कोई भी शिक्षा पूरी नहीं कर सकता। अपने संतान की पहली शिक्षक है मां। मां निस्वार्थ है मां…

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मां की ममता

मां की ममता माँ मेरी माँ तूँ ममता की मूरत है, निश्छल और प्यारी हसीं तेरी सूरत है, वो एहसास आज भी मेरे पास है….. जब तूँ मुझे हर पल अपने आँचल में ही छुपा कर रखना चाहती थी, क्यूंकि तुम्हे डर था की किसी की नज़र न लग जाये मुझे,… मैं बड़ी हो गयी…

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तुम मेरे पास हो …हमेशा!

माँ, तुम हो यहीं कहीं,..मेरे आसपास, भींगी पलकें जब यादों का सहारा चाहती हैं, तुम तब भी -मेरे साथ होती हो ..माँ, जैसे मैं तुम्हें छू सकती हूँ, महसूस कर सकती हूँ– ”तुम्हारे कदमों क़ि आहट, जब ये अधर कुछ्फरियाद करते हैं, तो जैसे.. तुम सुनती हो मेरी आवाज, बिन कहे मान लेती हो, मेरी…

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मां के सपने

“मां के सपने” कितने सपने संजोए थे तूने, हम सबके संग, कितने सपने थे तुम्हारी आंखों में, कितनी कल्पनाएं थी, तुम्हारे आंखों में चमक, जिन्दगी जीने की ललक, एक उल्लास मन में लिए, सबको संवारा बड़ी लगन से, अपनी सजग नयन से, कई सपने भी टूटे, फिर भी !! तुम मुस्कुराती रही, हम-बच्चों के संग,…

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